UPSC यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, हर स्तर पर रहना होग सजग

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 11 Jun, 2024 04:38 PM

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पीएससी की तैयारी करना जहां काफी चुनौतीपूर्ण हैं, वहीं इसके लिए किए गए अथक प्रयास के नतीजा आनंददायक होते है।

गुड़गांव, ब्यूरो : यूपीएससी की तैयारी करना जहां काफी चुनौतीपूर्ण हैं, वहीं इसके लिए किए गए अथक प्रयास के नतीजा आनंददायक होते है। इस कठिन परीक्षा के लिए तैयारी करते समय परीक्षार्थी को परीक्षा की अनिश्चिताओं के बारे में भी पता होना चाहिए। इसकी तैयारी लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। ऐसे में खुद की तैयारी का जायजा लेकर रणनीति में बदलाव करने में भी हिचकिचना नहीं चाहिए। जानते हैं कैसे शुरू से अंत तक इस परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। 

 


यहां कुछ ऐसी कारगर रणनीति बताई जा रही है, जिससे तैयारी में आप खुद को मंजिल के अधिक नजदीक पाएंगे। परीक्षा के लगातार बदल रहे स्वरूप में तो यह जानना अधिक जरूरी हो जाता है।अभिषेक गुप्ता सीईओ,Rau's IAS स्टडी सर्कल ने बताया कि: सिलेबस और परीक्षा पैटर्न की समझ अगर आप इस परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले आपको इसके बदलते पैटर्न और सिलेबस की पूरी जानकारी जुटा लेनी चाहिए। मसलन इसमें किस तरह के प्रश्न आते हैं। किन-किन विषयों को शामिल किया जाता है। किस विषय के कुल कितने अंक हैं। खुद पर भारी भरकम सिलेबस को ओढ़ लेने की बजाए आपको फोकस होकर छोटे-छोटे टॉपिक लेकर उन्हें समझकर पक्का करना चाहिए। एक टॉपिक पर अच्छी समझ विकसित करने के बाद ही आगे की तरफ बढ़ना चाहिए। अपने सिलेबस की संपूर्ण समीक्षा करना बेहद जरूरी है। यहां आपका एक ऐसा रोडमैप तैयार होना चाहिए, जिसमें आपको मालूम हो कि किस विषय पर आपको उसके अंकों के अनुसार कितना समय खर्च करना है। ऐसा बिलकुल न सोचे कि पहले प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करते हैं बाद में मुख्य परीक्षा के बारे मे सोचेंगे। कुछ इस तरह पढे़ और परीक्षा की तैयारी करें कि दोनों परीक्षा की तैयारी साथ-साथ होने लगे। इस बात का खासतौर पर ध्यान रखें कि तैयारी के दौरान आपको अभ्यास और रिवीजन का समय भी मिलता रहे। इससे आप आपने ज्ञान को परीक्षा में अच्छे उपयोग कर सकेंगे। आपका संतुलित नजरिया आपकी क्षमता और दक्षता को अधिकतम की ओर बढ़ाता है। 

 


मौलिक ज्ञान को दें प्राथमिकता माना की ताजा तरीन घटनाओं की जानकारी परीक्षा के नजरिए से बेहद जरूरी है, लेकिन इससे पहले अपने विषय जैसे इतिहास, भूगोल, राजनैतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र जैसे विषयों की मजबूत नींव स्थापित करना अधिक महत्वपूर्ण है। जब आप विषय के जानकार हो जाते हैं तो समसामयिक घटनाओं का उनसे रिश्ता जोड़ना आसान रहता है और आपको लम्बे समय तक याद भी रहता है। बिना मूलभूत जानकारी के ताजा घटनाओं के बीच संबंध स्थापित करना वाकई चुनौतपूर्ण हो जाता है। यानी कि यह प्रक्रिया एक ऐसी जादुई चाबी है, जो आपकी सफलता का ताला आसानी से खोल सकती है।  इसके कई अन्य फायदे भी हैं। जैसे आपकी एनालिटिकल स्किल में इजाफा होता है और आपकी नई चीजों को सीखने की प्रक्रिया भी आसान होने लगती है। पुनरावृति और अभ्यास में रहे सक्रिय याद रहे कि पुनरावृति यानी रिवीजन का अर्थ यह नहीं कि आप सीधे-सीधे बस दोबारा पढ़ते रहे, बल्कि रिवीजन करते हुए गंभीरता से विषय के साथ गहराई से जुड़े और समझते हुए पढ़ें। अक्सर, हम सामग्री को सरसरी तौर पर देखने की कोशिश करते हैं। बजाय इसके कि हमें अपने ज्ञान का परीक्षण प्रश्नों के उत्तर देकर करना चाहिए। परीक्षा में अंक जानकारी पहचानने के लिए नहीं मिलते, बल्कि ज्ञान को याद करने और उसे लागू करने की क्षमता के लिए मिलते हैं।

 


इसके लिए कुछ सुझाव-
थीमेटिक एमसीक्यू हल करें : आपको विभिन्न विषयों पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न हल करते रहने चाहिए। इससे आप पढ़े गए टॉपिक्स की स्पष्टता को परख सकते हैं और जान सकते हैं कि किस क्षेत्र में आप मजबूत हैं और कहां सुधार की जरूरत है।
उत्तर लेखन का अभ्यास करें : सक्रिय रूप से जानकारी को प्राप्त करने और अपनी लिखने की आदत को सुधारने के लिए उत्तर लेखन का अभ्यास करें। यह मुख्य परीक्षा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां उत्तर की गुणवत्ता और संरचना मायने रखती है। यह सारे टेस्ट्स राउस आईएएस स्टडी सर्कल के निःशुल्क पोर्टल  compass.rauias.com पर परीक्षण हेतु उपलब्ध  है|
ग्रुप डिस्कशन का हिस्सा बनें :  अगर आप नियमित रूप से अपने साथियों के साथ ग्रुप डिस्कशन में शामिल होते हैं तो इससे न सिर्फ आपकी रिवीजन होती है, बल्कि दूसरों से भी आपको नई-नई जानकारी प्राप्त होती हैं। 
लिखने की आदत : लिखने की आदत आपको मुख्य परीक्षा में काफी मदद करेगी, साथ ही आप प्रक्रिया में खुदबखुद शामिल हो जाते हैं, जिसमें जानकारी आपके दिमाग से पेपर तक आसानी से पहुंचने लगती हैं। 
मॉक टेस्ट: कोशिश करें मॉक टेस्ट को हमेशा परीक्षा जैसे महौल में ही दें। समय सीमा का भी उसी तरह से ध्यान जैसे असल परीक्षा में होता है। जब तय समय में अपना प्रश्न-पत्र हल करेंगे तो पाएंगे कि आपकी तैयारी का लगभग सही आकलन हो चुका है और कमजोर और मजबूत पक्षों का भी आपको पता चला चुका है। 

 


उत्तर लेखन रणनीति विकसित करें
ध्यान रहे यूपीएसी मुख्य परीक्षा में, विषय-विशिष्ट टेम्पलेट और फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करना होगा। दरअसल प्रत्येक विषय का प्रभावी ढंग से उत्तर देने के लिए एक अलग नजरिए की जरूरत है।  मसलन, साइंस और टेक्नोलॉजी के उत्तरों को तकनीकी प्रगति को समाज, पर्यावरण और सार्वजनिक नीति पर उनके प्रभाव से जोड़ना चाहिए। इतिहास के उत्तरों में घटनाओं उनके काल को जोड़ना और  विश्लेषण की आवश्यकता हो सकती है। इन टेम्पलेट्स को विकसित करने में प्रत्येक विषय की मुख्य मांगों को समझना शामिल है।  जैसे कि वर्तमान घटनाओं को अर्थशास्त्र से जोड़ना या सैद्धांतिक अवधारणाओं को सामाजिक मुद्दों पर लागू करना। फ्रेमवर्क आधारित उत्तर लेखन से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि आपने उत्तर में सभी जरूरी टॉपिक को शामिल किया है।

 


निरंतरता बनाए रखें
यूपीएसी की परीक्षा की तैयारी में निरंतरता काफी महत्वपूर्ण है। सिलेबस इतना अधिक होता है कि कम से कम एक साल बिना रुके अघ्ययन जरूरी है। पढ़ाई में निरंतरता बरत कर आप नई-नई स्किल भी सीख सकते हैं। निरंतर बने रहने के लिए, व्यक्तिगत लय और लक्ष्यों के अनुसार एक प्रेक्टिकल शेड्यूल बनाएं। अधिक नहीं तो कम से कम एक सप्ताह का टाइमटेबल जरूर बनाएं। इसमें अलग-अलग विषयों और टॉपिक को शामिल करें ताकि पढ़ने में रुचि बनी रहे। अपनी प्रगति को ट्रैक करने के लिए कुछ गैजैट्स या एप का सहारा भी लिया जा सकता है। थकान से बचने के लिए नियमित ब्रेक भी समय-समय पर लेते रहें। कोई भी रुकावट आ रही है तो सबसे पहले उसे दूर करें ताकि आपकी दिनचर्या पर इसका असर न हो। तैयारी में निरंतरता न केवल ज्ञान को प्रभावी बनाती है बल्कि इतनी कठोर परीक्षाओं में सफलता के लिए आवश्यक अनुशासन को भी बढ़ावा देती है।

 


मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य
परीक्षा की तैयारी के दौरान कई बार उतार-चढ़ाव आते हैं। ऐसे में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। जब भी पढ़ाई करने बैठे तो  अधिकता के मुकाबले गुणवत्ता को प्राथमिकता दें, जिससे अनावश्क दबाव से बचा जा सके। 10 घंटे में आखिर में कुछ सीखा नहीं तो उस पर लगा समय किस काम का। वहीं उसके उलट लगातार 3 घंटे के पढ़ाई मे कॉन्सेप्ट को समझा तो यह पढ़ाई आपके मानसिक और शरीरिक स्वास्थ्य के लिए अधिक बेहतर है। अगर आप टाइमटेबल के अनुसार कुछ चुनिंदा विषय या टॉपिक चुनते हैं और उसी पर फोकस करते हैं तो यह आपकी याददाशत के लिए ठीक है। साथ ही आपका तनाव भी कम होता रहेगा। नियमित व्यायाम, पर्याप्त आराम और विश्राम से स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना मानसिक स्पष्टता और लचीलेपन को बनाए रखता है, जिससे लंबे समय में समग्र उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार होता है।

 

सहपाठी समूह से सीखना
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे अन्य छात्रों के संपर्क में बने रहे। जब भी मौका मिले इन समूहों में शामिल होकर तैयारी करें। यह आपके लिए एक ऐसा महौल तैयार करता है, जिसमें आप एक दूसरे का सहयोग करते हैं कुछ सीखते हैं कुछ दूसरों को सिखाते हैं। और आप जाने अनजाने में तैयारी का बड़ा हिस्सा समूह में रहते ही पूरा कर लेते हैं।  इसके अलावा इससे अध्ययन की गति स्थिर बनी रहती है, प्रेरणा बनी रहती है और प्रतिस्पर्धी भावना को प्रोत्साहन मिलता है। यहां आप  एक-दूसरे की समझ को चुनौती दे सकते हैं और संदेहों को स्पष्ट कर सकते हैं, जिससे सीखने के परिणाम काफी बेहतर होते हैं। यह एक ऐसा मंच होता है, जहां नई रणनीतियों और विचारों का मेल होता है।  समहू में पढ़ना तैयारी की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण संसाधन बन जाता है।
निष्कर्ष
सिविल सेवा परीक्षा केवल कड़ी मेहनत ही नहीं, बल्कि स्मार्ट नजरिए की भी मांग करती है। फीडबैक और मार्गदर्शन के माध्यम से निरंतर सीखना और सुधारना यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में महत्वपूर्ण है। 
अभिषेक गुप्ता राव आईएएस स्टडी सर्कल ने बताया की,
इसके अलावा इस प्रक्रिया में मार्गदर्शन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इसमें शामिल है-
-जरूरी फीडबैक प्रदान करना
-तैयारी रणनीतियों को दुरुस्त करना
-ताकत और कमजोरियों की पहचान करना
-उत्तर लेखन कौशल में सुधार करना।
इससे आपके प्रदर्शन में काफी सुधार होगा और आपकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी।

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