Edited By Isha, Updated: 29 Mar, 2020 12:30 PM
गुडग़ांव और मेवात सहित आसपास के जिलों के किसान जहां मार्च में बेमौसमी बरसात से बेहाल थे, वहीं कोरोना की दस्तक ने उन्हें और भी विवश कर दिया .....
गुडग़ांव (ब्यूरो) : गुडग़ांव और मेवात सहित आसपास के जिलों के किसान जहां मार्च में बेमौसमी बरसात से बेहाल थे, वहीं कोरोना की दस्तक ने उन्हें और भी विवश कर दिया है। इस दौरान जहां सरसों की उनकी फसलें बरबाद हो चुकी है तो वहीं रबी की बाकी फसलें भी आधी-अधूरी हो गई है। आसपास के जो किसान सब्जी और फलों की खेती करते थे वे भी कोरोना के भय से परेशान है और अपनी फसल मंडियों तक नहीं ले जा पा रहे हैं।
किसानों पर कोविड-19 का उल्टा असर देखने को मिल रहा है मेवात और नूंह के अनेक किसानों ने कर्ज लेकर खेती किया था जो कि अब बर्बाद हो चुका है। मार्च के महीने में रुक-रुक कर बरसात उनके लिए आसमान से आफत बनकर गिर रही है। हांलाकि प्रदेश सरकार और मौसम विभाग ने रबी की फसल के लिए इस बार के मौसम को अनुकूल बताया था। जिससे किसानों को उम्मीद बंधी थी कि अच्छी फसल से अच्छा मुनाफा होने पर वह कर्ज की अदायगी कर देंगे।
इस महीने शुरुआती सप्ताह में ही होली के पहले बरसात शुरु हो गई जो कि रबी के फसलों के लिए बर्बादी का कारण रही है। तेज हवा, ओला के कारण फसल बर्बाद हो गई और अबतक गिरदावरी नहीं की गई है। कोरोना के विस्तार से उपजे हालात के कारण मार्च में प्राकृतिक आपदा के मारे सारे किसानों की तकरीबन यही स्थिति है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से पिछले 9 मार्च को गुडग़ांव के अलावा हिसार, रोहतक, भिवानी, महेंद्रगढ़ और नारनौल के जिला प्रशासन को पत्र भेजकर तुरंत गिरदावरी के आदेश दिए गए थे। हांलाकि सरकार की ओर से ड्रोन से गिरदावरी कराने का आदेश दिया गया था।