हरित ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रहे हैं आपूर्तीकर्ता: सिमरन कालरा

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 14 Dec, 2025 07:34 PM

suppliers lagging behind in achieving green energy targets simran kalra

भारत में ग्रिड उत्सर्जन तभी कम होता है जब नई नवीकरणीय क्षमता कोयला-आधारित उत्पादन की जगह लेती है। पीपीए जैसे उच्च-प्रभाव वाले खरीद विकल्प इस बदलाव में योगदान देते हैं।

गुडग़ांव, (ब्यूरो): भारत में आईफोन का उत्पादन तेजी से बढऩे के बावजूद ऐप्पल के आपूर्तिकर्ता हरित ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रहे हैं। महत्वाकांक्षी जलवायु प्रतिबद्धताओं के बावजूद, ऐप्पल के भारत-स्थित आपूर्तिकर्ता जो अब हर पांच में से एक आईफोन का असेंबली करते हैं, नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में केवल मामूली प्रगति कर पाए हैं। यह निष्कर्ष थिंक टैंक क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के नए शोध में सामने आया है। रिपोर्ट की मुख्य लेखिका सिमरन कालरा ने कहा कि भारत में विनिर्माण इकाइयों वाले 13 ऐप्पल आपूर्तिकर्ताओं में से केवल दो ने ही अपनी स्थिरता रिपोर्टों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की जानकारी दी है। यह ऐप्पल के 2030 तक अपनी सप्लाई चेन में 100 प्रतिशत आरई उपयोग के लक्ष्य से बहुत दूर है। ऊर्जा डेटा की मॉनिटरिंग और वेरिफिकेशन में भी कई आपूर्तिकर्ता पीछे हैं। इन कमियों को दूर करना ऐप्पल के स्कोप 3 उत्सर्जन रिपोर्टिंग को विश्वसनीय और सटीक बनाने के लिए आवश्यक है।  

 

भारत में ग्रिड उत्सर्जन तभी कम होता है जब नई नवीकरणीय क्षमता कोयला-आधारित उत्पादन की जगह लेती है। पीपीए जैसे उच्च-प्रभाव वाले खरीद विकल्प इस बदलाव में योगदान देते हैं। इसके विपरीत, केवल आरईसी खरीदने से जीवाश्म-ईंधन आधारित बिजली उत्पादन या खपत में कोई अंतर नहीं पड़ता, इसलिए इन्हें डीकार्बोनाइजेशन में कम-प्रभावी माना जाता है। रिपोर्ट में ऐप्पल और उसके भारत-स्थित आपूर्तिकर्ताओं की नवीनतम सार्वजनिक स्थिरता रिपोर्टों, जलवायु नीतियों और सीडीपी का विश्लेषण शामिल है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 13 में से 10 आपूर्तिकर्ता तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे उन राज्यों में स्थित हैं जहाँ ओपन एक्सेस क्षमता और हरित ऊर्जा वृद्धि दोनों बहुत मजबूत हैं। इसके बावजूद, ये कंपनियाँ अपने संचालन में ओपन एक्सेस आरई का उपयोग नहीं कर रही हैं, जो ऐप्पल की सप्लाई चेन डीकार्बोनाइजेशन के प्रयासों में एक बड़ी कमी को दर्शाता है। क्लाइमेट रिस्क होराइजन्स के आशिष फर्नांडिस ने कहा कि भारत को विनिर्माण केंद्र के रूप में चुनना ऐप्पल का एक सकारात्मक कदम है, लेकिन आरई अपनाने में आपूर्तिकर्ताओं का धीमा प्रदर्शन चिंताजनक है। ऐप्पल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके भारतीय आपूर्तिकर्ता 2030 तक 100 प्रतिशत आरई लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हों।

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