गोवा के मुख्यमंत्री की भूटानी इंफ्रा इवेंट में मौजूदगी पर विपक्ष ने उठाए सवाल, जानें क्या है पूरा मामला

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 19 Sep, 2024 07:54 PM

opposition raised questions on goa chief minister s presence in bhutanese

गोवा में चल रहे भूटानी इंफ्रा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।

गोवा में चल रहे भूटानी इंफ्रा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। भूटानी इंफ्रा इवेंट में उनकी उपस्थिति पर सियासी हलचल तेज हो गई है। भूटानी इंफ्रा कार्यक्रम में सीएम सावंत के शामिल होने को लेकर विपक्षी दल ने सवाल खड़े किए हैं।  गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है। विजय सरदेसाई ने अपने एक्स पर लिखा, 'इस कंपनी द्वारा प्रायोजित एक समारोह में भाग लेने के दौरान भूटानी के सैनकोले परियोजना का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं से मिलने से इनकार करने से आश्चर्य होता है कि क्या हमारे सीएम हिल कटिंग बिल्डर्स एसोसिएशन के सीईओ बन गए हैं।'

 

गोवा के लोग चुप नहीं बैठेंगे : विजय सरदेसाई

उन्होंने गोवा सीएम को टैग करते हुए आगे लिखा, 'उन्हें विधानसभा में परियोजना की समीक्षा करने के आश्वासन को नहीं भूलना चाहिए और यह भी याद रखना चाहिए कि जनता ही उन्हें चुनती है, बेईमान बिल्डर नहीं। अनियमितताओं के नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं और इन पर कार्रवाई करने से सरकार का इंकार पूरे मंत्रिमंडल को बेईमान बिल्डरों की दलाली करार देता है। सीएमओ के पास भू-माफियाओं के लिए वन विंडो क्लीयरेंस है। गोवा के लोग हमारी पहाडिय़ों के हो रहे विनाश पर चुप नहीं रहेंगे और सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेंगे।' वहीं, पूर्व पर्यावरण और वन मंत्री अलीना सलदान्हा ने इन विकास परियोजनाओं के खिलाफ पहले ही आवाज उठाई है। उनका कहना है कि सावंत प्रशासन के तहत निजी वनभूमि की रद्दीकरण की प्रक्रिया गोवा की पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है। उन्होंने मुख्यमंत्री सावंत की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी सरकार की नीतियां कुछ शक्तिशाली डेवलपर्स को लाभ पहुंचाने के लिए हैं, जो गोवा के पर्यावरणीय धरोहर की कीमत पर हैं। 

 

सीएम से जवाब मांगने के लिए लोग हुए थे एकजुट

सांकौले समुदाय भूटानी इंफ्रा परियोजना के विरोध में मुखर है। लोगों का तर्क है कि यह संरक्षण के लिए नामित निजी वन भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि विकास के लिए इस भूमि का रूपांतरण संदिग्ध परिस्थितियों में किया गया है। दरअसल, 15 सितंबर को भूटानी इंफ्रा का कार्यक्रम हुआ था। इस इवेंट में सीएम सावंत शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री के शामिल होने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया था। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री से जवाब मांगने के लिए इवेंट के बाहर एकजुट हो गए थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि गोवा के मुख्यमंत्री भू माफियाओं को समर्थन कर रहे हैं। सांकौले के लोगों का आरोप है कि भूटानी प्रोजेक्ट साइट पर कथित तौर पर गैर-कानूनी गतिविधियों हुई है। स्थानीय लोगों ने साइट पर कामकाजी कर्मचारियों को काम करने से रोक दिया था, लेकिन सरकार ठोस कार्रवाई करने के बजाए इस जमीन पर परियोजना को मंजूरी दे दी है। लोगों का कहना है कि यह जमीन हिल स्टेशन है। इन कर्मचारियों को पुलिस द्वारा सुरक्षा दी गई थी और जब कार्यकर्ताओं ने विरोध किया तो पुलिस मौके से फरार हो गई। लोगों ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वे भू-माफियाओं को समर्थन कर रहे हैं और गोवा की जमीन उनके हाथों में दे रहे हैं। 

 

सीएम सावंत ने दिया जवाब

भूटानी इंफ्रा द्वारा प्रायोजित इंजीनियर्स पुरस्कार समारोह में मुख्यमंत्री की उपस्थिति को उठे विवाद पर खुद सीएम ने जवाब दिया है। सीएम प्रमोद सावंत ने कहा कि उनका भूटानी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम एक निजी समारोह था, जिसका सरकार या भूटानी से कोई संबंध नहीं है। इसके अलावा गोवा सरकार ने कहा कि स्थानीय लोगों के विरोध के मद्देनजर राज्य में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ और भूटानी इंफ्रा प्रोजेक्ट की परियोजनाओं को दी गई अनुमतियों की नए सिरे से जांच की जाएगी। गोवा के नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि उनका विभाग दक्षिण गोवा जिले के संकोले में भूटानी इंफ्रा की परियोजना की जांच करेगा। 

 

क्या है सांकौले विवाद

गोवा के दक्षिणी जिले के सांकौले तटीय, वनभूमि और पहाड़ी इलाका है। यहां के निवासी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं।  सांकौले निवासी भूटानी इंफ्रा प्रोजेक्ट के खिलाफ हैं। लोगों का आरोप है कि सरकार निजी वनभूमि को बिल्डरों और रियल एस्टेट कंपनियों के हाथों में सौंप रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भूमि पर्यावरण संरक्षण के लिए निर्धारित थी और इसे संदिग्ध परिस्थितियों में रियल एस्टेट डेवलपर्स के लाभ के लिए इसे बदल दिया गया है।

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