Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 24 Jan, 2025 06:47 PM
आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (AMTZ) के प्रबंध निदेशक और संस्थापक सी.ई.ओ, डॉ. जितेंद्र शर्मा, देश के हेल्थकेयर और मेडिकल डिवाइस निर्माण के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
गुड़गांव ब्यूरो : आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (AMTZ) के प्रबंध निदेशक और संस्थापक सी.ई.ओ, डॉ. जितेंद्र शर्मा, देश के हेल्थकेयर और मेडिकल डिवाइस निर्माण के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। चित्तरंजन, पश्चिम बंगाल के निवासी डॉ. शर्मा ने अपने करियर में हेल्थ टेक्नोलॉजी और प्रबंधन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और विशेषज्ञता ने आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन को भारत का पहला और सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस निर्माण केंद्र बनाया है। इस जोन में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर देश को चिकित्सा उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है। यह पहल न केवल भारत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक उदाहरण बन चुकी है।
डॉ. शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत से ही स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार को प्राथमिकता दी। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के जिनेवा मुख्यालय में सलाहकार के रूप में काम किया और श्री सत्य साईं अस्पताल और एम्स दिल्ली जैसी संस्थाओं में भी कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया। इसके अलावा, वे ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड में एडजंक्ट फैकल्टी के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनके नेतृत्व में शुरू किए गए मेडटेक इनक्यूबेटर्स ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और नई तकनीकों के विकास के लिए बड़ा योगदान दिया है।
डॉ. शर्मा को उनके कार्यों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें यूरोपीय संघ-भारत यंग लीडर्स अवॉर्ड और लॉफमैन ग्रेटबैच अवॉर्ड शामिल हैं। हाल ही में उन्हें कस्टोडियन ऑफ ह्यूमैनिटी अवॉर्ड से भी नवाजा गया। उनके इन प्रयासों ने भारत को हेल्थ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई पहचान दिलाई है। आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन उनके नेतृत्व में चिकित्सा उपकरणों के विकास के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहां कई स्टार्टअप और शोध संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं।
डॉ. शर्मा का योगदान यह साबित करता है कि उचित दृष्टिकोण और नवाचार के जरिए भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सकता है। उनका यह सफर देश के युवाओं और हेल्थकेयर क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। देश को चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की उनकी इस पहल ने भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई है।