Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 24 May, 2025 07:23 PM

शास्त्रीय गायन, गज़ल और लोकसंगीत, मुशायरा और कवि सम्मेलन, रक्स, पैनल चर्चाएँ, कव्वाली, वाद्य और शास्त्रीय नृत्य आदि की दमदार प्रस्तुतियाँ
गुड़गांव, ब्यूरो : जब सुर, शायरी, कथक और कहानियाँ एक मंच पर सजें, तो समझ लीजिए कि जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत की रूहानी शामें लौट आई हैं। इस बार यह शानदार साहित्योत्सव की शुरुआत 24 मई को गुरुग्राम के द एस्प्लेनेड मॉल, सेक्टर 37सी में शुरुआत हुई, सबसे खास बात कि सभी के लिए प्रवेश निःशुल्क है।
उद्घाटन के साथ ही शुरू हुई 'कथक-कथा', जहाँ रिचा जैन और उनके ग्रुप के थिरकते पैरों और घुँघरुओं की आवाज़ में इतिहास और नृत्य की मधुर मिलन गाथा सुनाई दी। रिचा जैन और उनके ग्रुप ने अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम पर शानदार परफॉरमेंस दी । इसके बाद लेखक डॉ. महेन्द्र भीष्म अपनी चर्चित कृति 'कहानी एक किरदार अनेक' के बहाने भारती जी के साथ संवाद में भारतीय समाज की परतें खोली।
शाम को महफिल में कवियों और शायरों - गुलज़ार वानी (आईआरएस), मीनाक्षी जिजीविषा, रंजन निगम, अनस फैज़ी, इमरान राही, शाकिर देहलवी, हमज़ा बिलाल और नितिन कबीर जैसी नामचीन हस्तियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों के दिलों को छू लिआ।
शाम ढलते-ढलते मंच पर पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा और स्वरांश मिश्रा ने शास्त्रीय गायकी से मन को वृंदावन की गलियों में पहुँचा दिया और फिर डॉ. ममता जोशी और उनके ग्रुप की सूफियाना पेशकश 'मोहे लागी लगन' के साथ पहले दिन का समापन किया। सुरों, शब्दों और संस्कृति का महासंगम कल भी जारी रहेगा ।
इस अवसर पर जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत के संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान ने कहा, "हमारा उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को, हमारी विरासत को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। जश्न-ए-अदब उसी भावना का विस्तार है, जहाँ शब्दों और सुरों से हम एक साझा सांस्कृतिक मंच रचते हैं, जो देश को संस्कृति और साहित्य की विरासत से जोड़ता है।"