यहां कांपी धरती तो मंजर होगा डरावना

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 30 Mar, 2025 08:11 PM

if the earth trembles here the scene will be scary

जानकारों की मानें तो एक दशक पूर्व तैयार की गई यहां सैकड़ों हाइ राइज बिल्डिंगें बिना आडिट तैयार की गई। जो भूकंप के हल्के झटके झेलने में भी सक्षम नही है।

गुड़गांव ब्यूरो : थाईलैंड व म्यांमार में शुक्रवार को 7.7 तीब्रता के भूकंप से न केवल म्यांमार बल्कि पूरी दुनिया थर्रा उठी। इस लिहाज से गुडगांव भी हाईराइज इमारतों का शहर है। जहां इतनी तीब्रता का भूकंप हाइराइज बिल्डिंगें कितना झेल पाएगी। इस पर आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।

 

जानकारों की मानें तो एक दशक पूर्व तैयार की गई यहां सैकड़ों हाइ राइज बिल्डिंगें बिना आडिट तैयार की गई। जो भूकंप के हल्के झटके झेलने में भी सक्षम नही है। अधिकारियों की मानें गुडगांव सहित एनसीआार में 4 से 5 फाल्ट लाइनें है। जो भूकंप का इपीसेंटर बनने के लिए जिम्मेदार होगी।  

 

बिना ऑडिट बनी है इमारतें

अधिकारिक सूत्रों का दावा है कि यहां दशकों पूर्व बनाई गई सैकड़ों मल्टी स्टोरी इमारते बिना आडिट के तैयार की गई हैं। जबकि दो मंजिल से ज्यादा किसी भी इमारत का निर्माण कराने से पहले 4 बातों को अमल में लाना चाहिए। बता दें कि गुडग़ांव सिस्मिक जोन-4 में आता हैं। जहां गनचुंबी इमारतों की तादात हद से ज्यादा हैं। ऐसे में अगर हादसे होते है तो सबसे ज्यादा खतरा भी यही पर होगा।

 

•          निर्माण में चार बातों का रखे खयाल

निर्धारित जगह की सॉइल टेस्टिंग (मृदा परिक्षण) किया जाता हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि मिट्टी कितनी मजबूत हैं। यही मिट्टी इमारतों की बुलंदी की सबसे बड़ी ताकत है। इसीलिए बड़े देशों में बहुमंजिला इमारत के निर्माण से पूर्व मृदा परिक्षण (सॉइल टेस्टिंग ) पर जोर दिया जाता है

•          दूसरा नंबर इमारत के डिजाइन का आता हैं। जो यह तय करता है कि वह आने वाले भविष्य के लिए कितनी कारगर होगी। डिजाइन इमारत की सुरक्षा व उसकी काबिलियत के लिए सबसे अहम मानी जाती है। इसलिए डिजाइन का चलन आज के दौर में सबसे प्रमुख है।

•          तीसरा है इमारत की संरचना जो उसे ज्यादा दिनों तक टिके रहने की ताकत देता हैं। संरचना के आधार पर ही मुगलकालिन दौर की आज भी सैकडों इमारतें बुलंदी से खडी है।

•          चौथा इमारत में प्रयुक्त किए गए मैटेरियल की जो इमारत की मजबूती व कमजोरी की कड़ी को निर्धारित करता है। ये इमारतें सुशांत लोक, डीएलएफ, गलेरिया मार्केट, गोल्फ कोर्स रोड, सैक्टर 43, सैक्टर-53, सहित अन्य इलाके है।

 

वर्जन-

'' शहर में बिना ऑडिट तैयार की जा रही हाईराइज इमारतें शहर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हैं। इसके अलावा फायर विभाग को भी अपग्रेट होने की जरूरत है। पेड़ों की कटाई, बेपरवाह जल दोहन व प्रकृति से छेड़छाड़ भविष्य पर भारी पड़ सकता है। डा. अभय श्रीवास्तव, पूर्व प्रमुख आपदा प्रबंधन विभाग हरियाणा

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