धोखे से बेचा मकान तो निगल गया जहर

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 30 Mar, 2025 07:57 PM

he swallowed poison after being sold a house fraudulently

पटौदी के खंडेवला गांव में जमीन के विवाद के चलते दो दिन पहले आत्महत्या करने के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज परिजनों ने मृतक का शव लेने से इंकार कर दिया।

गुड़गांव, ब्यूरो: पटौदी के खंडेवला गांव में जमीन के विवाद के चलते दो दिन पहले आत्महत्या करने के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज परिजनों ने मृतक का शव लेने से इंकार कर दिया। आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर रविवार दोपहर को मृतक के परिजन व ग्रामीण पुलिस आयुक्त के निवास पर पहुंचे। पुलिस आयुक्त के मौजूद न होने पर लगभग दो घंटे तक उनके निवास के बाहर खड़े रहे। परिजनों की नाराजगी को देखते हुए पटौदी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सुखबीर मौके पर पहुंचे और परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन दिया। मृतक वेदप्रकाश (64 वर्षीय) ने लगभग 12 साल पहले दिल्ली पुलिस से वीआरएस लिया था। पुलिस ने मृतक के सुसाइड नोट के आधार पर मामला दर्ज किया है।

 

मृतक के भाई बालकिशन ने बताया कि मरने से पहले उनका भाई वेदप्रकाश यादव मजिस्ट्रेट के सामने बयान देना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने खुद ही मोबाइल में बयान रिकार्ड कर लिए। मृतक मूलरूप से डूंडाहेड़ा गांव का रहने वाले थे और कई साल हेलीमंडी क्षेत्र में गांव खंडेवला के पास फार्म हाउस बनाकर रहते थे। बीते वीरवार को वेदप्रकाश विवादित जमीन पर पहुंचे और अपना सुसाइड नोट लिखकर जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया।

 

उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि उसके दोस्त देविंदर यादव, उसके लड़के, पुत्रवधू, पुत्रवधू के पापा और उसके दामाद ने धोखाधड़ी करके मकान बेच दिया। मृतक ने अपने नोट में कहा कि आरोपियों की तरफ से प्लाट की एवज में 25 लाख रुपये दिए जा रहे थे, जोकि उन्होंने लेने से मना कर दिया क्योंकि वह उनके जमीन की पूरी कीमत नहीं दे रहे थे। 23 फरवरी की रात आरोपियों ने वेदप्रकाश का सामान बाहर निकालकर घर खाली करवा दिया था और वेदप्रकाश का परिवार किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गया। देविंदर यादव ने 25 मार्च तक रुपये देने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने वेदप्रकाश को उसके हिस्से रुपये नहीं दिए।

 

बार-बार पुलिस के पास शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे मानसिक रूप से परेशान होकर वेदप्रकाश यादव ने जहरीले पदार्थ का सेवन करके आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट लिखने के बाद वेदप्रकाश ने सल्फास की तीन गोलियां निगलकर और सुसाइड नोट की फोटो खींचकर अपने छोटे भाई बालकिशन को व्हाट्सएप पर भेज दी। इस मामले में उसकी पुत्रवधू के सगे फूफा ने धोखा दिया है। उनके भाई ने जब व्हाट्सएप पर सुसाइड नोट पढ़ा तो वे मौके पर पहुंचे और वेदप्रकाश को अस्पताल लेकर गए। जहां से उनको सेक्टर-10 स्थित नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से निजी अस्पताल में ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में भेजा गया। शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम होने के बाद परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वह शव नहीं लेंगे।

 

 

आरोपियों की गिरफ्तारी होने से पुलिस आयुक्त निवास पहुंचे परिजन:

ओरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज परिजन और ग्रामीण रविवार दोपहर को पहले मोर्चरी पहुंचे। इसके बाद वह पुलिस आयुक्त से मिलने के लिए उनके निवास स्थान पर आए। लेकिन पुलिस आयुक्त अपने निवास पर नहीं मिले तो परिजन व ग्रामीण वहीं पर रूक रहे। पुलिस आयुक्त के निवास के सामने लोगों के एकत्रित होने की सूचना मिलने पर सिविल लाइंस पुलिस थाना के प्रभारी अपनी टीम के साथ पहुंचे। इसके बाद पटौदी के सहायक पुलिस आयुक्त सुखबीर, पटौदी थाना के के एसएचओ निरीक्षक विरेंद्र, हेलीमंडी पुलिस चौकी के प्रभारी सत्यप्रकाश भी पहुंचे।

 

सहायक पुलिस आयुक्त सुखबीर से परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तक शव नहीं उठाने की बात कही। इसके साथ ही मृतक के भाई ने अधिकारी से कहा कि चौकी प्रभारी सत्यप्रकाश की कार्यशैली पर विश्वास नहीं है। काफी देर तक अधिकारी जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी करने का आश्वासन देते रहे।

 

वर्जन

आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अपराध शाखा की टीमों को लगा दिया गया है। आरोपियों के मोबाइल फोन बंद हैं। परिजनों की ओर से सूचना मिलने पर मामला दर्ज कर लिया गया था। - सुखबीर, सहायक पुलिस आयुक्त, पटौदी।

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