Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 13 Apr, 2025 05:12 PM
वैश्विक स्तर पर जल आपुर्ति एक बड़ी चुनौती बन गई हैं खासकर भारत जैसे में जहां जनसख्या वृद्धि, वातावरण में बदलाव ,कृषि में उपयोग तकनीके और जीवन दिनचर्या में बदलाव जैसे कारण लगातार बढ़ रहें हैं।
तावडू ब्यूरो :वैश्विक स्तर पर जल आपुर्ति एक बड़ी चुनौती बन गई हैं खासकर भारत जैसे में जहां जनसख्या वृद्धि, वातावरण में बदलाव ,कृषि में उपयोग तकनीके और जीवन दिनचर्या में बदलाव जैसे कारण लगातार बढ़ रहें हैं।
यह उद्गार आदर्श महिला महाविद्यालय में जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए जल संरक्षण प्रकोष्ठ एवं ग्रीन क्लब के सयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक विशेष विस्तार व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता चैयरमैन जियोफिजिक्स विभाग, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रो. भगवान सिंह चौधरी ने कहें। उन्होनें जल संकट की गंभीरता और उसके समाधान के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ. चौधरी ने कहा कि जल संकट आज वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुका है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में, जहां विश्व की 19 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है, वहां मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने जल संकट के प्रमुख कारणों में जनसंख्या वृद्धि, बदलती जीवनशैली, जलवायु परिवर्तन और अप्रयुक्त कृषि तकनीकों को जिम्मेदार ठहराया।
इस अवसर पर उन्होंने जल संरक्षण हेतु कई प्रभावशाली उपाय सुझाए। जिनमें वर्षा जल संचयन, कृषि तकनीकों में सुधार, और घरेलू जल संरक्षण को प्रमुखता दी। उन्होंने आकड़ो के माध्यम से बताया कि यदि हम आज जल बचाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थिति अत्यंत भयावह हो सकती है। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय प्रबंधक समिति के महासचिव अशोक बुवानीवाला ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जल संकट अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकट का रूप ले चुका है। उन्होंने छात्राओं को जल संरक्षण के प्रति जागरूक रहने और समाज में जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।
महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अलका मित्तल ने मुख्य अतिथि का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस व्याख्यान से छात्राओं में जल संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने छात्राओं को घरेलू स्तर पर जल की खपत को कम करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सुमन जांगड़ा और निर्मल मलिक रही। मंच संचालन डॉ. रिंकू अग्रवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. बी.डी आर्य, डॉ. सतीश आर्य सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।