कार्डियोलॉजिस्ट ने वरिष्ठ नागरिकों में एऑर्टिक स्टेनॉसिस के लक्षणों पर जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 14 Dec, 2025 07:25 PM

cardiologists recommend raising awareness about symptoms of aortic stenosis in

देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इसी के साथ कार्डियोलॉजिस्ट चेतावनी दे रहे हैं कि अनेक बुजुर्ग गंभीर हृदयरोग के शुरुआती संकेतों को अनदेखा कर रहे हैं।

गुड़गांव ब्यूरो : देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इसी के साथ कार्डियोलॉजिस्ट चेतावनी दे रहे हैं कि अनेक बुजुर्ग गंभीर हृदयरोग के शुरुआती संकेतों को अनदेखा कर रहे हैं। एऑर्टिक स्टेनॉसिस को अक्सर सामान्य बुढ़ापे के असर के रूप में गलत समझ लिया जाता है। सीढ़ियाँ चढ़ते समय सांस फूलना, चक्कर आना, सीने में जकड़न या अचानक थकावट—इन लक्षणों को आमतौर पर उम्र बढ़ने से जुड़ी थकान मानकर टाल दिया जाता है, जबकि वास्तव में ये हृदय के एऑर्टिक वाल्व के संकुचित होने का संकेत हो सकते हैं।

 

भारत के एक प्रमुख कार्डियक सेंटर द्वारा किए गए अध्ययन में यह सामने आया है कि एऑर्टिक स्टेनॉसिस देश में तीसरा सबसे आम वाल्व रोग है, जो 7 प्रतिशत से अधिक वयस्कों को प्रभावित करता है। जब एऑर्टिक वाल्व कड़ा या संकुचित हो जाता है, तो यह हृदय से शरीर के अन्य हिस्सों तक जाने वाले रक्त प्रवाह को सीमित कर देता है। धीरे-धीरे हृदय की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है, जिसके कारण बेहोशी के दौरे, धड़कन बढ़ना, पैरों में सूजन या हल्की गतिविधि में भी सीने में दर्द जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यदि समय पर उपचार न मिले तो यह स्थिति चुपचाप बढ़कर हार्ट फेलियर या अचानक हृदयगति रुकने की स्थिति तक पहुंच सकती है। लक्षण शुरू होने के बाद दो साल के भीतर, समय पर देखभाल न मिलने पर आधे मरीजों के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है।

 

कुछ साल पहले तक क्षतिग्रस्त वाल्व को बदलने के लिए सिर्फ़ ओपन-हार्ट सर्जरी ही विकल्प था। यह एक बड़ी प्रक्रिया होती थी, जिसमें जोखिम भी अधिक होते थे, खासकर बुज़ुर्ग मरीजों के लिए। लेकिन हाल के वर्षों में कार्डियक केयर में हुई प्रगति ने इलाज की दिशा बदल दी है। ट्रांसकैथेटर एऑर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) अब एक न्यूनतम इनवेसिव विकल्प प्रदान करता है, जिसमें छोटे चीरे के माध्यम से नया वाल्व हृदय तक पहुँचाया जाता है। इस प्रक्रिया में ओपन-हार्ट सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती। डॉ. प्रवीन चंद्रा, चेयरमैन, इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी, मेदांता, गुरुग्राम बताते हैं, “बहुत से लोग यह नहीं समझते कि एऑर्टिक स्टेनॉसिस समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। दवाएँ केवल अस्थायी आराम दे सकती हैं, लेकिन रोग को बढ़ने से रोक नहीं सकतीं। क्षतिग्रस्त वाल्व को बदलना ही इसका एकमात्र दीर्घकालिक और प्रभावी समाधान है। TAVI की मदद से मरीज जल्दी ठीक होते हैं, अस्पताल में कम दिन बिताने पड़ते हैं, और उनकी मेडिकल हिस्ट्री व अन्य बीमारियों के आधार पर जटिलताओं की संभावना भी कम हो सकती है। नई वाल्व तकनीक ने परिणामों में और सुधार किया है, जिससे वाल्व अधिक टिकाऊ हुए हैं और कैल्सिफिकेशन का जोखिम भी कम होता है।”

 

चिकित्सक इस बात पर ज़ोर देते हैं कि समय पर हस्तक्षेप कई जीवन बचा सकता है। शुरुआती पहचान एक सरल स्टेथोस्कोप जाँच से संभव है, जिसमें हृदय की असामान्य ध्वनियाँ सुनाई दे सकती हैं। ये अक्सर एऑर्टिक स्टेनॉसिस का पहला संकेत होती हैं। आज की एक साधारण स्टेथोस्कोप जाँच एऑर्टिक स्टेनॉसिस को समय रहते पकड़ सकती है और आने वाले वर्षों तक हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है।

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