Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 02 Oct, 2023 08:34 PM

फोर्टिस अस्पताल गुडगांव ने एक अनोखी सर्जरी को अंजाम दिया है। दरअसल लंबे समय से बीमार चल रहे एक इराकी मरीज अस्पताल पहुंचा। जहां पेट संबंधी दिक्कतों की जांच के बाद उसका तिल्ली (स्प्लीन) बढा हुआ पाया गया। देर तक चली सर्जरी बाद आखिरकार 5.9 किलोग्राम...
गुड़गांव, ब्यूरो: फोर्टिस अस्पताल गुडगांव ने एक अनोखी सर्जरी को अंजाम दिया है। दरअसल लंबे समय से बीमार चल रहे एक इराकी मरीज अस्पताल पहुंचा। जहां पेट संबंधी दिक्कतों की जांच के बाद उसका तिल्ली (स्प्लीन) बढा हुआ पाया गया। देर तक चली सर्जरी बाद आखिरकार 5.9 किलोग्राम तिल्ला निकालकर मरीज की जान बचा ली।
फोर्टिस अस्पताल बोनमैरो ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख डा राहुल भार्गव ने बताया मरीज को उच्च एचबी व पेट की सूजन की शिकायत थी। वह काफी पुरानी बीमारी के साथ अस्पताल आया था। जांच के दौरान पाया गया कि उसका प्लीहा (स्प्लीन) काफी बढा हुआ है। मरीज की सर्जरी डा सुशील जैन द्वारा की गई। उसके स्प्लेनेक्टोमी के तहत उसके सभी विकल्प समाप्त हो गए थे। प्लीहा धमनी व शिरा का व्यास आमतौर पर क्रमशः 1.5 व 4 सेमी के करीब था। विशेषज्ञों के दावों की मानें तो इतनी विशाल प्लीहा (तिल्ली) अब तक दूसरे मरीजों में नही पाई गई है। इससे पूर्व बडी तिल्ली किस मरीज में पाई गई है उसकी पडताल की जाएगी।
क्या करता है तिल्ली (प्लीहा)
प्लीहा (स्प्लीन) शरीर के अंदर का एक अंग है। जो बाईं ओर पसलियों (रिव्स) के नीचे होता है। शरीर में इंफेक्शन, कैंसर, लिवर जैसी कोई भी समस्या होने से तिल्ली का आकार बढ़ जाता है। जो धीरे धीरे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचता है। हालांकि जागरूकता के अभाव में लोग इसे नजरअंदाज करते है। लेकिन चिकित्सकों की मानें तो इसका तुरंत उपचार स्वास्थ्य के लिहाज से हितकर है।
क्यो निकालते है तिल्ली
थैलेसीमिया के कई रोगियों को स्प्लेनेक्टोमी की आवश्यकता होती है। थैलेसीमिया मेजर (टीएम) वाले ट्रांसफ्यूजन-आश्रित रोगियों में स्प्लेनेक्टोमी के लिए मुख्य चिकित्सीय तर्क आयरन अधिभार को कम करने के अंतिम लक्ष्य के साथ रक्त की खपत और ट्रांसफ्यूजन आवश्यकता को कम करना है।
वर्जन-
“ यह बेहद जटिल व अनोखे मामलों में से एक था। मरीज इराक का निवासी है लंबे समय से पेट समस्या से परेशान था। जांच में पाया गया कि उसकी तिल्ली (स्प्लीन) विशाल रूप में थी। स्वास्थ्य के लिहाज से इसके निकालना जरूरी थी। मरीज की हालत पहले की अपेक्षा अब बेहतर है।” डा राहुल भार्गव प्रमुम बीएमटी विभाग फोर्टिस