अम्बाला से शैलजा होंगी कांग्रेस की प्रत्याशी

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 21 Sep, 2018 11:30 AM

shelja will be congress candidate from ambala

कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राज्यसभा की सांसद् सैलजा को अम्बाला से चुनावी मैदान में उतारना तय माना जा रहा है। सैलजा 2 बार सिरसा से व 2 बार अम्बाला से कांग्रेस की....

अम्बाला(रीटा/सुमन): कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राज्यसभा की सांसद् सैलजा को अम्बाला से चुनावी मैदान में उतारना तय माना जा रहा है। सैलजा 2 बार सिरसा से व 2 बार अम्बाला से कांग्रेस की सांसद् रही हैं। हरियाणा में कांग्रेस का दलित चेहरा मानी जाने वाली सैलजा केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रही व कुछ महीने पहले ही पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिसम्बर में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों का प्रभारी नियुक्त किया है।

सिरसा से 2 बार सांसद् चुने जाने के बाद 2004 में पहली बार उन्होंने अम्बाला से लोकसभा का चुनाव लड़ा, इसमें उन्हें 415264 व भाजपा के रतन लाल कटारिया को कुल 180329 वोट मिले। 2009 में फिर उनका मुकाबला कटारिया से हुआ और उन्होंने केवल 14500 मतों से कटारिया को शिकस्त दी। 2014 में पार्टी ने पूर्व मुख्यमत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा खेमे के राजकुमार बाल्मीकि को यहां से टिकट दिया। भाजपा के रतन लाल कटारिया ने बाल्मीकि को करीब साढ़े 3 लाख वोटों से हरा दिया।

सोनिया गांधी व राहुल गंधी के करीब होने के चलते सैलजा को जनवरी 2014 में हरियाणा से राज्य सभा का सदस्य बनाया गया। अगले साल मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के समय उनका राज्यसभा का कार्यकाल करीब 6 महीने का बकाया रह जाएगा, इसलिए संसद् में पहुंचने के लिए उनका चुनाव लडऩा जरूरी भी होगा। माना जा रहा है कि अम्बाला उनकी पहली पसंद होगी।

दरअसल, सैलजा पिछले 4 सालों से अम्बाला से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है। राज्यसभा में जाने बाद भी वह नियमित रूप से अम्बाला में अपने समर्थकों की बैठकें  करने के अलावा इलाके के लोगों के सुख-दु:ख में भी शामिल होती रही। संसदीय क्षेत्र के सभी 9 हलकों में उन्होंने आने-जाने का सिलसिला भी जारी रखा। अम्बाला शहर व अम्बाला छावनी में उन्होंने अपने संगठन को काफी मजबूत किया। उनके समर्थक पूर्व विधायक जसबीर मलौर 27 सितम्बर को अम्बाला शहर के हुडा ग्राऊंड में उनकी अगुवाई में एक रैली भी कर रहे हैं जो एक तरह से उनके चुनावी अभियान का श्रीगणेश होगा।

सैलजा भी मुख्यमंत्री की दावेदार रही है, शायद यही वजह थी कि हुड्डा से उनकी कभी नहीं बनी। हुड्डा करीब 10 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन एक आध बार छोड़कर उन्होंने हुड्डा से कभी किसी रैली में मंच सांझा नहीं किया। हुड्डा विरोधी नेता अपने राजनीतिक संरक्षण के लिए उनके साथ जुडऩे लगे और हरियाणा कांग्रेस में एक नया मजबूत खेमा बन गया। 2019 में आने वाले लोकसभा चुनावों में एक बार फिर उनका भाजपा से मुकाबला होना है। इनैलो-बसपा गठबंधन भी उनके लिए के बड़ी चुनौती होगा। संसद् में पहुंचने के लिए उन्हें 2 फ्रंट पर लड़ाई लडऩी पड़ेगी, जो 2004 व 2009 की तरह आसान नहीं होगी। 

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