अब साइकिल और रथ दोनों चलेंगे एक साथ!

Edited By Deepak Paul, Updated: 12 Jul, 2018 10:59 AM

now both bicycles and chariots will walk together

गुटबाजी की शिकार चल रही प्रदेश कांग्रेस के लिए सुखद बात यह है कि पार्टी के दो दिग्गज नेताओं अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मिलकर पार्टी के लिए काम करने के संकेत दे दिए हैं। इसकी पहल प्रदेशकांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की ओर से की गई। उसके बाद...

अम्बाला (वत्स): गुटबाजी की शिकार चल रही प्रदेश कांग्रेस के लिए सुखद बात यह है कि पार्टी के दो दिग्गज नेताओं अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मिलकर पार्टी के लिए काम करने के संकेत दे दिए हैं। इसकी पहल प्रदेशकांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की ओर से की गई। उसके बाद हुड्डा के तेवर भी तंवर के प्रति नरम पड़ गए हैं। इससे विपक्ष को तो झटका लगना ही है, साथ ही कांग्रेस में इन दोनों के विरोधियों के भी पसीने छूटने तय हैं। 

प्रदेश कांगे्रस लगातार गुटबाजी की शिकार रही है। किरण चौधरी, कुमारी शैलजा, रणदीप सुर्जेवाला और कैप्टन अजय सिंह यादव आदि नेता अपनी अलग-अलग राह पर चल रहे हैं। बड़ी गुटबाजी अभी तक तंवर और हुड्डा के बीच चल रही थी। काफी समय से दोनों एक मंच पर नजर नहीं आए। उलटा जब भी मौका मिलता, एक-दूसरे पर कटाक्ष करने में पीछे नहीं रहते थे। इस गुटबाजी के चलते कांग्रेस की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं थी। अगर यह गुटबाजी आगे भी चलती रहती तो आगामी चुनावों में कांग्रेस को इससे बड़ा नुक्सान होने की आशंका थी। 

पार्टी हाईकमान की ओर से भी इस गुटबाजी को खत्म करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए थे। ‘चौधर’ की लड़ाई में हुड्डा खेमा चुनावों से पहले तंवर खेमे को मात देना चाह रहा था। दोनों के बीच असली जंग की शुरूआत दिल्ली में कांग्रेस की रैली में हुई थी। उस रैली में हुड्डा समर्थकों ने तंवर के साथ मारपीट कर दी थी। इसके बाद एक और जनसभा में तंवर ने एक हुड्डा समर्थक को कोहनी मारकर इस गुटबाजी को और हवा देने का काम कर दिया था, तब से लेकर अभी तक दोनों नेताओं व उनके समर्थकों के बीच जमकर खींचतान चली आ रही है।

इन दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग चल रही थी। कांग्रेस के कार्यक्रमों में दोनों नेता पगडिय़ों के आधार पर अपने-अपने समर्थकों की भीड़ दिखाने का काम करते थे। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली में आयोजित पहली रैली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इस बात का निर्णय लेना पड़ा था कि कार्यकर्ता किसी भी रंग की पगड़ी पहन कर आने की बजाय तिरंगे रंग की पगड़ी पहन कर आएंगे। इसके बावजूद वाहनों पर स्टीकर के माध्यम से दोनों नेताओं ने शक्ति प्रदर्शन करने का काम किया था। गत दिनों रोहतक में दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच होॄडग्स को लेकर काफी जंग चली थी। दोनों नेताओं ने आगामी चुनावों की तैयारियां शुरू की हुई हैं। अशोक तंवर 19 जुलाई से एक बार फिर साइकिल यात्रा शुरू कर रहे हैं।

हुड्डा भी अपनी रथ यात्रा को आगे बढ़ाने की तैयारी में लगे हैं। दोनों के बीच गुटबाजी का कांग्रेस को आने वाले समय में नुक्सान हो सकता था। कुछ दिन पूर्व अशोक तंवर ने इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए बोल दिया था कि उनके हुड्डा के साथ मतभेद और मनभेद दोनों हैं, परंतु प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए वह उनके साथ मंच सांझा करने को तैयार हैं। तंवर के इस बयान के बाद हुड्डा ने अब अपने तेवर नरम करते हुए साफ कर दिया कि उनके तंवर के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। इन दोनों नेताओं के एक मंच पर आने से कांग्रेस को मजबूती मिलना निश्चित है। 
 

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