बौद्ध गुरु दलाई लामा ने करी थी इस स्थान की यात्रा, जानें महत्व

Edited By Updated: 12 May, 2017 12:21 PM

buddhist guru dalai lama visited this place

चीन के साथ लगते देश के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश की राजधानी है ईटानगर। यह एक शांतिपूर्ण स्थान, मजेदार नाइट क्लबों और अच्छे भोजन के लिए मशहूर

चीन के साथ लगते देश के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश की राजधानी है ईटानगर। यह एक शांतिपूर्ण स्थान, मजेदार नाइट क्लबों और अच्छे भोजन के लिए मशहूर है। असम के प्रमुख शहर गुवाहाटी से ईटानगर का सफर करीब 6 घंटे का है। यह रास्ता भी बेहद सुंदर है। हरे-भरे परिवेश के बीच यह सफर यादगार बन जाता है। ईटानगर से 10 किलोमीटर दूर नाहरलागुन रेलवे स्टेशन है। 2014 में ही तैयार किया गया यह स्टेशन काफी साफ-सुथरा है। ईटानगर में स्थित गंगा झील बेहद खूबसूरत है। इसका पौराणिक महत्व भी माना जाता है। पेड़ों से घिरी यह झील बिल्कुल शांत है। यहां नौका विहार की सुविधा भी है। यदि चाहें तो इसके किनारे बैठ कर शांत पलों का आनंद भी ले सकते हैं। ईटानगर में खाने-पीने के लिए अनेक अच्छे रेस्तरां हैं जिनमें एक मणिपुरी रेस्तरां भी शामिल है।

एक पहाड़ी पर स्थित नवनिर्मित बहुउद्देशीय सांस्कृतिक केंद्र है तो दूसरी ओर नाइट लाइफ का आनंद लेने वालों के लिए भी यहां क्लब हैं जहां रंग-बिरंगी रोशनी और जोरों से बजते संगीत पर नाच सकते हैं। ईटानगर के पास स्थित गोम्पा एक बौद्ध मठ है। मठ में बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित बौद्ध प्रतिमा है तथा रंगीन प्रार्थना झंडे एक सुखदायक व शांत माहौल का आभास करवाते हैं। बौद्ध गुरु दलाई लामा भी इसकी यात्रा कर चुके हैं। इसका निर्माण तिब्बती शैली में किया गया है। इसकी छत से पूरे ईटानगर के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। इसमें एक संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है। इसका नाम जवाहर लाल नेहरू संग्रहालय है। यहां से पर्यटक पूरे अरुणाचल प्रदेश की झलक देख सकते हैं। यहां सेंकी व्यू नदी भी बहती है। ईटानगर को उसके अनेक पुरातत्व स्थलों के लिए भी जाना जाता है। ईटा किला (ईंटों का किला) अरुणाचल प्रदेश के सबसे मनमोहक पर्यटक स्थलों में से एक है। ईटानगर नाम का उद्भव ईटा किला से ही हुआ है जिसकी संरचना अनियमित है।

शहर के केन्द्र में स्थित होने के कारण यहां शहर के किसी भी कोने से आसानी से पहुंचा जा सकता है। किले का इतिहास 14वीं-15वीं शताब्दी का है। निर्माण में 16,200 घन मीटर लम्बी ईंटें प्रयुक्त हुई हैं। कुछ इतिहासकार इन ईंटों को मायपुर के शासक रामचन्द्र के समय का मानते हैं। इस किले के निर्माण में 80 लाख से अधिक ईंटों का प्रयोग किया गया है। सदियों बाद भी किला प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ बुलन्द खड़ा है। अहोम भाषा में ईंटों को ईटा कहा जाता है और वहीं से यह नाम आया है। किले में पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिण दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है। किले की कुछ पुरातत्व खोजों को जवाहर लाल नेहरू संग्रहालय, ईटानगर में संरक्षित किया गया है।

डिरांग घाटी में यहां पर लकड़ियों से बनी खूबसूरत वस्तुएं, वाद्ययंत्र, शानदार कपड़े, हस्तनिर्मित वस्तुएं और बेंत की बनी सुंदर कलाकृतियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। ईटानगर से 20 कि.मी. की दूरी पर पापुम पेर है। यह हिमालय की तराई में बसा कस्बा है। इस कारण पर्यटक यहां हिमालय की अनेक सुंदर चोटियों को देख सकते हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!