पाकिस्तान में यहां गिरा था शिव का आंसू..और बन गया अमृत कुंड, दर्शन के लिए जाएंगे 200 श्रद्धालु

Edited By Updated: 14 Oct, 2015 02:14 PM

sri ktas raj dham yatra held on december

इस बार 10 से 16 दिसंबर तक पाकिस्तान स्थित श्री कटास राज धाम की यात्रा होगी और इसके लिए दिल्ली विदेश मंत्रालय ने यात्रियों के नाम भी मांगे हैं।

यमुनानगर: इस बार 10 से 16 दिसंबर तक पाकिस्तान स्थित श्री कटास राज धाम की यात्रा होगी और इसके लिए दिल्ली विदेश मंत्रालय ने यात्रियों के नाम भी मांगे हैं। केंद्रीय सनातन धर्म उत्तरी भारत सभा के केंद्रीय प्रधान शिव प्रताप बजाज ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने सभा की ओर से भेजे गए यात्रा कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी है और यात्रा के कार्यक्रम के बारे में पाकिस्तान सरकार को भी अवगत करा दिया गया है।

बजाज ने बताया कि इंडो-पाक 1974 के प्रोटोकॉल मुताबिक देशभर से 200 हिंदू यात्रियों को श्री कटास राज यात्रा की अनुमति मिली हुई है। उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान में अंदरूनी खींचतान होने के बाद भी यात्रा के लिए अनुमति मिली है ये बहुत बड़ी बात है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले यात्रा आचार्य बक्शी लाल के नेतृत्व में 1982 में 20 डेलीगेट के साथ गई थी। इस यात्रा के लिए उनको 35 साल तक संघर्ष करना पड़ा था। बजाज न बताया कि ये यात्रा साल में दो बार जाती है।

ये भी है मान्यता
महाभारत काल में पांडव वनवास के दिनों में इन्हीं पहाडिय़ों में अज्ञातवास में रहे। यहीं वह कुंड है जहां पर पांडव प्यास लगने पर पानी की खोज में पहुंचे थे। कुंड पर यक्ष का अधिकार था। नकुल पानी लेने गया जब पानी पीने लगा तो यक्ष ने पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो लेकिन वह उसके प्रश्नों का उत्तर न दे सका और पानी पीने लगा। यक्ष ने उसको मूर्छित कर इसी प्रकार सहदेव, अर्जुन व भीम चारों भाई एक एक करके पानी लेने गए। कोई भी यक्ष के प्रश्नों का उत्तर न दे सका और फिर भी पानी लेने का प्रयास किया। ऐसा करने पर यक्ष ने चारों भाइयों को मूर्छित कर दिया। आखिर में चारों भाइयों को खोजते हुए युधिष्ठिर कुंड के किनारे पहुंचे और अपने भाइयों को ऐसी हालत में देख घबरा उठे, तब युधिष्ठिर ने यक्ष के सवालों का जवाब दिया था।

पहले थे 192 मंदिर
रिकार्ड के मुताबिक विभाजन से पहले श्री कटास राज धाम में 192 मंदिर थे। श्री कटास राज धाम पाकिस्तानी पंजाब में है जो कि हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इस जगह पर प्राचीन शिव मंदिर है। इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। मान्यता है कि जब माता पार्वती सती हुई तो भगवान शिव की आंखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका वहां अमृत कुंड बन गया जो आज सरोवर अमृत कुंड तीर्थ स्थान श्री कटास राज के रूप में प्रसिद्ध है तो दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में गिरा जो पुष्करराज तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।

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