फास्टैग में सेंधमारी का पहला मामला, हिमाचल के कारोबारी के साथ ऐसे हुई ठगी

Edited By Shivam, Updated: 15 Jan, 2020 03:25 PM

चंडीगढ़ के रहने वाले मुकेश सैनी जो हिमाचल के बद्दी में कारोबारी हैं, उनके साथ फास्टैग (Fastag) के माध्यम से ठगी हुई है। मुकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी फॉच्र्यूनर कार के लिए बद्दी, हिमाचल से ही फास्टैग (Fastag) लिया था। जिसकी डिटेल जांचने पर उन्हें...

चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र (रणदीप रोड़): बीते साल दिसंबर माह में देश भर में फास्टैग (Fastag) की अनिवार्यता लागू कर दी गई। दावा किया गया कि इससे वाहन चालकों का समय बचने के साथ ही टोल पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी और देश डिजिटलाईजेशन की ओर आगे बढ़ेगा। लेकिन डिजिटलाईजेशन के लिए लाए गए फास्टैग (Fastag) को लेकर वाहन चालकों के पैसों पर सुरक्षा नाम मात्र है, जिसका पहला उदाहरण सामने आया है।

दरअसल, चंडीगढ़ के रहने वाले मुकेश सैनी जो हिमाचल के बद्दी में कारोबारी हैं, उनके साथ फास्टैग (Fastag) के माध्यम से ठगी हुई है। मुकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी फॉच्र्यूनर कार के लिए बद्दी, हिमाचल से ही फास्टैग (Fastag) लिया था। जिसकी डिटेल जांचने पर उन्हें पता चला कि उनके खाते से आंध्र-प्रदेश व तमिलनाडू राज्यों के टोल प्लाजा पर कई बार टोल कटा है।

डिटेल जांचने पर उड़े होश
पहले तो मुकेश को ये पता नहीं था कि पैसे कट रहे हैं या नहीं। मुकेश सैनी ने 12 जनवरी को चंडीगढ़ चंडी मंदिर टोल पर चार बार क्रास किया, वहां फास्टैग (Fastag) से टोल की पेमेंट हो गई, उनके पास मैसेज भी आ गया। बाद में पवन ने अपने फास्टैग (Fastag) खाते की डिटेल देखी तो उनके पांव तले जमीन खिसक गई। डिटेल में पाया कि फास्टैग (Fastag) के माध्यम से आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु के उन टोल प्लाजा पर उनके खाते से पेमेंट हो गई जो उसने जिंदगी में कभी देखे नहीं हैं।

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एक ही दिन में 13 जगह कटे पैसे
फास्ट टैग की इस सेंधमारी का खेल 7 जनवरी को शुरू हुआ। डिटेल देखने पर पता चला 7 तारीख को तमिलनाडु के टोल पर 40 रुपये फास्टैग (Fastag) से कट गए उसके बाद तो यह खेल धड़ल्ले से चला और 12 जनवरी को एक दिन में ही 13 स्थानों पर जिनमें 11 आंध्र प्रदेश व 2 तमिल नाडु के टोल पर फास्टैग (Fastag) के जरिए पैसे कट गए।

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पुलिस को दी शिकायत
मुकेश ने बताया कि उसका फास्टैग (Fastag) एक्सिस बैंक से अटैच है। मुकेश ने हिमाचल प्रदेश बद्दी में में ही फास्टैग (Fastag) लिया था तो व तुरंत हिमाचल प्रदेश बद्दी एक्सिस बैंक पहुंचे। वहां बैंक वालों ने अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद मुकेश सैनी पुलिस के पास शिकायत दी है।

फास्टैग (Fastag) में सेंधमारी का संभवत: पहला मामला
हिमाचल में लिए गए फास्टैग (Fastag) से हजारों किलोमीटर दूर टोल भुगतान कैसे हुआ? इस डिजिटल सेंधमारी के पीछे क्या कोई रैकेट है? यह फास्टैग (Fastag) पर बड़ा सवाल है। मुकेश सैनी के साथ हुई फास्टैग (Fastag) में सेंधमारी की खबर अब तक की माने जाने वाली पहली खबर है। आने वाले दिनों में अन्य वाहन चालकों के फास्टैग (Fastag) में सेंधमारी हो जाए इस संभावना से नकारा नहीं जा सकता।

क्या है फास्टैग (Fastag)? 
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फास्टैग (Fastag) इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है। इस टैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है।जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग (Fastag) को ट्रैक कर लेता है। इसके बाद आपके फास्टैग (Fastag) अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है। इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके ही टोल पेमेंट कर सकते हैं। वाहन में लगा यह टैग आपके प्रीपेड खाते के चालू होते ही अपना काम शुरू कर देगा। वहीं, जब आपके फास्टैग (Fastag) अकाउंट की राशि खत्म हो जाएगी, तो आपको उसे फिर से रिचार्ज करवाना पड़ेगा।
 

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