Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Nov, 2017 02:41 PM
अगर यशपाल मलिक को समाज की बेहतरी के लिए ही कार्य करना है तो उन्हें जाट युवाओं की रिहाई के लिए आंदोलन चलाना चाहिए व जाति विशेष के आरक्षण की बजाय अार्थिक आधार पर आरक्षण की लड़ाई को तेज करना चाहिए। इससे 36 बिरादरी के सभी गरीब व पिछड़े लोगों को लाभ मिल...
रोहतक(का.प्र.):अगर यशपाल मलिक को समाज की बेहतरी के लिए ही कार्य करना है तो उन्हें जाट युवाओं की रिहाई के लिए आंदोलन चलाना चाहिए व जाति विशेष के आरक्षण की बजाय अार्थिक आधार पर आरक्षण की लड़ाई को तेज करना चाहिए। इससे 36 बिरादरी के सभी गरीब व पिछड़े लोगों को लाभ मिल सकेगा लेकिन यशपाल मलिक आरक्षण का मुद्दा बनाकर जाट समाज का ध्यान भटका कर पैसा इकट्ठा करने में लगा हुआ है, जिससे उनकी विश्वसनीयता का पता हरियाणा के जाट समाज को लग चुका है। यह बात बुधवार को गोहाना रोड पर हरियाणा जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप हुड्डा ने कार्यकर्ताओं की बैठक को सम्बोधित करते हुए कही।
हरियाणा जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ने कहा कि इस तरह के जाट नेताओं के कार्यक्रमों का जनता को पूर्ण रूप से बहिष्कार करना चाहिए तथा सरकार को जातिगत रैलियां करने की छूट देने की बजाय ऐसी रैलियों को बैन कर देना चाहिए ताकि प्रदेश का भाईचारा खराब न हो। उत्तर प्रदेश में इन जैसे जाट नेता का अपना कोई वजूद नहीं है तथा यहां आकर हरियाणा प्रदेश के कुछ लोगों को बहका कर व पैसों का लोभ लालच देकर जाटों को बरगलाने का काम कर रहा है। लोगों को चाहिए कि ऐसे तथाकथित नेताओं को आईना दिखाकर हरियाणा से चलता कर देना चाहिए।
उन्होंने आशंका जताई है कि 26 नवम्बर को जसिया में होने वाली रैली में झगड़े की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है इसलिए सरकार व प्रशासन को इस कार्यक्रम को तुरंत स्थगित कर क्षेत्र में शांति बहाल करनी चाहिए। राजकुमार सैनी व यशपाल मलिक जैसे जाट नेताओं का किसी भी समाज की भलाई में कोई योगदान नहीं है। इस तरह के नेता समाज में वैर भाव उत्पन्न कर अपनी राजनीतिक दुकानदारी चमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण से कभी देश का भला नहीं हो सकता, आरक्षण की लड़ाई जातिगत आधार पर होने की बजाय अार्थिक आधार पर होनी चाहिए। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रेम सिंह सांगवान, रामचंद्र, राज सिंह बलियाणा, सूबेदार सुरेंद्र हुड्डा, रविंद्र दलाल, संदीप हुड्डा, होशियार सिंह, विजय हुड्डा, कप्तान सिंह, शमशेर सिंह, करतार सिंह राठी व अधिवक्ता प्रवीण डबास आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।