जिस दिन हुअा उदय, उसी दिन निगम को भंग करने की तैयारी में सरकार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Jan, 2018 01:36 PM

government preparing to dissolve the corporation on the same day

जिस तारीख को नगर निगम अम्बाला का उदय हुआ, उसी तारीख को न.नि. अस्त होने जा रहा है। गौरतलब है कि 16 जनवरी 2013 को कांग्रेस सरकार के पूर्व सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अम्बाला न.नि. का गठन किया था। वहीं भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की...

अम्बाला शहर(ब्यूरो):जिस तारीख को नगर निगम अम्बाला का उदय हुआ, उसी तारीख को न.नि. अस्त होने जा रहा है। गौरतलब है कि 16 जनवरी 2013 को कांग्रेस सरकार के पूर्व सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अम्बाला न.नि. का गठन किया था। वहीं भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की सिफारिश पर 16 जनवरी 2013 को न.नि. अम्बाला की भंगता पर मोहर लगने जा रही है। मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में जहां प्रदेश के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी, तो वहीं अम्बाला न.नि. भंग के प्रमाण पत्र भी मोहर लग सकती है। 

अम्बाला न.नि. के 5 साल के इतिहास में शहर विकास को लेकर न.नि. में न तो कोई ठोस प्लान बना और न ही अधिकारियों में तालमेल रहा। जिस कारण न.नि. बनने के उपरांत भी शहर का विकास कछुआ चाल में रहा। हालांकि इस दौरान केंद्र सरकार के कई बड़े प्रोजैक्टस की सौगात भी मिली लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से उन प्रोजैक्टस का भी उचित ढंग से प्रयोग नहीं हुआ, जिस कारण अम्बाला स्मार्ट सिटी व स्वच्छता सर्वेक्षण के पाले से बाहर निकला।   

अधिवक्ता ने आर.टी.आई. में मांगा जवाब
16 जनवरी को प्रस्तावित हरियाणा कैबिनेट की अहम बैठक में अन्य मुद्दों के अतिरिक्त अम्बाला एवं पंचकूला न.नि. को औपचारिकतौर पर समाप्त करने के फैसले पर मोहर लग सकती है। वहां यह देखने लायक होगा कि खट्टर सरकार इस बाबत हरियाणा न.नि. अधिनियम 1994 में ऐसा कौन-सा संशोधन करती है। जिससे ऐसा कदम उठाने से कोई कानूनी अड़चन पेश न आए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने पिछले माह इस संबंध में हरियाणा के महामहिम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को एक पत्र याचिका भेजकर यह अनुरोध किया था कि यदि राज्य सरकार न.नि. को तोडऩा चाहती है तो उसे पहले न.नि. अधिनियम, 1994 में उपयुक्त संशोधन करना पड़ेगा क्योंकि वर्तमान में इसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

न.नि. को भंग करना एवं समाप्त करना को अलग-अलग पहलू है तथा इनका अंतर समझा जाना चाहिए। मौजूदा, 1994 अधिनियम की धारा 400 के अंतर्गत राज्य सरकार कुछ विशेष परिस्थितियों में न.नि. को भंग कर सकती है। जैसा कि तत्कालीन चौटाला सरकार ने सितम्बर, 2002 में फरीदाबाद न.नि. के संबंध में किया था परंतु ऐसा करने से न.नि. समाप्त नहीं होता बल्कि 6 महीने के अंदर वहां नए चुनाव करवाने पड़ते हैं। हालांकि चौटाला सरकार ने ऐसा नहीं किया था एवं इस बाबत 6-6 महीने का विस्तार किया जाता रहा। 

अंतत: वर्ष 2005 में हुड्डा सरकार में वहां न.नि. के अगले आम चुनाव हुए जहां तक न.नि. को तोडऩे या समाप्त करने का पहलू है तो आज की तारीख में, 1994 के अधिनियम में इसका कोई प्रावधान नहीं है। अधिवक्ता हेमंत ने बताया कि अगर खट्टर सरकार अम्बाला एवं पंचकूला न.नि. को तोड़कर उनके क्षेत्र को द्विभाजित कर वहां नगर परिषदों की घोषणा करना चाहती है तो उसे तत्काल रूप में महामहिम राज्यपाल से एक अध्यादेश जारी करवाकर 1994 के अधिनियम में उपयुक्त संशोधन करवाना पड़ेगा जिसे बाद में राज्य विधानसभा में विधेयक के तौर पर पारित करवाया जा सकता है। 

सत्येंद्र दूहन, कमिश्नर, न.नि., अम्बाला
कैबिनेट की बैठक न.नि. को लेकर जो निर्णय होगा वह मंजूर होगा। शहर के विकास को लेकर वे प्रयासरत हैं और आगे भी रहेंगे। 
 

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