Edited By Deepak Paul, Updated: 23 Mar, 2019 10:02 AM
हरियाणा में 1967 से 2014 तक हुए 16 संसदीय चुनावों में जब भी विपक्ष कांग्रेस...
जींद (मलिक) : हरियाणा में 1967 से 2014 तक हुए 16 संसदीय चुनावों में जब भी विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हुआ तो वह कांग्रेस पर भारी पड़ा। संयुक्त विपक्ष के सामने कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा तो विपक्ष में बिखराव का फायदा कांग्रेस पार्टी को मिला और वह बिखरे हुए विपक्ष पर भारी पड़ी। 12 मई को होने वाले संसदीय चुनावों में यही स्थिति अब सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए बनने जा रही है।
प्रदेश के मतदाता कांग्रेस समर्थक या कांग्रेस विरोधी विचारधारा के बीच ज्यादातर संसदीय चुनावों में बंटे रहे हैं। हरियाणा की राजनीति में कभी एक धुरी कांग्रेस होती थी और विपक्ष के कई घटक कांग्रेस विरेाधी राजनीति के लंबरदार रहे हैं। इसके विपरित जब भी कांग्रेस को बिखरे हुए विपक्ष के साथ चुनाव लडऩा पड़ा तो इसमें सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को हुआ और वह बिखरे विपक्ष पर भारी पड़ी। अब कांगे्रस की जगह भाजपा ने ले ली है और लोकसभा चुनावों में विपक्ष अलग-अलग होकर भाजपा से लड़ेगा तो फायदा भाजपा को होगा और विपक्ष अगर भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ता है तो फिर फायदा विपक्ष को होगा।