लॉकडाउन में मजदूरों के पास नहीं बचा राशन, खाने के लिए नहीं मिल रही प्रशासन की कोई मदद

Edited By Manisha rana, Updated: 13 May, 2020 04:38 PM

workers not having ration left in lockdown administration

प्रदेशभर में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के सामने खाने की वस्तुओं को लेकर समस्या उत्पन्न हो रही है। वहीं गोहाना में 30 से ज्यादा मजदूर....

गोहाना (सुनील जिंदल) : प्रदेशभर में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के सामने खाने की वस्तुओं को लेकर समस्या उत्पन्न हो रही है। वहीं गोहाना में 30 से ज्यादा मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं। उनका आरोप यह है कि उनके पास न तो काम है और ना ही खाने-पीने का कोई राशन है। उन्होंने प्रशासन पर भी आरोप लगाया है कि प्रशासन की तरफ से भी खाने के लिए कोई मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी- बड़ी इमारतें खड़ी करने वाला और उन इमारतों को रंग रोगन से चमकाने वाला मजदूर होता है।

कोरोना महामारी से लगे लॉकडाउन के दौरान मजदूर इतना मजबूर हो गया है कि आज उसके खाने का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है। एक तरफ घर छोड़ कर परदेश में अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए आए मजदूरों के हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि मजदूर रोता बिलखता यहीं बोल रहा है कि हमको हमारे घर भिजवा दो। गोहाना में रह रहे 30 से ज्यादा मजदूर इतने ज्यादा परेशान हो गए हैं कि वो अपने घर जाना चाहते हैं, हालांकि जाने के लिए 5 मई को अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा चुके हैं, लेकिन अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि आखिर कब उनको घर भेजा जाएगा। 

वहीं मजदूरों के हालात यह भी है कि उनके पास कमाया हुआ जो पैसा था उससे राशन खरीद कर अपना पेट भर लिया, लेकिन वो भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया। गोहाना प्रशासन ने लॉक डाउन के चलते ही मजदूरों को यह आश्वासन दिया था कि वे जहां भी है वहीं रुक जाए। उनके रहने और खाने की व्यवस्था गोहाना प्रशासन द्वारा किया जाएगा। हालांकि मजदूरों का यह भी कहना है कि शुरुआत के 5 से 7 दिन तक उनको किसी निजी संस्था द्वारा भोजन भिजवाया गया, लेकिन दो-चार दिन के बाद ही उनके पास खाना पहुंचना बंद हो गया और अब हालात उनके सामने यह है कि ना तो खाने को भोजन मिल रहा है और ना ही प्रशासन की तरफ से कोई मदद मिल रही है।

गोहाना प्रशासन से कई बार यह मजदूर मिलने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन आखिर मजदूर तो हमेशा ही मजबूर देखा जाता है और उनकी इस मजबूरी को देख कर भी शायद उन्हें अधिकारी तक भी नहीं जाने दिया जाता। मजदूरों का दर्द कितना जायज है कि यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उन्होंने प्रशासन पर आरोप जरूर लगाए हैं कि उन तक खाना नहीं पहुंचता है। मीडिया के जरिए अपनी बात पहुंचने के लिए मजदूरों ने अपना दुखड़ा जरूर रखा है, अब देखना ये होगा कि इन मजबूर लोगों के लिए प्रशासन क्या इंतज़ाम करेगा।

एसडीएम आशीष वशिष्ठ ने बताया कि प्रवासी मजदूरों  के लिए खाने और रहने की हर व्यवस्था का ध्यान दिया जा रहा है और लगातार प्रवासी मजदूरों तक खाना भी पहुंचाया जा रहा है। वहीं मजदूरों के उनके राज्य में भेजने के लिए विशेष ट्रैन शेडयूल के अनुरूप भेजी जा रही है, उसी के अनुसार ही इन मजदूरों को भेजा जाएगा।

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