सड़कों पर दौड़ती इस मौत का आखिर जिम्मेदार कौन ? बिना नंबर प्लेट के दौड़ रहे ओवरलोडिड़ ट्रैक्टर-ट्राली

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 01 Apr, 2024 04:36 PM

who is ultimately responsible for this death running on the streets

सडक़ों पर बिना नंबर प्लेट और बिना कोई सेफ्टी के दौड़ते हुए ये ट्रैक्टर और बड़े आकार की ट्राली लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं जिनमें ज्यादातर ऐसे ट्रैक्टर-ट्राली हैं जिनमें पराली या यूं कहें कि धान के अवशेष लदे होते हैं।

गुहला/चीका (कपिल) : सडक़ों पर बिना नंबर प्लेट और बिना कोई सेफ्टी के दौड़ते हुए ये ट्रैक्टर और बड़े आकार की ट्राली लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं जिनमें ज्यादातर ऐसे ट्रैक्टर-ट्राली हैं जिनमें पराली या यूं कहें कि धान के अवशेष लदे होते हैं। इन भारी भरकम रास्ता जाम करने वाले वाहनों को लेकर प्रशासन की पकड़ इतनी ढ़ीली है कि ये बे-रोक-टोक चल रहे हैं जबकि इनकी वजह से न जाने कितने हादसे प्रतिदिन हो रहे हैं इस बारे कहा भी नही जा सकता। आधे से ज्यादा सडक़ को घेर कर चलने वाले ये वाहन किसानों के निजी वाहन न होकर कुछ गिने चुने व्यापारिक लोगों के वाहन हैं जबकि इन वाणिज्यिक वाहनों को चलाने वाले ड्राईवर खुद को किसान बताकर न केवल जनता का ध्यान भटकाने का काम करते हैं बल्कि प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का काम भी करते हैं। इन ट्रैक्टर-ट्रालियों में ज्यादातर के अगले व पिछले हिस्से में नंबर प्लेट तक मौजूद नही रहती जबकि किसी भी दुर्घटना घटने की स्थिति में इस प्रकार के किस वाहन द्वारा दुर्घटना की गई है इस बात की जानकारी मिलना भी मुश्किल ही होगा। इन वाहनों की वजह से अक्सर शहर में जाम लग जाता है जबकि अक्सर खरकां रोड़ से चीका के शहीद उधम सिंह चौंक होकर ये वाहन कैथल रोड़ पर जाते हैं ऐसे में यदि ये वाहन चीका गुहला को जाने वाले नहर के रास्ते से भी निकाल दिए जाएं तो भी शहर की भीड़-भाड़ को इनकी प्रतिदिन की समस्या से निजात मिल सकेगी।

क्या कहते हैं डी.एस.पी.

इस संबंध में डीएसपी गुहला कुलदीप बैनिवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर लोग परेशान हैं इसमें कोई दो-राय नही है। इस मामले को लेकर व आर.टी.ए. कैथल एवं एस.एच.ओ. यातायात से बात करेंगे।

क्या कहते हैं आर.टी.ए.

इस मामले में आर.टी.ए. कैथल गिरीश अरोड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला  उनके संज्ञान में है और इस मामले को लेकर संबंधित मार्केट कमेटी सचिवों के साथ जल्द ही एक बैठक आयोजित कर उनके माध्यम से इन चालाकों को चेतावनी दी जाएगी। उसके बावजूद भी यदि इनके द्वारा कोई सुधार नही किया गया तो चालान प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिसके लिए ये लोग खुद जिम्मेदार भी होंगे।

अब पराली लेकर जाने वाला कोई किसान नहीं, सीजन खत्म, किसान का मुद्दा खत्म : कसाना

भारतीय किसान यूनियन चढूनी के युवा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सीजन चलने तक ही किसान पराली आदि की व्यवस्था पूरी कर लेता है। प्राईवेट काम के जरिये किसानों का नाम बदनाम करने वाले व्यापारी संभल जाएं। इस समय धान के अवशेषों की गांठ ले जाने का काम किसानों द्वारा नही किया जा रहा बल्कि कुछ व्यापारी ही इस काम को कर रहे हैं जो इन गांठों से लदे ट्रैक्टर ट्रालियों को फैक्ट्रियों में ले जाकर बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि जब सीजन खत्म तो किसान का मुद्दा भी खत्म हो जाता है। ऐसे लोग जो अपने लाभ के लिए जनता को परेशान करें और किसानों का नाम खराब करें उन पर प्रशासन बिना किसी संकोच कार्रवाई करे  जिस पर कोई भी किसान संगठन ऐसे लोगों के साथ कतई खड़ा नही होगा। यदि कोई किसान अपने पशुओं के लिए तूड़ी आदि ले जाता है तो माना जा सकता है कि वो किसान पशओं के लिए व्यवस्था कर रहा है लेकिन ये गांठे जो पशुओं के चारे के लिए बनती ही नही इनकी ढुलाई करने वाले किसान नही बल्कि व्यापारी हैं।

बिना नंबर प्लेट और सुरक्षा के ही दौड़ते हैं सडक़ों पर ये वाहन

इन वाहनों की खास बात ये है कि ये बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था, बिना रिफलेक्टरर्स, बिना कोई लाल रंग की सचेत करने वाली झंडी लगाए सडक़ों पर दौड़ते हैं जबकि दूसरी तरफ इन वाहनों के आगे पीछे कहीं नंबर प्लेट भी लगी दिखाई नही देती।

 

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