सरकार के खिलाफ मुखर हुए निजी बस संचालक, 10 हजार अवैध मैक्सी कैब चलने का लगाया आरोप

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Jun, 2017 09:43 AM

vocational private bus operators against government

निजी बस रूट हरियाणा सरकार के गले की फांस बने हुए है क्योंकि पहले जहां रोडवेज यूनियन सरकार पर वायदाखिलाफी का आरोप लगाती रही है तो वहीं अब प्राइवेट बस संचालकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए रोडवेज यूनियनों के हाथों में खेलने का आरोप लगाया।

चंडीगढ़ (बंसल):निजी बस रूट हरियाणा सरकार के गले की फांस बने हुए है क्योंकि पहले जहां रोडवेज यूनियन सरकार पर वायदाखिलाफी का आरोप लगाती रही है तो वहीं अब प्राइवेट बस संचालकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए रोडवेज यूनियनों के हाथों में खेलने का आरोप लगाया। उन्होंने यहां तक आरोप लगा दिया कि रोडवेज कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश में करीब 10 हजार मैक्सी कैब चल रही हैं और इस धंधे को फलने-फूलने देने के लिए सहकारी समितियों की बसों को सड़कों पर नहीं उतरने दिया जा रहा। 

परिवहन नीति-2017 रद्द करने के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे:सुनील कुमार
एसोसिएशन के प्रधान सुनील कुमार ने कहा कि परिवहन नीति-2017 रद्द करने के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने सरकार को नई नीति लागू होने तक पुरानी के तहत निजी बसें रूट परमिट पर चलने के आदेश दिए हैं, लेकिन सरकार उनकी अनुपालना नहीं करा रही। इसलिए अवमानना याचिका भी दायर की जाएगी। निजी बस ऑपरेटरों को 2013 स्टेज कैरिज स्कीम के तहत बसें चलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि ये स्कीम पहले ही रद्द हो चुकी है। सरकार और परिवहन विभाग के अधिकारी रोडवेज कर्मियों के दबाव में काम कर रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष दलबीर सिंह मोर तथा कानूनी सलाहकार रविंद्र रावल ने  यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सरकार ने बेरोजगार युवाओं का एक समूह बनाकर उन्हें बस परमिट देने की योजना शुरू की थी लेकिन वर्तमान सरकार कर्मचारियों के साथ मिलकर इस योजना के स्वरूप को बिगाड़ रही है। 

उन्होंने कहा कि इस समय 273 रूटों पर 873 बसें चल रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 व 16 में इस नीति में संशोधन किया गया। इस नीति को 17 फरवरी 2017 को अंतिम प्रकाशन किया गया। उन्होंने कहा कि जिनके पास पहले से बसें थी, उन्होंने इस नीति के तहत फीस भरकर 873 नए परमिट प्राप्त कर लिए व साथ ही 1663 व्यक्तियों को पूरे प्रदेश में ऑफर लैटर जारी किए गए। सरकार की नीति के चलते 45 लोगों ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बसें खरीद ली और सरकार के वाहन पोर्टल पर अपने वाहनों का पंजीकरण करवा लिया। दूसरी तरफ हरियाणा सरकार ने रोडवेज कर्मचारी यूनियनों के दबाव में आकर 10 अप्रैल को फिर से नई नीति बनाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार 3 माह के भीतर दूसरी बार स्टेट कैरिज नीति में बदलाव कर रही है। 


 

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