Edited By vinod kumar, Updated: 18 Nov, 2019 03:13 PM
जानलेवा जहरीली हवा के आगोश से लोग निकल नहीं पा रहे और हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। हालांकि आश्चर्यजनक रूप से दिवाली के बाद पहली बार हवा की गुणवत्ता 90 पर लु़क आई है लेकिन यह कबतक रहेगी कुछ कहा नहीं जा सकता।
गुडग़ांव(मार्कण्डेय पाण्डेय): जानलेवा जहरीली हवा के आगोश से लोग निकल नहीं पा रहे और हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। हालांकि आश्चर्यजनक रूप से दिवाली के बाद पहली बार हवा की गुणवत्ता 90 पर लु़क आई है लेकिन यह कबतक रहेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। महज दो दिनों पहले तक वायु गुणवत्ता 700 तक पहुंच चुकी थी। प्रदूषित हवा, स्मॉग और पर्यावरण के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर अब बच्चें सड़कों पर उतरने लगे हैं। गुडग़ांव के लेजर वैली में करीब तीन हजार से अधिक बच्चों ने इकट्ठा होकर सरकार और प्रशासन सहित आमलोगों से गुहार लगाई कि हमें हमारा भविष्य जीने दो।
लेजर वैली में सुबह 9 बजे ही शहर के विभिन्न क्षेत्रों से बच्चे जुटने शुरू हो गए और देखते ही देखते दिन में करीब दस बजे तक इनकी संख्या तीन हजार से अधिक हो गई। इन बच्चों के साथ ही इनके अभिभावक, महिलाएं, बुजुर्ग और रोजाना मेहनत-मजदूरी के लिए बाहर रहने वाले लोग भी इकटठा हो गए। सभी ने एक स्वर से मांग किया कि साफ हवा में सांस लेना हमारा मौलिक अधिकार है। आम लोगों की अब तक की सबसे बड़ी रैली में बच्चों ने नेतृत्व सम्भाला।
बच्चों के समर्थन में आए सभी संगठन प्रदूषण के खिलाफ बच्चों की रैली के समर्थन में जहां विभिन्न अस्पतालों के डाक्टर आए तो आम लोग जिसमें मजदूर और रिक्शा चालक भी शामिल हुए। आईएम गुरुग्राम, सिटीजन फार क्लीन एयर, लेटस वॉक गुरुग्राम, गुरुग्राम मॉम्स, गुरुग्राम फस्र्ट, गुडग़ांव कम्यूनिटी सर्कल, हवाई वेस्ट योर वेस्ट, गारबेज फ्री इंडिया, लिटरेसी इंडिया, नॉसकाम सहित तमाम मल्टी नैशनल भी समर्थन में आए ,बच्चों के समर्थन में विभिन्न स्कूलों ने हिस्सेदारी किया।
रैली में भाग लेने वाले बच्चाे ने कहा कि हमने शपथ लिया है कि हमलोग सार्वजनिक परिवहन से चलेंगे। कूड़ा नहीं जलाएंगे, पटाखें नहीं छोड़ेगे और कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे प्रदूषण बढ़े। हम सरकार से मांग करते हैं कि प्रदूषण को सख्ती से रोके, हरियाली बढाए और अरावली को नष्ट होने से रोके। हमें भी हक है जीने का, अरावली के साथ हम जीना चाहते हैं। वहीं डॉ पारुल शर्मा, मैक्स अस्पता ने कहा कि यह राष्ट्रीय आपात का समय है। मनुष्य के सभी आंतरिक अंग घायल हो रहे हैं। गर्भवती महिलाएं, बच्चें और बुजुर्ग इसके खास शिकार हो रहे हैं।
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