बिजली विभाग के लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर वैक्सीनेशन में दी जाए प्राथमिकता  :पीके दास

Edited By Manisha rana, Updated: 10 May, 2021 01:11 PM

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हरियाणा में इंफेक्शन के बढ़ते केसों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बड़े स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। मिनिमम केयर ट्रीटमेंट के लिए प्रदेश के हर जिले में स्कूल, कॉलेज, कम्युनिटी सेंटर इत्यादि...

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा में इंफेक्शन के बढ़ते केसों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बड़े स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। मिनिमम केयर ट्रीटमेंट के लिए प्रदेश के हर जिले में स्कूल, कॉलेज, कम्युनिटी सेंटर इत्यादि को चिन्हित तक कर लिया गया है। प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं बिजली विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेट्री पीके दास से आज पंजाब केसरी ने मुलाकात की। जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की और बताया कि उन्होंने बिजली विभााग के अधिकारी-कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर में शामिल करने के लिए हरियाणा सरकार से मांग की है। जिससे उन्हें तुरंत प्रभाव से वैक्सीन लग पाए। क्योंकि उन्हें संक्रमण होने की काफी ज्यादा संभावनाएं होती हैं। उनसे कई और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात हुई। बातचीत केेेे कुछ अंश प्रस्तुत है:-

प्रश्न : हरियाणा के पास आज कुल कितने बैड हैं और कितने बढ़ाने जाने की तैयारी है?
उत्तर : 
हमारे पास आज सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मिलाकर कुल 20,500 बेड हैं। लेकिन बढ़ते इंफेक्शन को देखते हुए हमने 3 फेज में बेड कैपेसिटी बढ़ाने की तैयारी की है। फिलहाल प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, बैड, इक्विपमेंट तो हैं। लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण बैड कैपेसिटी नहीं बढ़ाई जा रही थी। लेकिन हमने प्लान किया है कि इन मेडिकल कॉलेजों में 1100 और बैड जिसमें आईसीयू बेड भी शामिल होंगे हम बढ़ाएंगे। जो एडिशनल ऑक्सीजन हमें मिली थी वह कुछ मेडिकल कॉलेजों में मुख्यतः पीजीआई रोहतक, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज और अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद को यह दी गई है। 

प्रश्न : हरियाणा में आज कुल कितने मेडिकल कॉलेज हैं और उनमें कितने-कितने बेड हैं?
उत्तर : 
हमारे पास कुल 13 मेडिकल कॉलेज हैं और इनमे कॉविड मरीजों के लिए हमारे पास 1800 बैड्स है। 

प्रश्न : क्या इनमें कोविड के लिए और बैड भी बढ़ाए जा सकते हैं?
उत्तर : 
हां, हमारा प्लान है कि शफिशिएंट ऑक्सीजन मिलते ही इन मेडिकल कॉलेजों में 1100 और बेड बढ़ाएंगे। जिसके लिए सारी तैयारी भी हमने कर ली है।

प्रश्न : पानीपत-हिसार मे तैयार किए जा रहे अस्थाई अस्पतालों में किस प्रकार की व्यवस्थाएं रहेंगी?
उत्तर : 
पानीपत-हिसार में 500-500 बैड के अस्पताल बनाए जाने का मकसद पानीपत में आईओसी और हिसार में जिंदल स्टील इंडस्ट्री है।क्योंकि इनमें ऑक्सीजन गैस तो अवेलेबल है। लेकिन लिक्विड ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है। इनके पास में यह अस्पताल बनाकर ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन से अस्पतालों में पहुंचाई जाएगी। इसमें हेल्थ विभाग, ईएसआई और मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों में से स्टाफ लगाया जाएगा। इसके इक्विपमेंट इन अस्पतालों को तैयार करने वाले कांट्रैक्टर को देने है। हमें उम्मीद है कि यह 12-13 तारीख तक दोनों जगह काम शुरू हो जाएगा।

प्रश्न : पानीपत-हिसार के अस्पतालों को आर्मी द्वारा चलाए जाने की चर्चाएं हैं। क्या यह सच है ?
उत्तर : 
पहले यह प्रस्ताव था कि यह डीआरडीओ की तरफ से बनाया जाएगा और वह ही इसे चलाएंगे।लेकिन अब राज्य सरकार इसे बना रही है और राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, डॉक्टर ही से चलाएंगे।

प्रश्न : अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद में किस प्रकार की तैयारी की जा रही है?
उत्तर :
इस मेडिकल कॉलेज को सरकार ने टेकओवर किया था। लेकिन यह फंक्शन नहीं हुआ था। लेकिन वेस्टर्न कमांड की सहायता से 100 बेड का कोविड अस्पताल अब इसमें बनाया जा रहा है। इसके अलावा ऑक्सीजन और मिलने के बाद वहां सो बैड की कैपेसिटी हम बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न : प्रदेश में पहले नाइट कर्फ्यू था और अब लॉकडाउन। इनकी अगर तुलना करें तो क्या फर्क रहेगा?
उत्तर :
इस बारे में कुछ कहना कठिन है। लेकिन अगर लॉकडाउन लगा रहा तो इसके 5 दिन के बाद हमें लॉकडाउन के असर पॉजिटिव केसो पर दिखने को मिलेंगे। मुझे उम्मीद है कि कल जो रिपोर्ट आएगी उसमें जो 11500 से 15000 तक रिपोर्ट पहुंच गई थी वह धीरे-धीरे कम होने लग जाएगी। इसलिए मुझे लगता है कि पहले तीन-चार दिन में लॉकडाउन के असर देखने को नहीं मिले हैं। अगले दो-तीन दिन में पॉजिटिव केसों की रेशो घटने लगेगी।

प्रश्न : अगर हालात नहीं सुधरे तो क्या सरकार द्वारा मंदिर, धर्मशालाएं इत्यादि इस्तेमाल करने की तैयारी हैं?
उत्तर : 
अभी जितने लोग अस्पताल में दाखिल हैं, इनमें सभी लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है।कुछ लोगों को पहले से कुछ बीमारियां हैं। कोई दिल का मरीज है, कोई ब्लड प्रेशर का, कोई बुजुर्ग है। वह लोग डॉक्टर की सुपर विज़न में रहने के लिए अस्पतालों में दाखिल हो जाते हैं। अगर हमारे केस बढ़ते हैं तो जिन लोगों को इंटर्नशिप केयर की या ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं है। ऐसे मरीजों के लिए हमें और अस्थाई अस्पताल बनाने पड़ेंगे। इसके लिए हर जिले में हमने इनडोर स्टेडियम, कॉलेज, स्कूल, कम्युनिटी सेंटर इत्यादि पहले से ही चिन्हित कर लिए हैं। अभी तक हमारे पास 15000 बेड कैपेसिटी के लिए स्थान चिन्हित हो गए हैं। कैथल जिले की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है। वहां तो पहले ही इनडोर स्टेडियम में बैड वगैरह लगाकर रखे गए है। मैं आशा करता हूं कि इनकी जरूरत ना पड़े। लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो हर जिले में 500 के करीब बेड की व्यवस्था की जाएगी। डॉक्टर की सुपर विजन में जो मिनिमम केयर चाहिए इनमें वह ट्रीटमेंट हो सकेगा।

प्रश्न : कोविड इलाज से जुडी हर चीज पर प्रदेश में कालाबाजारी हो रही है। प्राइवेट डाक्टर मनमाने दाम वसूल रहे हैं। क्या इस पर भी आपकी नजर गई है?
उत्तर :
इसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। लेकिन मुझे पता है कि प्राइवेट अस्पताल द्वारा कितने पैसे चार्ज किए जाएंगे उसके बारे में सरकार नोटिफिकेशन जारी कर दी है। इसकी कॉपी प्राइवेट अस्पतालों में चस्पा कर दी गई है। हेल्पलाइन नंबर चलाए गए हैं। किसी से अगर ओवरचार्जिंग की जाती है तो इस पर शिकायत कर सकते हैं।

प्रश्न : आपके बिजली विभाग में भी काफी अधिकारी-कर्मचारी पॉजिटिव मिल रहे हैं। उनके लिए किस प्रकार की खास व्यवस्थाएं की गई हैं?
उत्तर :
हमारे बिजली विभाग के जो भी अधिकारी-कर्मचारी पॉजिटिव मिल रहे हैं। सबसे पहले तो उनका व उनके परिवार का सही ढंग से ट्रीटमेंट हो सके इसके लिए हम उनकी मदद कर रहे हैं। साथ ही हम 25000 रुपए उन्हें एडवांस में दे रहे हैं। साथ ही मैंने हरियाणा सरकार से अनुरोध किया है कि बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारी लगातार फील्ड में हैं। वह काम नहीं छोड़ सकते। उनको सभी जगह पर जाना पड़ता है। चाहे कहीं पर इंफेक्शन भी हो। इसलिए उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर मानकर वैक्सीनेशन में उन्हें प्राथमिकता दी जाए।

प्रश्न : बिजली विभाग के कार्यालयों में जनता का काफी आना-जाना रहता है। कार्यालयों में इंफेक्शन न फैले। इसके लिए क्या किया जा रहा है?
उत्तर : 
कार्यालयों को बड़े पैमाने पर सेनीटाइज किया जा रहा है ताकि कोई इनफेक्टेड व्यक्ति वहां आ भी गया हो तो कार्यालय में इंफेक्शन न फैल सके।डीएचबीवीएन की तरह से यूएचबीवीएन में भी अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को मॉनिटर किया जा रहा है।

प्रश्न : बिजली विभाग की तरह बहुत से विभाग फील्ड में रहते हैं। क्या आप मानते हैं कि सभी को फ्रंटलाइन वर्कर माना जाए?
उत्तर :
18 से 45 वर्ष की उम्र में जनसंख्या बहुत अधिक है। हमारे कर्मचारी जो खासतौर पर कम उम्र के हैं वह फील्ड में जाकर काम करते हैं। इसीलिए हम उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दिलवाना चाहते हैं।

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