सर्दी का आगाज होते ही रेवाड़ी से दिल्ली का सफर हुआ मुश्किल, ठिठुरने को मजबूर यात्री

Edited By Isha, Updated: 21 Nov, 2019 01:33 PM

traveling from rewari to delhi became difficult as soon as winter began

सर्दी के मौसम का आगाज होते ही रेवाड़ी से दिल्ली का सफर लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। रेवाड़ी से दिल्ली की ओर 5.30 बजे चलने वाली सर्वप्रथम पैसेंजर ट्रेन के सभी डिब्बों की खिड़कियां व शीशे टूटे पड़े हैं जिससे लोगों को सर्द हवा का

रेवाड़ी (गंगाबिशन): सर्दी के मौसम का आगाज होते ही रेवाड़ी से दिल्ली का सफर लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। रेवाड़ी से दिल्ली की ओर 5.30 बजे चलने वाली सर्वप्रथम पैसेंजर ट्रेन के सभी डिब्बों की खिड़कियां व शीशे टूटे पड़े हैं जिससे लोगों को सर्द हवा का सामना करना पड़ रहा है। 3 साल पूर्व जाट आंदोलन की भेंट चढ़ी ऐसी कई ट्रेनों की अभी तक मुरम्मत नहीं की गई है। लोग अपने स्तर पर खिड़कियों को बंद कर सफर कर रहे हैं तो कुछ अभी से ही कम्बल ओढ़कर सफर करने को मजबूर हैं। बुधवार को गौरव ग्राम सुधार सेवा समिति धामलावास के प्रधान हरीशचंद्र ने उक्त समस्या को लेकर आवाज उठाई है और संबंधित अधिकारियों को उक्त समस्या से अवगत करवाया है।

गौरतलब है कि 3 वर्ष पूर्व जाट आंदोलन के दौरान रेवाड़ी-रोहतक ट्रेनों में प्रदर्शनकारियों ने तोडफ़ोड़ की थी। जिसमें उन्होंने ट्रेनों की खिड़कियों, लाइट, पंखों आदि को क्षतिग्रस्त कर दिया था। रेवाड़ीवासियों की पुरजोर मांग के बाद रेलवे ने रेवाड़ी-दिल्ली मार्ग पर सी.एन.जी. ट्रेन शुरू की। रेलवे ने रेवाड़ी-रोहतक पर दौडऩे वाले कुछ क्षतिग्रस्त डिब्बों को उक्त सी.एन.जी. इंजन से जोड़ दिया। अब यह सी.एन.जी. ट्रेन सुबह 5.30 बजे रेवाड़ी से दिल्ली की ओर रवाना होती है और इस ट्रेन में लगे सभी डिब्बों की खिड़कियां टूटी हुई हैं। 

गौरव ग्राम सुधार सेवा समिति धामलावास के प्रधान हरीशचंद्र ने बताया कि इस ट्रेन का सफर करने वाले लोगों को सर्द हवा का सामना करना पड़ रहा है। जिसका बुजुर्गांे व बच्चों पर काफी असर पड़ रहा है। यहां तक इस ट्रेन का रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों को अभी से कम्बल का बोझ उठाना पड़ रहा है। ट्रेन में लगे इन कोचों को 3 पूर्व क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।  इतना समय बीतने के बाद भी रेलवे विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी के कुछ लोगों का दिल्ली के बड़े अस्पतालों में उपचार चल रहा है और वे रोजाना इसी ट्रेन का सफर कर अस्पताल पहुंचते हैं। जिससे वे अधिक बीमार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां के अधिकारी इस मामले को लेकर आंखें मंूदकर व कानों पर हाथ रखकर बैठे हैं। 

उन्होंने कहा कि दिसम्बर से लेकर मार्च तक जबरदस्त सर्दी होती है और ऐसे में टूटी खिड़कियों से सर्द हवा सफर को जानलेवा भी बना सकती है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे संबंधित अधिकारियों से मिले हैं और उच्च अधिकारियों से मिलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि वे इस संदर्भ में रेलवे बोर्ड के सदस्य वीर कुमार यादव से बात की है। जिस पर उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है और वे इस समस्या को उच्चाधिकारियों से मिलेंगे। उम्मीद है कि जल्द से जल्द खिड़कियों की मुरम्मत कर दी जाएगी। 
 

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