हड़ताली कर्मचारियों को बिना नोटिस निकाला जाएगा: परिवहन मंत्री (VIDEO)

Edited By Shivam, Updated: 07 Aug, 2018 05:23 PM

हरियाणा परिवहन विभाग में निजीकरण का आरोप लगाते हुए आज रोडवेज कर्मचारियों यूनियनों ने प्रदेश में चक्काजाम किया हुआ है। जिस पर परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार ने कहा कि चक्काजाम में शामिल हड़ताली कर्मचारियों...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा परिवहन विभाग में निजीकरण का आरोप लगाते हुए आज रोडवेज कर्मचारियों यूनियनों ने प्रदेश में चक्काजाम किया हुआ है। जिस पर परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार ने कहा कि चक्काजाम में शामिल हड़ताली कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बिना नोटिस दिए ही नौकरी से निकाल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किलोमीटर स्कीम के तहत बसें जरू चलाई जाएंगी, वहीं रोडवेज के प्रोबेशनर ड्राइवर्स को बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाला जाएगा।

उन्होंने आगे बताया कि जो चालक वर्ष 2018 में भर्ती हुए हैं और जिनका प्रोबेशन पीरियड चल रहा है, यदि वे हड़ताल पर जाएंगे, तो उनके खिलाफ निश्चित तौर पर कार्यवाही की जा सकती है। प्रोबेशन के दौरान यदि कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे हटाया भी जा सकता है। उन्होंने बताया कि बसें हायर करने का फैसला कैबिनेट का है और तभी हमने इस स्कीम को शुरू किया है। इसके तहत 53 ट्रांसपोर्टर आये थे और 720 बसों में से हमने केवल 510 को ही एलओए दिया है।

मंत्री पंवार ने बताया कि इस समय प्रदेश में विभाग की लगभग 500 बसें और सहकारी समितियों की 950 बसें सुचारू रूप से चल रही हैं। हम अधिकारियों के निरंतर संपर्क में हैं और सरकार निरंतरप्रयासरत है कि लोगों को आवागमन के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी न आए। वो चण्डीगढ़ में रोडवेज यूनियनों द्वारा बुलाए गए बंद के आह्वान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने बताया कि यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ 15 दिन पहले मेरी बैठक हुई थी, जिसमें उनकी 34 मांगों में से 33 मांगें मान ली गई थी और उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सरकार का धन्यवाद भी किया था।

उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग का बेड़ा 4100 बसों का है। वर्ष 2017-18 में हमने 600 बसें बेड़े में डाली थी, वर्ष 2018-19 में भी हमने 650 बसें बेड़े में डालने का फैसला किया है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल से इसकी स्वीकृति मिल चुकी है और अब यह मामला हाई पावर परचेज कमेटी के पास जाना है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष लगभग 250 से 300 बसें अपना समय पूरा कर जाती हैं, क्योंकि सात साल की अवधि और आठ लाख किलोमीटर के बाद उनको कंडम घोषित कर दिया जाता है। हम जो 720 बसें हायर कर रहे हैं, उनमें केवल बस और चालक ही मालिक के होंगे, लेकिन उस बस का परिचालक सरकारी होगा और उसका परमिट भी परिवहन विभाग का होगा। उस बस पर पूरा नियंत्रण महाप्रबन्धक का होगा।

उन्होंने बताया कि बस मालिक को हम उसके टेंडर के अनुसार 300 किलोमीटर तक का ही रेट देंगे और टिकटों की बिक्री विभाग के पास होगी। ऐसे में निजीकरण का सवाल ही पैदा नहीं होता। मंत्री ने बताया कि हमने जो एलओए दिया है, उसके लिए वे लोग उच्च न्यायालय में गये थे और आज उसकी तारीख थी। परिवहन महानिदेशक और पुलिस महानिदेशक को भी इसमें बुलाया गया था। इस मामले की अगली तारीख 20 अगस्त, 2018 को लगी है और इस मामले में न्यायालय के जो भी निर्देश होंगे हम उनकी पालना करेंगे। 

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वहीं यूनियन के नेताओं का कहना है कि 13 जून 2017 को मंत्री के साथ हुई बैठक में मांगो को मान लिया गया था, लेकिन बाद में फिर इसे सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया। केंद्र सरकार नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू कर सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र का पूर्ण निजीकरण करना चाहती है। इस बिल में वाहन चालकों पर सजा व दंड को बढ़ाकर कई गुणा कर दिया गया है। सरकार इस बिल के पास होने से पहले ही इसे लागू करने पर उतावली हो रही है।

उनका कहना है कि 720 बसों को ठेके पर लेने का फैसला किया गया है।  उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले से प्रभावित कर्मचारियों को राहत देने के लिए विधानसभा में कानून बनाने व कच्चे कर्मचारियों को शीघ्र पक्का करने के साथ ही 2016 में लगे चालकों व परिचालकों को नियुक्ति तिथि से पक्का करने की भी मांग की है। 

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