Edited By Rakhi Yadav, Updated: 08 Jun, 2018 10:30 AM
सिरसा की सियासत में इन दिनों एक ‘दोस्ती’ काफी सुॢखयों में है। हालांकि इस दोस्ती के मायने भी उतने ही गहरे हैं जितनी इन ‘दोस्तों’ की महत्वाकांक्षा। यहां बात हो रही है कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के बेटे...
सिरसा(अरोड़ा): सिरसा की सियासत में इन दिनों एक ‘दोस्ती’ काफी सुॢखयों में है। हालांकि इस दोस्ती के मायने भी उतने ही गहरे हैं जितनी इन ‘दोस्तों’ की महत्वाकांक्षा। यहां बात हो रही है कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के बेटे एवं पूर्व सांसद चौ. रणजीत सिंह के रिश्तों की। इस रिश्तों की नींव भी ऐसे समय में रखी गई है जब प्रदेश में अगले साल होने वाले लोकसभा व विधानसभा के चुनावों की रणनीति तैयार की जा रही है।
इन दोनों के साथ आने से जहां तंवर की साइकिल यात्रा को मजबूत ‘रास्ता’ मिला तो वहीं रैली में चौ. रणजीत ने भी पूरा दमखम दिखाकर साबित किया कि एक और एक ग्यारह होते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक ये कहते हैं कि चौ. देवीलाल जैसे बड़े घराने के इस ‘चौधरी’ (रणजीत) के तंवर के साथ आने से हरियाणा की कांग्रेस में तंवर की ‘चौधर’ भी मजबूत हुई है।
यूं तो राजनीति को संभावनाओं का खेल कहा जाता है। राजनीति में नित नए समीकरण भी बनते रहते हैं। परंतु अशोक तंवर और रणजीत सिंह के बीच बने इन नए समीकरणों पर 4 जून को सिरसा में हुई रैली में जुटी भीड़ ने दोनों हाथ ऊपर उठाकर आस्था की ऐसी मुहर लगाई कि दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे का जी जान से साथ देने का संकल्प लिया।
रणजीत सिंह ने जहां तंवर को सत्ता में लाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने तक की बात कह डाली तो वहीं इसके जवाब में तंवर ने भी कोई कमी न छोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस केंद्र के साथ-साथ हरियाणा में भी सत्ता में आएगी और इस इलाके में कांग्रेस की जीत के लिए रणजीत सिंह ही मैन ऑफ द सीरिज होंगे। तंवर ने यह भी जोड़ा कि रणजीत सिंह ने सरकार भी चलाई है और उनसे उम्र व अनुभव में भी बहुत बड़े हैं।इसलिए इनका आशीर्वाद लेकर इनकी ताकत का उपयोग हम पूरे हरियाणा में करेंगे। अगले साल लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।
इस चुनाव में तंवर-रणजीत का साथ सिरसा में नए समीकरण पैदा कर सकता है। इस नई दोस्ती के बाद कांग्रेस के दूसरे खेमों के कुछ अन्य नेता भी इस जोड़ी का साथ दे सकते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि चौ. रणजीत सिंह की सिरसा जिले पर अच्छी पकड़ है और हर विधानसभा क्षेत्र में उनका अपना एक निजी वोट बैंक हैं। ऐसे में संसदीय चुनाव में जहां तंवर को रणजीत सिंह का फायदा है तो वहीं रानियां विधानसभा क्षेत्र में तंवर के वोट बैंक का भी रणजीत को लाभ हो सकता है।