झूठ बोलने वाले से बेहद नफरत, कोई व्यक्ति ऐसा बोलता है तो बहुत बुरा महसूस होता है-अनिल विज

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 30 Nov, 2022 01:13 AM

those who walk a single step in the freedom movement

आमतौर पर आपने किसी फौजी या पुलिस अधिकारी को अपनी ड्यूटी के अनुसार ही सैल्यूट करते देखा होगा।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): आमतौर पर आपने किसी फौजी या पुलिस अधिकारी को अपनी ड्यूटी के अनुसार ही सैल्यूट करते देखा होगा। लेकिन अगर कोई ऐसा शख्स जो ऐसे पद पर विराजमान हो कि जिसके सामने छोटे बड़े अधिकतर लोग सलाम करने की चाहत रखते हो, लेकिन वह देश के प्रति निष्ठावान व्यक्ति को सेल्यूट करें तो उसे क्या कहेंगे। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ऐसे ही व्यक्ति हैं जो ना केवल सबके सामने बल्कि अगर न्यूज़ चैनल पर किसी व्यक्ति की देश के प्रति निष्ठा और समर्पित भाव देखे तो वही उसे सैल्यूट करने से परहेज नहीं करते यानि गृहमंत्री के पैरामीटर पर खरा उतरने वाला हर शख्स चाहे वह सफाई कर्मचारी ही क्यों ना हो, वह सम्मान योग्य है। यह बात खुद उन्होंने ही नहीं बल्कि उनके बेहद नजदीकी लोगों ने भी स्वयं देखी है। इस विषय पर अनिल विज ने ज्यादा कुछ नहीं कहा। लेकिन उन्होंने यह अवश्य बताया कि झूठ बोलने वाले से वह बेहद नफरत करते हैं। जब किसी मामले की जानकारी होने के बावजूद कोई व्यक्ति आकर झूठ बोले तो वह बहुत बुरा महसूस करते हैं।

 

 

एक्शन मूवी के दीवाने हैं एक्शन मोड में रहने वाले विज

 

हमेशा एक्शन मोड में दिखने वाले अनिल विज के बारे आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि अनिल विज एक्शन फिल्मों के दीवाने हैं। उन्होंने खुद इस बारे बताते हुए कहा कि वैसे तो पूरा दिन समय ही नहीं लग पाता। सुबह से शाम तक का शेड्यूल बिजी रहता है। प्रदेश के कोने-कोने से लोग अपनी समस्याओं को लेकर या वैसे मिलने के लिए पहुंचते हैं। दिन में चंडीगढ़ कार्यालय में या तो काम करता हूं या अधिकारियों की बैठकें तमाम मसलों के चलते लेता हूं। लेकिन जब भी सारे काम निपटाकर कभी 15 मिनट या आधा घंटा समय मिलता है तो एक्शन मूवी देखकर बड़ा आनंदित होता हूं और कुछ सीखने की कोशिश करता हूं।

 

 

 

जेल में 10 दिन रहने के बाद राहुल गांधी को वीर सावरकर पर टिप्पणी करना चाहिए  : अनिल विज

 

महान क्रांतिकारी-स्वतंत्रता सेनानी एवम उच्च स्तर के राष्ट्रवादी नेता के रूप में देशभक्तों की एक बड़ी पसंद रहे वीर सावरकर बारे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान का विरोध करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने बड़ा कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा है कि स्वतंत्रता आंदोलन में जो भी व्यक्ति देश के लिए एक कदम भी चला, हर देशवासी को  उसकी चरण वंदना करनी चाहिए। वहीं वीर सावरकर जैसी महान शख्सियत जिसने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 10 साल ऐसी जेल मेंं बिता दिए, जहां पूरी जिंदगी एक आदमी दूसरे आदमी की शक्ल तक नहीं देख सकता, ऐसे महान व्यक्ति पर आरोप लगाने वाले राहुल उस जेल में मात्र 10 दिन रहने के बाद उस महान व्यक्ति वीर सावरकर पर टिप्पणी करें। गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि मैंने खुद अंडमान निकोबार में जाकर वह कालकोठरी और वह सेल देखी है, जहांं वीर सावरकर को रखा गया था। वह जेल इस ढंग से बनाई गई है कि व्यक्ति को जीने से अधिक मौत प्यारी लगने लगती है। उन्होंने राहुल गांधी के बयान को बेहद शर्मनाक बताया।

 

 

भारत विभाजन और सिखों के कत्लेआम की जिम्मेदार है कांग्रेस: विज

 

गृह मंत्री अनिल विज ने एक और बड़ा बयान देते हुए कहा है कि कांग्रेस अपने ऊपर लगे दाग को भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से धोने के प्रयास में है। लेकिन देश को तोड़ना कांग्रेस के डीएनए में है। देश को मिली आजादी के वक्त इन्होंने हिंदुस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित किया। एक हिंदुस्तान तो दूसरे को पाकिस्तान बना दिया। जो आज तक एक बड़ी समस्या देश के सामने खड़ी हुई है। 1984 में सिख दंगे करवाकर लगभग 3400 सिखों के कत्लेआम करवा डालें। जब जब मौका मिला इन्होंने देश को तोड़ने की कोशिश की हैं। अनिल विज ने जलती निक्कर तथा बस 145 दिन और दिखाने वाले कांग्रेस के एक ट्वीट को लेकर बड़ा विरोध करते हुए कहा कि क्या 145 दिन के बाद यह लोग देश में आग लगा देंगे। उन्होंने कहा कि यह क्या साबित करना चाहते हैं, क्या इन बातों से देश जुड़ सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमेशा सर्वोपरि रहना चाहिए। जब बात राष्ट्रहित की हो तो सभी पार्टी- धर्म- जाति के मतभेद को भूल कर राष्ट्र की सोच के साथ काम करना चाहिए।

 

 

प्रदेश के गृहमंत्री ने आखिर जीवनसाथी क्यों नहीं ढूंढा, प्रदेश की जनता अवश्य ही यह जानना चाहती होगी। संपन्न परिवार से संबंध रखने वाले विज के पिता रेलवेे कर्मचारी थे और वह खुद बैंक में सरकारी नौकरी पा चुके थे। शादी के लिए रिश्तो की लाइने लगी थी। लेकिन युवा अवस्था में ही विज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बेहद प्रभावित और पूरी तरह से समर्पित थे। 1969-70 में उनकी जिम्मेदारी विद्यार्थी परिषद के महामंत्री के रूप में लगा दी गई थी। उसके बाद संघ के अनेकों संगठनों विश्वव हिंदू परिषद -भारत विकास परिषद- हिंदू वाहिनी में विज ने काम किया। उस समय इन जिम्मेदारियों के दौरान ही उन्होंने देश के प्रति अपना यह त्याग करने की ठान ली थी। नौकरी के कारण वह कोई भी पद नहीं ले सकते थे, लेकिन वह संघ के प्रति पूरे निष्ठावान  कार्यकर्ता के रूप में लगे रहे। विज बताते हैं कि उस वक्त  उनके साथ ज्यादातर लोग कुंवारे थे और शादी नहीं करने की ठानेे हुए थे। दूसरे साथियोंं से प्रभावित होकर विज ने भी जीवन भर शादी ना करने का दृढ़ निश्चय कर लिया था।विज के अनुसार उन्हें अभी तक कभी जीवनसाथी की कमी महसूस नहीं हुई। क्योंकि पूरा दिन लोगों की सेवा बड़े आनंदित तरीके से बीत जाता है।

 

 

विज का मानना है कि जिस प्रकार से मां-बाप कहते हैं कि मेरा बेटा इंजीनियर -डॉक्टर या अधिकारी बने, इसी प्रकार से मां-बाप चाहे कि मेरा बेटा नेता बने। सेवा के लिए राजनीति से अच्छा माध्यम कोई नहीं हो सकता। राजनीति कोई व्यापार नहीं है। विज ने बताया कि जब भी किसी स्कूल-कॉलेज के फंक्शन में जाता हूं तो अपील करता हूं कि अच्छे राजनेता भी पैदा करो। क्योंकि देश को सबसे अधिक जरूरत अच्छे राजनेताओं की है और स्कूल में ही भावना जागृत की जा सकती है। जिस प्रकार से देश सेवा के लिए फौज या अन्य जगह पर जाने के लिए बच्चे उत्साहित रहते हैं, ऐसा ही उत्साह राजनीति में जाने के लिए भी बच्चों में होना चाहिए। बहुत से देशों में 1 दिन सरकार खत्म होने पर बड़ी लूटमार मची हुई देखी है। इसलिए एक अच्छी सरकार बेहद जरूरी है। देश में अच्छे नेताओं का टोटा है और एक बहुत बड़ी वैकेंसी मौजूद है और अच्छे युवाओं से यह वैकेंसी भरी जानी चाहिए। विज मानते हैं कि सही नियत से अगर प्रवेश किया जाए तो सारे चैलेंजिंग को पछाड़ते हुए राजनीति के सारे दरवाजे अपने आप खुलते जाते हैं। अपने को ऐसा बनाओ कि लोग आपके बारे में बात करें।

 

 

 जीवन में मैंने कभी कोई ख्वाहिश नहीं पाली : अनिल विज

 

विज का मानना है कि कि अगर आप अपने काम के प्रति पूरी तरह से ईमानदार है, तो आपकी अनदेखी किसी के बस की बात नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि अनिल विज ने जीवन में कभी कोई ख्वाहिश नहीं पाली। मंत्रालय लेने के लिए दूसरे कई नेता पता नहींं कहां-कहां जाते हैं, लेकिन विज ने कभी किसी से कुछ नहीं मांगा। अनिल विज को जहां पार्टी ने  खड़ा किया, वहीं से अपने काम को बरूबी से करने की कोशिश की।

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