सिविल अस्पताल में चोरों का आतंक, प्रशासन मौन

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Mar, 2018 10:21 AM

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सिविल अस्पताल में चोरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। अस्पताल में कहीं महिला का पर्स चोरी हो रहा है तो कहीं पर फोन चोरी हो जाता है। इससे पहले भी अस्पताल में चोरी की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई...

रोहतक(ब्यूरो): सिविल अस्पताल में चोरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। अस्पताल में कहीं महिला का पर्स चोरी हो रहा है तो कहीं पर फोन चोरी हो जाता है। इससे पहले भी अस्पताल में चोरी की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। या फिर यू कहें कि ठोस कदम उठाना नहीं चाहते। क्या अधिकारी किसी बड़े हादसे का होने का इंतजार कर रहे हैं। रविवार को महज 2 घंटे के दौरान ही अस्पताल से 2 चोरी की घटनाएं सामने आईं। हालांकि इस दौरान अस्पताल में ही उपचार के लिए आए अन्य मरीजों के परिजनों की सहायता से फोन चोरी करने वाला युवक पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया गया है। 

इससे पहले भी हो चुकी है चोरी
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जिला अस्पताल में चोरी हुई हो। इससे पहले भी अस्पताल के महिला वार्ड से नवजात बच्चा चोरी हो चुका है। इसके बाद एक एल.ई.डी. और ऑप्रेशन थियेटर से मानिटर तक चोरी हो गया। 

3 सुरक्षाकर्मियों के कंधे पर सुरक्षा का जिम्मा
बताया जा रहा है कि अस्पताल में कुल 15 सुरक्षाकर्मी हैं। जबकि एक शिफ्ट में 3 से 4 सुरक्षाकर्मी ही मौजूद रहते हैं। रविवार को घटना के दौरान महज 3 सुरक्षाकर्मी ही थे। जिनमें एक महिला कर्मी भी शामिल है।

सी.सी.टी.वी. कैमरे की मानिटरिंग भी नहीं होती सही से
सुरक्षा के लिहाज से जिला अस्पताल में सी.सी.टी.वी कैमरे लगाए गए हैं लेकिन इनका भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। कैमरों की निगरानी के लिए करीब आधा दर्जन ही मानिटर लगाए गए हैं। हालांकि सुरक्षाकर्मियों को एक भी मानिटर नहीं दिए गए, जिससे वह अस्पताल परिसर में नजर बनाए रखें। घटना होने के बाद अधिकारी और पुलिस सी.सी.टी.वी की फुटेज खंगालती है। फुटेज में आरोपी का चेहरा ढंका होने की वजह से उसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। इससे तो कहा जा सकता है कि सी.सी.टी.वी. महज शो पीस बनकर रह गए हैं।

हो सकता है बड़ा हादसा
जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है। जिसके चलते किसी भी दिन यहां बड़ा हादसा हो सकता है। ओ.पी.डी. के बाद अगले दिन सुबह ओ.पी.डी. शुरू होने तक सभी गेट बंद कर दिए जाते हैं। मरीजों और डाक्टरों के लिए एक मुख्य गेट खोल कर रखा जाता है। जबकि अस्पताल परिसर में मुख्य गेट के अलावा सभी गेट को खुला रखा जाना चाहिए। अन्य गेट को एमरजैंसी में हादसों से बचने के लिए लगाया गया है। इसके बावजूद इन गेट को बंद रखा गया है। 

जसिया निवासी सुनीता ने बताया कि 9 मार्च को उन्होंने अपने बेटे की बहू ज्योति को अस्पताल में भर्ती कराया था और उसका आप्रेशन था। उसके बाद ज्योति को अस्पताल के प्राइवेट रूम नंबर-2 में शिफ्ट कर दिया गया। रविवार करीब 1:30 बजे वह किसी काम से गई हुई थी। इस दौरान ज्योति के पास उनकी मां संतोष थी। कुछ ही देर के लिए संतोष की आंख लग गई। इतनी ही देर में कोई अज्ञात व्यक्ति रूम से महिला का पर्स चोरी कर ले गया।

अंजू पत्नी प्रदीप निवासी बोहर ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले उन्होंने अपनी सास कलादेवी पत्नी रामनिवास को पथरी के उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। रविवार दोपहर को करीब साढ़े 3 बजे वह वाशरूम में गई थी। इसी दौरान एक युवक आया और फोन को उठा ले गया। जब अस्पताल के अन्य मरीज के परिजनों ने युवक से पूछा की फोन कहां ले जा रहे हो तो युवक ने कहा कि फोन को नीचे मंगा रहे हैं। यह बात कह कर युवक ने फोन बंद कर दिया। 

इसके बाद मौके पर मौजूद एक महिला ने युवक को पकड़ लिया और पुलिस को मामले की सूचना दे दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर युवक से पूछताछ शुरू कर दी। युवक की पहचान आर्य नगर निवासी दीपक के रूप में हुई। बताया जा रहा है कि वह नशे का आदी है। दीपक पहले टाइल लगाने का काम करता था। फिलहाल कुछ दिन से वह बेरोजगार घूम रहा है और वह एच.आई.वी. संक्रमण से ग्रस्त है। हालांकि इस दौरान पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई।

जिले के गांव चिड़ी निवासी एक महिला ने बताया कि वह अपने बेटे का उपचार कराने के लिए 6 मार्च को आई थी। इसके बाद से ही उसका बेटा अस्पताल में भर्ती है। शुक्रवार देर रात को बाल रोग वार्ड में उसका बच्चा फोन से खेल रहा था। कुछ देर फोन से खेलने के बाद बच्चे ने फोन को अपने पास रख लिया। इसी दौरान कोई अज्ञात फोन को चोरी कर ले गया।

क्या कहते हैं अधिकारी
सिविल अस्पताल के सी.एम.ओ. डा. रमेश चंद्र ने बताया कि सुरक्षा के उचित प्रबंध किए गए हैं। चोरी की जो भी घटनाएं हुई हैं उनकी जांच की जाएगी। यदि किसी सुरक्षाकर्मी की लापरवाही सामने आती है तो एक्शन लिया जाएगा। फिलहाल 15 सुरक्षाकर्मी हैं। जो अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं। सुरक्षा कर्मियों की संख्या को बढ़ाने के लिए समय-समय पर अधिकारियों के पास डिमांड भेजी जाती है।

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