करनाल उपचुनाव के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Apr, 2024 08:33 AM

the petition against karnal by election heard in the high court today

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट रविंद्र ढुल्ल द्वारा करनाल के उपचुनाव की अधिसूचना निरस्त करने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी। एडवोकेट रविंद्र ढुल्ल ने करनाल उपचुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। उनका कहना...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट रविंद्र ढुल्ल द्वारा करनाल के उपचुनाव की अधिसूचना निरस्त करने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी। एडवोकेट रविंद्र ढुल्ल ने करनाल उपचुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। उनका कहना है कि ये उपचुनाव गैर कानूनी और गैर सांवेधानिक तरीके से हो रहे हैं।

ए़डवोकेट ढुल्ल का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में 1996 में एक संशोधन किया गया था। तब इसमें सेक्शन 151A को लाया गया था, जिसके अनुसार यदि विधानसभा के कार्यकाल में एक साल से कम का समय बचा होता है तो उपचुनाव नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के अकोला पश्चिम विधानसभा सीट और करनाल विधानसभा सीट पर चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने एक ही नोटिफिकेशन जारी किया था। हांलाकि बोम्बे हाईकोर्ट ने अकोला उपचुनाव को रद्द कर दिया है। चुनाव आयोग ने भी इस फैसले को मान लिया है, ऐसे में करनाल उपचुनाव को भी नहीं करवाया जाना चाहिए।

ढुल्ल ने कहा कि भारत के कानून के अनुसार ये चुनाव नहीं हो सकता, लेकिन यदि कोई कानून से बाहर होकर चुनाव करवाता है तो वह सही नहीं है। ऐसा ही कुछ मामल चौधरी बंसीलाल के समय भी हुआ था। तब कोर्ट ने इस फैसले को सही ठहराया था, लेकिन तब सविंधान में संशोधन नहीं हुआ था। यह मामला अब संशोधन के बाद का है, तो ये चुनाव नहीं होने चाहिए।


एक साल की अवधि में उपचुनाव संभव- रामनरायण यादव

हरियाणा विधानसभा के सेवानिवृत स्पेशल सेक्रेटरी तथा पंजाब विधानसभा के सेवानिवृत एडवाइजर राम नरायाण यादव का कहना है कि सविंधान के आर्टिकल 164 की धारा 4 के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर को मंत्री विधानसभा का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसका मंत्री पद जा सकता है। इसलिए करनाल उपचुनाव करवाना महत्वपूर्ण है। अतीत में 1997 के अंदर पंजाब के तेज प्रताप सिंह के मामले में छह महीने के अंदर चुनाव ना लड़ने तथा छह महीने पूरे होने के बाद त्यागपत्र देकर अगले दिन दोबारा शपथ लेने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट सीज कर चुकी है तथा पूरा मंत्री मडंल भी भंग कर चुकी है।

यादव ने कहा कि मामला हाईकोर्ट में है. हर व्यक्ति कोर्ट जा भी सकता है। वहीं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 150 1A की धारा ये कहती है कि अगर उपचुनाव होना है तो उसे 6 महीने के अंदर करवा लेना चाहिए। लेकिन इसमें एक प्रोविजन भी है कि यदि एक साल से कम का समय किसी सीट के लिए बचा हुआ है तो वहां चुनाव नहीं हो सकते। इसके साथ ही केंद्र या राज्य सरकार चुनाव कराने में असर्मथ है तो चुनाव आयोग सर्टिफिकेट देकर चुनाव नहीं करवा सकता।

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