चेले-चपाटों का हुजूम लेकर मुख्यमंत्री ने जमकर लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाई: सुरजेवाला

Edited By vinod kumar, Updated: 18 May, 2021 04:56 PM

surjewala said chief minister fiercely violated the rules of lockdown

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मार्च 2020 से लेकर मार्च 2021 तक पूरा एक साल मिला था खट्टर सरकार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में ढांचागत सुधार करने के लिए, लेकिन इस एक साल में इन्होंने कोई एक भी बड़ा अस्पताल नहीं बनाया। न कोई...

चंडीगढ़ (धरणी): कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मार्च 2020 से लेकर मार्च 2021 तक पूरा एक साल मिला था खट्टर सरकार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में ढांचागत सुधार करने के लिए, लेकिन इस एक साल में इन्होंने कोई एक भी बड़ा अस्पताल नहीं बनाया। न कोई डॉक्टर्स की भर्ती की, न नर्सों की, न पैरामेडिकल स्टाफ की। ऑक्सीजन ऑक्सीजन कन्संट्रेटर का तो कभी जिक्र ही नहीं किया। हरियाणा के कई लोग ऑक्सीजन की कमी से अपने प्राण छोड़ गए। अगर ये अपराध नहीं, तो क्या है? प्रस्तुत है रणदीप सुरजेवाला से पंजाब केसरी की एक्सक्ल्यूसिव बात चीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न- कोरोना की दूसरी लहर में हरियाणा सरकार की जो तैयारियां हैं उससे कितने संतुष्ट हैं?
उत्तर- तैयारी करने के वक्त तो सरकार राजनीति करती रही, और अब काम करने के वक्त ये लोग कोविड टूरिज़्म कर रहे हैं। अब जब दूसरी लहर का पीक आ चुका है और हजारों लोग अपनी जिंदगी गंवा चुके हैं, तब खट्टर साहब औप दुष्यंत चौटाला तैयारी का स्वांग कर रहे हैं। इसे कहते हैं- ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’।

मार्च 2020 से लेकर मार्च, 2021 तक पूरा एक साल मिला था खट्टर सरकार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में ढांचागत सुधार करने के लिए। इस एक साल में इन्होंने कोई एक भी बड़ा अस्पताल नहीं बनाया। न डॉक्टर्स की कोई भर्ती की, न नर्सों की, न पैरामेडिकल स्टाफ की। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का तो कभी जिक्र ही नहीं किया। हरियाणा के लोग ऑक्सीजन की कमी से एड़ियां रगड़-रगड़कर प्राण छोड़ गए। अगर ये अपराध नहीं, तो क्या है?

प्रश्न- पानीपत व हिसार में 500-500 बिस्तरों वाले 2 अस्थाई अस्पतालों को शुरू किया जा चुका है?
उत्तर- ‘देर आए, दुरुस्त आए’  पर लगता है कि ‘बहुत देर कर दी, सनम आते आते’। दिसंबर, 2020-जनवरी, 2021 में जब पूरी दुनिया के विशेषज्ञ भारत में कोरोना की दूसरी लहर आने की चेतावनी दे रहे थे, तब हमारे प्रधानमंत्री मोदी 28 जनवरी, 2021 को ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की मीटिंग में विशेषज्ञों का मजाक उड़ाते हुए कोरोना से जंग जीत लेने के दावे कर रहे थे।

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज 5 दिसम्बर 2020 को कोरोना संक्रमित पाए गए। उन्हें पहले अंबाला भर्ती किया गया, फिर रोहतक पीजीआई, फिर बड़े प्राइवेट अस्पताल मेदांता अस्तपाल गुरुग्राम में। परमात्मा की दया से वह ठीक हुए। आप बताइए जब दिसंबर में हरियाणा की स्वास्थ्य सेवाओं के ये हालात थे कि हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा था, तो क्या खट्टर सरकार को उसी समय चौकन्ना नहीं हो जाना चाहिए था? 

हजारों लोगों के काल का ग्रास बनने के बाद अब आप 16 मई 2021 को 500-500 बिस्तरों की क्षमता वाले दो अस्थाई अस्पतालों के उद्घाटन का उत्सव मनाते हैं। सैकड़ों चेले-चपाटों का हुजूम लेकर मुख्यमंत्री खट्टर ने जमकर लॉकडाउन के नियमों और धारा 144 की धज्जियां उड़ाई। कल ही जब आप मजमा लगाकर उत्सव मनाते घूम रहे थे, तब प्रदेश में कितने ही लोग ऑक्सीजन, दवाई और अस्पताल बेड के लिए तड़प रहे थे। जान लें कि दो नहीं, कम से कम पचास अस्पतालों की ज़रूरत है, क्योंकि अब कोरोना गांवों में पूरी तरह से फैल चुका है।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सत्तापक्ष इस आंदोलन को कब निशाने पर नहीं ले रहा था। सरकार द्वारा अनदेखी किए जाने के बाद पिछले साल 26 नवंबर को जब किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया तब से लेकर आज तक, देश के इन मेहनतकश किसानों पर हर महीने नए-नए विशेषण देकर कीचड़ उछाला जाता है। दिसंबर में इन्हें विपक्ष के एजेंट कहा गया, जनवरी में खालिस्तानी और देशद्रोही कहा गया, फरवरी में इन्हें आढ़तियों के एजेंट कहा गया, मार्च में इन्हें विदेशी ताकतों के एजेंट कहा गया, अब इन्हें कोरोना फैलाने वाले बताकर बदनाम कर रहे हैं।

क्या भाजपा के लोग बता सकते हैं कि मोदी की रैलियों में ऐसा कौन सा मंत्र फूंका गया था जो कोरोना नहीं फैल रहा था? इसके विपरीत किसान-मजदूर, जो सावधानी बरतते हुए तंबुओं में बैठे हैं, इनसे कोरोना कैसे फैल गया? जब हरियाणा के शहरों में कोरोना फैल चुका था और सरकार कुछ कर ही नहीं रही थी तो यह संकट गांव में भी फैलना ही था। इस महामारी को गांवों में आंदोलनकारियों ने नहीं खट्टर सरकार के नाकारापन ने फैलाया है। अगर किसानों के धरनों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ होता तो लाशें गंगा में बहने की बजाय अब तक तो सारे ही आंदोलनकारी संक्रमित हो चुके होते।

भाजपा ऐसे बेशर्म लोगों का जमावड़ा है जो हर साल अपनी गलतियों का टोकरा ढोने के लिए एक नया बकरा ढूंढ लेते हैं। 2020 में अपनी असफलता इन्होंने तब्लीगी ज़मात पर थोपी थी, 2021 में किसानों पर थोपना चाहते हैं। लेकिन, हम लोग इनको इस दुष्प्रचार में सफल नहीं होने देंगे।

प्रश्न- ऑक्सीजन, रेमडिसिविर और अन्य दवाइयों की कालाबाडारी की शिकायतें आ रही हैं।
उत्तर- ये केवल शिकायतें नहीं हैं, ये इस प्रदेश की नहीं, नहीं पूरे देश की दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है। रेमडेसिविर इंजेक्शन एक एंटीवायरल ट्रीटमेंट है, जिसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति कोरोना के मरीजों के लिए दी गई है। अमेरिका की दवा कंपनी गिलियड के साथ लाइसेंस समझौते के अंतर्गत सात दवा कंपनियां भारत में रेमडेसिविर का उत्पादन करती हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 38 लाख इंजेक्शन प्रतिमाह है। परंतु मोदी ने अक्टूबर, 2020 से अप्रैल, 2021 के बीच रेमडेसिविर के 11 लाख इंजेक्शन विदेशों को वाहवाही लूटने के लिए निर्यात कर दिए। कागजों में हरियाणा सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन का रेट 1,800 रुपये किया हुआ है, लेकिन क्या 1,800 रुपये में इंजेक्शन मिलता है? लोग रेमडेसिविर के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। एक इंजेक्शन 25-30 हजार रुपये में खरीदा जा रहा है।

दरअसल, मनोहर लाल खट्टर एक प्रचारक रहे हैं, प्रशासक नहीं। वो आज भी प्रचारक ही हैं। उनसे उत्सव मनवा लीजिए, उनसे जयंती मनवा लो। सब कर लेंगे। लेकिन, अफसरशाही से काम लेना उनके बस की बात नहीं है। रही ऑक्सीजन की बात। कोविड की इस दूसरी लहर में या तो ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई हैं या क्लॉटिंग की वजह से हार्ट अटैक या स्ट्रोक आकर। लोग फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप्स, ट्विटर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर्स के लिए मदद मांगते रहे। समाज के लोगों ने आपस में एक दूसरे की मदद भले ही कर दी हो, लेकिन सरकारी तंत्र फेल था। केवल कांग्रेस मदद करने के लिए खड़ी है। ये जो अब ऑक्सीजन प्लांट चालू किए जा रहे हैं, अगर उनको समय रहते चालू कर दिया गया होता तो सैकडों जिंदगियां बच जाती। ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से जो लोग काल के मुंह में गए हैं, दरअसल उनकी हत्या का दोषी सरकार का नाकारापन है।

प्रश्न- प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मनमाने दाम वसूलने के मुद्दे पर क्या कहेंगे?
उत्तर- खट्टर साहब की सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत क्या कर दी है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की टांग में फ्रैक्चर हुआ, तो वह पंजाब के मोहाली स्थित मैक्स अस्पताल में जाकर ठीक होता है। जब स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को कोविड संक्रमण हुआ, तो वह गुरुग्राम के बड़े प्राइवेट मेदांता अस्पताल में जाकर इलाज करवाते हैं। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने तो सरकारी खर्चे पर गुरुग्राम के बड़े-बड़े अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ ले लिया, पर हरियाणा का आम आदमी कहां जाए? जिला मुख्यालयों पर स्थित निजी अस्पतालों ने एक-एक दिन के बेड का खर्चा 10-20 हजार रुपया लिया है। दवाइयों, डॉक्टर विजिट और बाकी खर्चों की लूट अलग से। 

प्रश्न- कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की बढ़ती संख्या, प्रतिदिन बढ़ते मौत के ग्राफ को लेकर सरकार को आपका सुझाव क्या है? इसे कैसे रोकें?
उत्तर- सबसे पहले तो सरकार अपने घमंड से बाहर आकर सच्चाई स्वीकार करे। प्रदेश में कितने ही डॉक्टर, नर्सिंग और एमपीएचडब्ल्यू पास युवा बेरोजगार हैं। उनको अनुबंध आधार पर भर्ती करके मेडिकल स्टाफ की किल्लत दूर की जाए। सरकार ने गांव में कोविड केंद्र स्थापित करने का ड्रामा किया है। अब देखिए उनमें किनकी ड्यूटी लगाई है? एक सोशल वर्कर, एक आशा वर्कर, एक आंगनबाड़ी वर्कर, एक नंबरदार और एक अध्यापक। क्या गांव की जनता के साथ इससे भद्दा कोई मजाक हो सकता है? किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्या इनमें से कोई भी सक्षम है? 

सरकार दवाइयों की कमी को दूर करने के लिए जमाखोरों पर छापेमारी करे तथा डॉक्टर्स जिन दवाइयों का कोर्स सामान्य मरीजों (जिनको ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की ज़रूरत नहीं) के लिए सुझाते हैं, उनके पैकेट्स तैयार करवाकर विभिन्न स्थानों पर अस्थाई वितरण केंद्र बनवाकर लोगों को मुफ्त में बंटवाए। महाराष्ट्र में इस तरह का कार्यक्रम काफी सफल रहा है।

स्ट्रीट वेंडर्स, रेहड़ी-पटरी पर ठेला लगाने वाले, सब्ज़ी-परचून वाले, ढाबेवाले, दूधवाले, डोमेस्टिक हेल्प जैसे समूह, जो लोगों के सीधे संपर्क में आते हैं, उनकी युद्धस्तर पर टेस्टिंग की जाए तथा उनका वैक्सीनेशन किया जाए। सब गरीबों के खाते में छः महीने तक 6000 रुपया प्रतिमाह डाले जाएं।

प्रश्न- कांग्रेस की भूमिका हरियाणा में इस महामारी में नजर नहीं आती? कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आती है?
उत्तर- कांग्रेस पार्टी संयुक्त परिवार की तरह है। चाहे अंग्रेज हों, चाहे आरएसएस की सांप्रदायिक राजनीति, देश की समस्याएं हों या महामारी, हम लोग हमेशा एकजुट होकर संघर्ष करते आए हैं। युवा कांग्रेस के लोगों ने तो भाजपा के सांसदों व राजदूतों तक के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम करवाया है। सरकार हमारे लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करके हमें जनता तक मदद पहुंचाने से रोकना चाहती है। लेकिन, हम ना डरेंगे, ना झुकेंगे, ना दूर हटेंगे। हम कल भी लोगों के साथ खड़े थे, हम आज भी साथ खड़े हैं।

प्रश्न- कोरोना की दूसरी लहर के लिए कांग्रेस यह आरोप क्यों लगा रही है कि सरकार फेल रही है?
उत्तर- कांग्रेस 135 साल पुरानी पार्टी है। पूरे एक साल से इस संकटकाल में हमने सरकार का साथ दिया। हमने आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करने की बजाय जनता को राहत पहुंचाने का काम किया। सड़कों पर मारे-मारे फिरते प्रवासी मजदूरों के लिए खाने-पानी व घर पहुंचाने के लिए बस का इंतजाम और ट्रेन का किराया देने में सहयोग दिया। पर भाजपा सरकार ने क्या किया? 

ये सरकार फेल है, ये बात केवल हम ही नहीं कह रहे। पूरी दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, पूरी दुनिया का मीडिया, भारत सहित पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी मानते हैं कि ये सरकार न केवल असफल रही है बल्कि चुनावी रैलियों, उत्सवों, कुंभ, आईपीएल के आयोजन के माध्यम से मोदी सरकार ‘सुपर स्प्रेडर’ सिद्ध हुई है। मोदी गंगा मैया की काया पलटने के जुमले फेंकते आए थे। गंगा मैया में आज मृत लोगों की काया ही काया नजर आ रही हैं।

इनको केवल प्रचार आता है, प्रशासन के नाम पर इनके पास केवल भाषण, उत्सव, कागजी अभियान और नारे हैं। पिछले लॉकडाउन के बाद ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जुमला निकालकर लाए थे। इस बार हालात थोड़े सुधर जाएंगे तो नया जुमला निकाल लाएंगे।

प्रश्न- वैक्सीनेशन को लेकर भी हरियाणा में कमी देखी जा रही है?
उत्तर- हरियाणा में वैक्सीनेशन के लिए खट्टर साहब की सरकार ने प्रयास किए कब? क्या केवल फोन पर रिंगटोन लगा देने से टीकाकरण हो जाता है? किसी भी टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए एक कुशल रणनीति, एक दृढ़ इच्छाशक्ति की ज़रूरत होती है। इन्हीं दो हथियारों के सहारे कांग्रेस की सरकारों ने देश में दुनिया के सबसे बड़े-बड़े टीकाकरण अभियानों को सफल बनाया था। भाजपा ने पूरी प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों के अल्पशिक्षित लोग आपकी उस डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रणाली से चाहकर भी नहीं जुड़ पा रहे हैं।

प्रश्न- गावों में जो कोरोना फैला है इसको लेकर सत्तापक्ष किसानों के आंदोलन को निशाने पर ले रहा है।
उत्तर- सत्तापक्ष इस आंदोलन को कब निशाने पर नहीं ले रहा था। सरकार द्वारा अनदेखी किए जाने के बाद पिछले साल 26 नवंबर को जब किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया तब से लेकर आज तक, देश के इन मेहनतकश किसानों पर हर महीने नए-नए विशेषण देकर कीचड़ उछाला जाता है। दिसंबर में इन्हें विपक्ष के एजेंट कहा गया, जनवरी में खालिस्तानी और देशद्रोही कहा गया, फरवरी में इन्हें आढ़तियों के एजेंट कहा गया, मार्च में इन्हें विदेशी ताकतों के एजेंट कहा गया, अब इन्हें कोरोना फैलाने वाले बताकर बदनाम कर रहे हैं।

क्या भाजपा के लोग बता सकते हैं कि मोदी की रैलियों में ऐसा कौन सा मंत्र फूंका गया था जो कोरोना नहीं फैल रहा था? इसके विपरीत किसान, मजदूर, जो सावधानी बरतते हुए तंबुओं में बैठे हैं, इनसे कोरोना कैसे फैल गया? जब हरियाणा के शहरों में कोरोना फैल चुका था और सरकार कुछ कर ही नहीं रही थी तो यह संकट गांव में भी फैलना ही था। इस महामारी को गांवों में आंदोलनकारियों ने नहीं खट्टर सरकार के नाकारापन ने फैलाया है। अगर किसानों के धरनों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ होता तो लाशें गंगा जी में बहने की बजाय अब तक तो सारे ही आंदोलनकारी संक्रमित हो चुके होते।

भाजपा ऐसे बेशर्म लोगों का जमावड़ा है जो हर साल अपनी गलतियों का टोकरा ढोने के लिए एक नया बकरा ढूंढ लेते हैं। 2020 में अपनी असफलता इन्होंने तब्लीगी जमात पर थोपी थी, 2021 में किसानों पर थोपना चाहते हैं। लेकिन, हम लोग इनको इस दुष्प्रचार में सफल नहीं होने देंगे।

प्रश्न- इस महामारी में क्या किसानों का आंदोलन जायज मानते हैं?  
उत्तर- जनता सड़कों पर तब उतरती है जब हुकूमत के जुल्मों की अति हो जाती है। खाद-बीज, कीटनाशक सबके दाम आसमान छू गए और सरकार सब्सिडी खत्म करती जा रही है। ऊपर से अब किसानों को अडानी एंड कंपनी के रहमोकरम पर छोड़ा जाने का खेल रचा जा रहा है। यह आंदोलन किसान की मजबूरी है क्योंकि अब उसके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया गया है।

अगर मोदी सरकार की नीयत साफ होती तो सरकार इन कानूनों को निरस्त करती और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देती। उसके पश्चात किसान संगठनों की सहमति से नए कृषि सुधार कानून लेकर आती। हम भी संसद में इनका सहयोग करते। लेकिन, मोदी जी ने अपने घमंड के कारण लाखों परिवारों को सड़कों पर बैठा रखा है। परमात्मा इन मेहनतकश किसानों का साथ दे और इनकी रक्षा करे। मेरी सभी किसान मजदूर भाइयों से हाथ जोड़कर विनती है कि अपने-अपने तंबुओं में सावधानी से रहें, मास्क का प्रयोग करें और वैक्सीन लगवा लें। आपका जीवन इस समाज के लिए बहुत मूल्यवान है। आपकी जीत अवश्य होगी। सरकार की बौखलाहट बताती है कि आप जीत की कगार पर खड़े हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!