Edited By Shivam, Updated: 17 Apr, 2019 04:30 PM
रोहतक रोडवेज के हालात काफी दयनीय बने हुए हैं। विभाग को इस समय करीब 500 बसों की जरूरत है लेकिन इस समय बेड़े में केवल 187 बसें ही हैं। जिस कारण जिले के स्टूडैंट्स और आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग की अनदेखी के...
रोहतक (संजीव): रोहतक रोडवेज के हालात काफी दयनीय बने हुए हैं। विभाग को इस समय करीब 500 बसों की जरूरत है लेकिन इस समय बेड़े में केवल 187 बसें ही हैं। जिस कारण जिले के स्टूडैंट्स और आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग की अनदेखी के चलते यहां की वर्कशॉप में दर्जनों बसें कंडम हालात में खड़ी हैं। बसों की संख्या बढ़ाने को लेकर कर्मचारी कई बार आंदोलन कर चुके हैं लेकिन सरकार और अधिकारियों का इस पर कोई असर नहीं हो पा रहा है। जिस कारण जिले में सवारियों को ढोने का जिम्मा निजी बस संचालकों ने संभाल रखा है लेकिन उनकी मनमानी के चलते लोगों की समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ रही हैं। दूसरी तरह हादसा होने का भी खतरा बना रहता है।
करनाल में हुए हादसे के बाद भी प्रदेश की जनता ने सरकार से आस लगाई थी कि शायद रोडवेज के हालात में कुछ सुधार आ जाए लेकिन घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी रोडवेज विभाग के हालात में कोई सुधार नहीं आया। बस स्टैंड पर घंटों बसों का इंतजार करते स्टूडैंट और राहगीर करते हैं। बसों की कमी के कारण उपर से नीचे तक सवारियों से लदी रोडवेज बसें और मजबूरी में निजी बसों की ओर जाते यात्रियों की भीड़ के चेहरे देखकर इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपनी किस्मत और रोडवेज विभाग की दशा का रोना रो रहे हैं।
हर साल होता है मुनाफा
भले ही रोडवेज विभाग के हालात दयनीय हैं लेकिन इसके बावजूद विभाग को हर साल करोड़ों रुपए का फायदा होता है। रोडवेज बसों के दुर्घटना होने के चांस भी कम ही रहते हैं। यही कारण है कि हर साल विभाग के चालक-परिचालकों को सम्मानित भी किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी सरकार बसों की संख्या को बढ़ाने का राजी नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार की नियत में ही खोट है।
ओवर टाइम बंद होने के बाद अधिक बिगड़े हालात
हरियाणा परिवहन विभाग की ओर से चालकों व परिचालकों के ओवरटाइम भुगतान की व्यवस्था खत्म की जा चुकी है। इससे रोडवेज के चालक, परिचालक 8 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। आलम यह है कि दोपहर एक बजे के बाद से 70 फीसदी रोडवेज बसें वर्कशॉप में जाकर खड़ी हो जाती हैं। लिहाजा बस स्टैंड के बूथ पर दोपहर से ही सहकारी परिवहन समितियों की बसों का कब्जा हो जाता है। समिति की बसों के परिचालक जमकर मनमानी करते हैं। रियायती पास धारक, सीनियर सिटीजन, विद्याॢथयों को प्राइवेट बसों में नहीं बिठाते। सरकार के नियमों का हवाला देने पर उलटे परिचालक यात्रियों से झगड़ जाते हैं। रोडवेज अधिकारियों के टरकाने व परिचालकों की ओर से किए जाने वाले अभद्रतापूर्ण व्यवहार से यात्रियों में रोष पनप रहा है।
डिपो पर निजी बसों का कब्जा
जिले के अधिकतर लोकल रूटों पर रोडवेज बस की सुविधा नहीं है। जिस कारण इन इलाकों से शहर के कालेजों में आने वाले स्टूडैंट्स का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि निजी बस वाले उनके पास मानने से भी इंकार कर देते हैं। बस स्टैंड से प्रदेश के विभिन्न रूट पर यात्रियों को परिवहन सुविधा देने के लिए परिवहन विभाग ने सहकारी परिवहन समिति के अंतर्गत 70 बसों को परमिट दे रखा है। तय नियम के अनुसार सरकार की ओर से जो भी रियायती सुविधाएं सरकारी रोडवेज बसों में दी जानी है, वही प्राइवेट बसों में भी मान्य होंगी लेकिन प्राइवेट बस के परिचालक रियायती पास धारकों को सुविधाएं नहीं देते हैं।