सुनील जागलान बने ग्राम एसोसिएशन ऑफ भारत के शेरपा, देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू करने के लिए करेंगे कार्य

Edited By Isha, Updated: 24 Apr, 2024 04:47 PM

sunil jaglan becomes sherpa of village association of india

आज पंचायती राज दिवस के मौक़े पर ग्राम  एशोसिएशन ऑफ़ भारत का गठन किया गया है जिसमें देश के हर राज्य से  सरपंच / मुखिया । प्रधान ने भागेदारी की ।

चंडीगढ़: आज पंचायती राज दिवस के मौक़े पर ग्राम  एशोसिएशन ऑफ़ भारत का गठन किया गया है जिसमें देश के हर राज्य से  सरपंच / मुखिया/ प्रधान ने भागेदारी की । इस दौरान  ग्राम  एशोसिएशन ऑफ़ भारत के शेरपा देश की पहली हाईटेक एवं महिला हितैषी पंचायत बीबीपुर गॉंव के पूर्व सरपंच एवं पंचायती राज अधिकारों के सक्रिय एक्टिविस्ट सुनील जागलान को बनाया गया है । 

देश में पहली बार पूरे देश से पंचायतों को शामिल कर ऐसा संगठन खड़ा किया गया है ।  ग्राम एशोसिएशन ऑफ़ भारत के अन्य सदस्य सुजाता , महाराष्ट्र से , कुलदीप सिंह जम्मू से , बबीता बिहार से , आरती देवी उड़ीसा से , अभिषेक सिंह उतर प्रदेश से , निमकित सिक्किम से, रोहित तिवारी मध्य प्रदेश , श्रीनिवास तेलंगाना से बनाए गए हैं । 

सुनील जागलान ने बताया कि देश में कहीं पर सरपंच , मुखिया , प्रधान तथा अन्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है इसलिए ग्राम एशोसिएशन में मुझे ग्राम प्रतिनिधियों ने ग्राम शेरपा शब्द की उपाधि दी है । पिछले 2 साल में मैने 30000 से ज़्यादा सरपंचों के साथ देश के अलग-अलग राज्यों में डॉयलाग स्थापित किया है । सभी से विचार विमर्श के बाद ही हमने निर्णय लिया कि देश को पंचायत के एक ऐसे प्लेटफ़ार्म की ज़रूरत है जिसमें देश के हर हिस्से से पंचायत प्रतिनिधि शामिल हो । 

ग़ौरतलब है कि सुनील जागलान पिछले 13 वर्षों से लगातार देश के अलग अलग राज्यों में जाकर पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं । अब तक क़रीबन देश के दस हजार गॉंवो खी यात्रा कर चुके है । 

सुनील जागलान ने बताया कि आज की तारीख में संविधान धान में पंचायत और नगर पालिका को स्थानीय सरकार के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है । संविधान  की 11वीं अनुसूची के माध्यम से पंचायत को 29 विषयों का प्राधिकार  दायित्व सौंपा गया है , क्यूंकि स्थानीय सरकार सातवीं अनुसूची  के अनुसार राज्य का विषय है, अतः उपरोक्त उपरोक्त सम्बंधित विषयों पर  संविधान ने प्राधिकार तथा दायित्व सौंपने की जिम्मेदारी  राज्य विधान    मंडलों को सौंपा है ।

साथ ही  संविधान में पंचायत को यह निर्देशित किया है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र   के अंतर्गत  आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय कि योजना बनायें तथा उन्हें क्रियान्वित करें । यही संवैधानिक  रूप  से सत्ता   के  विकेन्द्रीकरण  का प्रावधान है। लेकिन वर्तमान वस्तु स्थिति में संविधान के उपरोक्त प्रावधान एवं निर्देश के प्रतिपक्ष में अधिकांश राज्यों में वास्तविक अर्थ में अभी तक सत्ता के विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया अधूरी है । कुछ राज्यों में तो ना के बराबर है। यह प्रावधान सही अथों में तभी लागू होगा, जब संविधान  द्वारा प्रदत्त विषयों से संबन्धित सभी कार्य , कर्मी तथा कोष, स्थानीय सरकार को सौंपे जायें ।

इस दृष्टि  से किसी राज्य में यदि कुछ विषयों के आधे -तीहे कार्य दिए भी गए हैं तो उसके कर्मी और कोष सौंपे गए । इस संबंध में कई तरह की लापरवाही, उपेक्षा और विसंगति  दिखाई  पड़ती है। इसका मुख्य कारण संविधान के अनुच्छेद 243 का वह भाग है जिसके माध्यम से प्राधिकार और दायित्व सौपने का प्रावधान किया गया है । इसके लिए निर्मित अनुच्छेद 243 (जी) में राज्य  के विधानमंडलों को जो जिम्मेदारी सौंपी गयी है, उसे पूरी तरह से उनकी इच्छा तथा आवश्यकता पर छोड़ दी गयी है। जिसके चलते सत्ता के विकेन्द्रीकरण का संवैधानिक प्रयास अधूरा रह गया है।


इसके लिए सम्बंधित अनुच्छे द 243(जी) को संशोधित करके उसे बाध्यकारी बनाना होगा, तभी सत्ता के विकेन्द्रीकरण का संवैधानिक लक्ष्य पूरा होगा । सुनील जागलान ने कहा कि न्याय पंचायत व्यवस्था फिर से देश भर में लागू होनी चाहिए , यह बेहतरीन व्यवस्था समाप्त कर दी गई है तथा गॉंव के प्रमुख को एक ही शब्द सरपंच से पहचान मिलनी चाहिए क्योंकि कहीं पर मुखिया कहीं पर ग्राम प्रधान , कहीं पर विलेज प्रेसिडेंट नाम से जाना जाता है । 

देश में यूनिफ़ॉर्म पंचायती राज पर कार्य किया जाऐगा ।  ग़ौरतलब है कि दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनील जागलान ने 2010 में इस पद पर रहते हुए पहली महिला हितैषी पंचायत , पहली हाईटेक पंचायत , पंचायत तौर पहली लाईब्ररी , पहली महिला ग्राम सभा , पहली पंचायत जिसमे 50% पैसा महिलाओं के द्वारा ग्राम सभा के माध्यम से खर्च किया गया ।  इनके द्वारा तैयार किए गए बीबीपुर मॉडल को राष्ट्रपति द्वारा 100 गॉंवो में लागू किया ।

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