बाबरी मस्जिद ढहाने की कहानी रामचंद्र की जुबानी, बोले- पुलिस फोर्स का पहरा तोड़ कुछ घंटों में ढहा दी थी मस्जिद

Edited By Isha, Updated: 18 Jan, 2024 03:36 PM

story of demolition of babri masjid in the words of ramchandra

6 दिसंबर 1992 को देशभर के कार सेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कुछ ही घंटे में ढहा दिया था जिसके बाद सैकड़ो कार सेवकों को हिरासत में लिया गयास जिसमें हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले रामचंद्र भी शामिल थे। रामचंद्र बताते हैं कि हिंदुओं

सोनीपत( सन्नी मलिक): 6 दिसंबर 1992 को देशभर के कार सेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कुछ ही घंटे में ढहा दिया था जिसके बाद सैकड़ो कार सेवकों को हिरासत में लिया गयास जिसमें हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले रामचंद्र भी शामिल थे। रामचंद्र बताते हैं कि हिंदुओं के राम मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई थी जिसके चलते हमने इस कार्य को पूरा किया और मस्जिद को तोड़ दिया था।

करीब 500 साल पहले बाबर ने अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद स्थापित कर दी थी जिसके बाद जैसे ही देश आजाद हुआ बाबरी मस्जिद को तोड़कर राम मंदिर बनने की आवाज देश भर में उठने लगी और 6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को विध्वंस कर दिया। इसके बाद मुकदमे कार सेवकों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज किए गए, सोनीपत के रहने वाले रामचंद्र भी उन कार सेवकों में एक थे जिन्होंने बाबरी मस्जिद ढांचा को गिराया था। 

 रामचंद्र ने बताया कि जब वह सोनीपत से दिल्ली ट्रेन में रवाना हो रहे थे तो वह अपने शहर को ट्रेन की खिड़की से देख रहे थे कि क्या पता अब वह वापस ना आ पाए।  उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह ने 1990 में कार सेवकों पर गोलियां चलवा दी थी। बहुत सारे कार सेवक मारे गए थे, इस कांड की बहुत सारी वीडियो मैंने देखी थी जिसके चलते मैं यह सोच रहा था, हम वहां से अपने सांसद के साथ ट्रेन में सवार होकर अयोध्या पहुंचे और वहां पर एक धर्मशाला में रुके और अगले दिन जब हम बाबरी मस्जिद पर पहुंचे तो वहां पर पुलिस फोर्स का पहरा लगाया गया था।  हमारा संकल्प था की जान चाहे चली जाए लेकिन हिंदुत्व के लिए ऐसा काम कर जाएंगे कि किसी ने सोचा भी नही होगा।

 वहां पर नारे लगाए जा रहे थे एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद को तोड़ दो जिसके बाद हम  में जोश आया और हमने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया लेकिन हमारे कार सेवक भी गुबंद के नीचे खड़े थे जिसके चलते उनकी भी मौत हो गई। वहां पर लाखों की तादाद में पब्लिक मौजूद थीं जिन्होंने इस कार्य को अंजाम दिया। इस पूरे मामले में जब सीबीआई जांच हुई तो उन्होंने मेरे घर पर छापा भी मारा लेकिन मैं घर पर नहीं मिला बाद में मुझे गिरफ्तार कर दिया गया था। मुझे लखनऊ लेकर जाया गया और वहां पर मुझसे पूछताछ की गई, रामचंद्र इस घटना को याद करते-करते रो पड़े और उन्होंने कहा कि इस तरह के काम करने के लिए कुर्बानी चाहिए और हमारे कार सेवकों ने कुर्बानी दी है।

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