स्कूल हुआ खंडहर तो छठी से 8वीं तक कक्षाएं बंद, 5वीं तक मौत के साए में पढ़ रहे 11 बच्चे

Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 05 Jul, 2018 12:15 PM

sonipat school education department

सरकार भले ही शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को बेहतर करने का दावा करती हो लेकिन सोनीपत के फतेहपुर गांव में ऐसा भी स्कूल है जो पूरी तरह से खंडहर हो चुका है। जिसके कारण लोगों ने स्कूल में बच्चों को भेजना बंद कर दिया है। उसके बावजूद सरकार ने भवन...

सोनीपत (पवन राठी): सरकार भले ही शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को बेहतर करने का दावा करती हो लेकिन सोनीपत के फतेहपुर गांव में ऐसा भी स्कूल है जो पूरी तरह से खंडहर हो चुका है। जिसके कारण लोगों ने स्कूल में बच्चों को भेजना बंद कर दिया है। उसके बावजूद सरकार ने भवन बनवाने की जगह कक्षा छठी से आठवीं तक की कक्षाएं बंद कर दी हैं। लेकिन अब कक्षा पांच तक के बच्चों को भी लोग स्कूल नहीं भेज रहे अौर अब वहां केवल 11 बच्चे रह गए हैं। उन 11 बच्चों को 2 शिक्षक मैदान में या टूटी छत के नीचे बैठा कर पढ़ा रहे हैं क्योंकि स्कूल के सभी कमरों में मेन गेट की छत गिर चुकी है और दीवार गिरने का भी डर रहता है। वहीं अधिकारी इस मामले में कोई भी कार्यवाही करने से बच रहे हैं।
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फतेहपुर गांव में 1956-57 में कक्षा आठ तक का सरकारी स्कूल शुरू किया गया था। स्कूल में एक दर्जन कमरे जरूर बनवाए गए अौर वहां एक समय मेें 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते थे। लेकिन उसके बाद भवन की हालत खराब होती गई अौर उनको दोबारा नहीं बनवाया गया। पहले कक्षा 6वीं से आठवीं तक के भवन की हालत खराब होने पर छत गिरने लगी तो दीवारों में सीमेंट भी गिरने लगा। जिससे लोगों ने अपने बच्चों को सकूल भेजना बंद कर दिया है अौर वहां कक्षा 8वीं से पिछले साल केवल 5 बच्चे रह गए। इस कारण कक्षा छठी से आठवीं तक की कक्षाएं बंद कर दी गई अौर वह स्कूल पांचवीं तक रह गया है। इस बार पांचवीं तक का स्कूल भी बंद होने की नौबत आ गई है। 
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अध्यापिका ज्योति का कहना है कि वह बच्चों को पढ़ा रही है लेकिन सभी कमरे टूट चुके हैं, बुरा हाल है। पांचवी तक 11 ही बच्चे पढ़ रहे हैं लेकिन वह भी मौत के साए में हैं, कभी भी छत गिर सकती है। वहीं ग्रामीण भी चिंतित रहते हैं लेकिन कोई अधिकारी इस पर संज्ञान लेने को राजी नहीं दिख रहा है।
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जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मीडिया के माध्यम से ही उन्हें पता चला है। उन्होंने तुरंत ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से बात की और पूरे स्कूल की रिपोर्ट मांगीं तो बताया गया कि टेंडर हो चुका है और 28 लाख रुपए स्कूल के भवन निर्माण के लिए पास भी हो चुके हैं और जल्द ही वह इसका काम शुरू करवाएंगे। तब तक बच्चों को पास के स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा और आने-जाने का प्रबंध ही प्रशासन करेगा।

पूरे मामले के बाद एक बात तो साफ़ है कि सरकार कितनी ही अच्छी शिक्षा के दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कोसों दूर है। जिसका नजारा एक बार फिर गांव फतेहपुर के सरकारी स्कूल में देखने को मिला। वहीं अधिकारी लापरवाही भी सामने आई क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी ने खुद माना कि मीडिया के माध्यम से  स्थिति का पता चला है। बहरहाल अब देखना होगा कि बच्चे कब तक दूसरे स्कूल में शिफ्ट होते हैं या फिर अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं। इस गांव का भवन कब तक बनकर तैयार होगा जिसका पैसा भी अधिकारियों के पास आ चुका है।

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