जैन धर्म के विशेष पर्व को लेकर अगले 9 दिनों तक बंद रहेंगे सभी स्लॉटर हाउस

Edited By Shivam, Updated: 14 Aug, 2020 06:51 PM

slaughter house will be closed for 9 days in haryana

हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जैन धर्म के विशेष त्योहार पर्यूषण पर्व को लेकर प्रदेश के सभी स्लॉटर हाउस 9 दिनों तक (15 अगस्त से 23 अगस्त) बंद रहेंगे। इस संबंध में निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी उपायुक्तों...

पंचकूला (उमंग): हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जैन धर्म के विशेष त्योहार पर्यूषण पर्व को लेकर प्रदेश के सभी स्लॉटर हाउस 9 दिनों तक (15 अगस्त से 23 अगस्त) बंद रहेंगे। इस संबंध में निदेशालय की ओर से प्रदेश के सभी उपायुक्तों को लिखित रूप से सूचित कर दिया गया है। निदेशालय ने बताया कि यह निर्णय जैन महासभा के संरक्षक राधेश्याम जैन द्वारा दिए गए कानूनी नोटिस पर लिया गया है।

क्या है पर्युशन पर्व
religionworld.in वेबसाईट के मुताबिक, पर्यूषण पर्व जैन धर्म का मुख्य पर्व है। श्वेतांबर इस पर्व को 8 दिन और दिगंबर संप्रदाय के जैन अनुयायी इसे 10 दिन तक मनाते हैं। इस पर्व में जातक विभिन्न आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि योग जैसी साधना तप-जप के साथ करके जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करते हैं। दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देव को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे और भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं। तीर्थंकर अर्हंतों में से ही होते हैं।

यह पर्व भाद्रपद कृष्ण 12 से प्रारम्भ हो कर भाद्रपद शुक्ला 4 को पूर्ण होता है। पर्युषण पर्व का अन्तिम दिन संवत्सरी कहलाता है। संवत्सरी पर्व पर्युषण ही नहीं जैन धर्म का प्राण है। इस दिन सांवत्सरिक प्रतिक्रमण किया जाता है जिसके द्वारा वर्ष भर में किए गए पापों का प्रायश्चित्त करते हैं। सांवत्सरिक प्रतिक्रमण के बीच में ही सभी 84 लाख जीव योनी से क्षमा याचना की जाती है। यहाँ क्षमा याचना सभी जीवों से वैर भाव मिटा कर मैत्री करने के लिए होती है। क्षमा याचना शुद्ध ह्रदय से करने से ही फलप्रद होती है। इसे औपचारिकता मात्र नही समझना चाहिए। पर्यूषण पर्व पर क्षमत्क्षमापना या क्षमावाणी का कार्यक्रम ऐसा है जिससे जैनेतर जनता को काफी प्रेरणा मिलती है। इसे सामूहिक रूप से विश्व-मैत्री दिवस के रूप में मनाया जा सकता है। पर्यूषण पर्व के समापन पर इसे मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी या ऋषि पंचमी को संवत्सरी पर्व मनाया जाता है। श्वेताम्बर संप्रदाय के पर्यूषण 8 दिन चलते हैं। उसके बाद दिगंबर संप्रदाय वाले 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं। उन्हें वे ‘दसलक्षण’ के नाम से भी संबोधित करते हैं।

उस दिन लोग उपवास रखते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं। इसके साथ ही वे चौरासी लाख योनियों में विचरण कर रहे, समस्त जीवों से क्षमा माँगते हुए यह सूचित करते हैं कि उनका किसी से कोई बैर नहीं है।पर्युषण पर्व को आध्यात्मिक दीवाली की भी संज्ञा दी गई है। जिस तरह दीवाली पर व्यापारी अपने संपूर्ण वर्ष का आय-व्यय का पूरा हिसाब करते हैं, गृहस्थ अपने घरों की साफ- सफाई करते हैं, ठीक उसी तरह पर्युषण पर्व के आने पर जैन धर्म को मानने वाले लोग अपने वर्ष भर के पुण्य पाप का पूरा हिसाब करते हैं। वे अपनी आत्मा पर लगे कर्म रूपी मैल की साफ-सफाई करते हैं। पर्युषण आत्म जागरण का संदेश देता है और हमारी सोई हुई आत्मा को जगाता है। यह आत्मा द्वारा आत्मा को पहचानने की शक्ति देता है। इस दौरान व्यक्ति की संपूर्ण शक्तियां जग जाती हैं।

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