किसान विरोधियों के साथ खड़े होने की हमारी कोई मंशा नहीं, इसीलिए त्यागी है भाजपाः रविन्द्र ढुल

Edited By vinod kumar, Updated: 22 Oct, 2020 03:04 PM

ravinder said we have no intention of standing with the peasant opponents

किसी समय पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चैटाला के लाडले नेताओं में शुमार परमिन्द्र ढुल ने इनेलो के बुरे वक्त के समय पार्टी छोड़ दी थी और फिर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। लेकिन अचानक उन्होंने ठीक बरोदा उपचुनाव से पहले भाजपा को झटका दे दिया है।...

चंडीगढ़ (धरणी): किसी समय पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चैटाला के लाडले नेताओं में शुमार परमिन्द्र ढुल ने इनेलो के बुरे वक्त के समय पार्टी छोड़ दी थी और फिर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। लेकिन अचानक उन्होंने ठीक बरोदा उपचुनाव से पहले भाजपा को झटका दे दिया है। उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया और उनके पुत्र रविन्द्र ढुल ने डबल एजी के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होने अभी तक किसी भी पार्टी में जाने की घोषणा नहीं की है। पंजाब केसरी ने रविन्द्र ढुल से उनकी भविष्य की राजनीतिक मंशा जरूर जान ली। उनकी बातों से तो साफ लग रहा है कि वह अब कांग्रेस में जाकर राजनीति करने के इच्छुक हैं। इससे गठबन्धन उम्मीदवार की परेशानी बढ़ती दिख रही है। रविन्द्र ढुल से हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं-

प्रश्न- आपने डबल एजी के पद से इस्तीफा दे दिया है। क्या कारण रहा।
उत्तर- मैंने घोषणा कर दी है। महाअधिवक्ता से मुलाकात करके उनको इस्तीफा सौंप दिया है।

प्रश्न- आपके पिता पूर्व विधायक हैं। आपने और पिता ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। क्या कारण रहे।
उत्तर- किसान विरोधी कानूनों के कारण हमने यह रिजाइन देने का फैसला लिया है।

प्रश्न- क्या आपको मनाने की कोशिशें नहीं हुई।
उत्तर- राजनीति में इस प्रकार की चीजें चलती रहती हैं। काफी कोशिशें की गई। लेकिन हमारा स्टैंड शुरू से क्लीयर था। जब तक यह किसान विरोधी कानून वापस नहीं होंगे या हरियाणा में इनके इम्पलीमेंट को नहीं रोका जाएगा तब तक किसी भी हिसाब से मानने का सवाल नहीं है।

प्रश्न- पंजाब विधानसभा में प्रावधान हुआ है आज कि एम.एस.पी. से कम कीमत देना कानूनी अपराध होगा। 5 साल की सजा का भी प्रावधान है।
उतर- निश्चित तौर पर हमने भी कहा था। पिछले हफते माननीय अध्यक्ष की प्रेस स्टेटमेंट भी आई और घोषणा भी हर जगह की गई थी। किसान संगठनों ने भी यही बात कही थी। केंद्रीय कृषि मंत्री को भी यही बात कही थी कि एम.एस.पी. गारंटी कानून लेकर आइए, हम आपका साथ देने का वादा करते हैं। लेकिन इस प्रकार की बातों को दरकिनार कर जबरदस्ती यह बिल थोपे गए। जिसमें एम.एस.पी. की गारंटी नहीं दी गई। यह बातें दिल तोड़ने वाली थी और किसान विरोधियों के साथ खड़े होने की हमारी कोई मंशा नहीं है। इसलिए हमने इस्तीफा दिया है।

प्रश्न- इन कृषि कानूनों में ऐसे क्या पेंच हैं जिन्हें लेकर आपके पिता समेत कई विधायकों ने मीटिंग भी की थी।
उत्तर- मीटिंग की गई थी। उससे पहले भी हमने पार्टी स्तर पर और हरियाणा निवास की मीटिंग में इस बात को स्पष्ट किया था कि जो बेसिक प्रावधान है उसमें कई बदलाव किए जाने चाहिए जैसे मंडी व्यवस्था को बरकरार का बदलाव एम.एस.पी. की गारंटी का बदलाव हो हमने सुझाव दिए थे। लेकिन उन्हें दरकिनार किया गया। जबकि सरकार ने आश्वासन दिया था कि सब की बात को सुनकर ही फैसला लिया जाएगा।

प्रश्न- बरोदा उपचुनाव सिर पर है। आपके पिता की विधानसभा बिल्कुल साथ लगती है। क्या यह राजनीतिक रूप से सोचा-समझा कदम है।
उत्तर- राजनेता है तो राजनीति तो करनी ही होगी। अगर मैं कहूं कि राजनीति नहीं करूंगा तो यह भी गलत होगा और हम राजनीतिक रूप से घर-घर जाएंगे और लोगों से अपील करेंगे कि जन विरोधी और किसान विरोधी सरकार का विरोध करें। उनके खिलाफ मतदान करने का काम करें।

प्रश्न- किसके पक्ष में यह प्रचार रहेगा।
उत्तर- इस प्रकार की बैठक नहीं हुई है। यह बात हमारे कार्यकर्ता तय करेंगे। आज मीटिंग की घोषणा हो जाएगी। उसके बाद ही फैसला लिया जाएगा कि किस का समर्थन करना चाहिए।

प्रश्न- आपके विचारों से लगता है कि बी.जे.पी. के उम्मीदवार का समर्थन तो नहीं करेंगे।
उत्तर- सवाल ही पैदा नहीं होता। अगर बी.जे.पी. उम्मीदवार का समर्थन करना होता तो भाजपा को छोड़ते ही क्यों।

प्रश्न- तो क्या कांग्रेस का साथ दिया जाएगा।
उत्तर- ऐसा कहना जल्दी होगा। क्योंकि जब पिता ने भा.ज.पा. में आने का फैसला किया था। तब भी कार्यकर्ताओं की मीटिंग के बाद फैसला लिया गया था।

प्रश्न- ओम प्रकाश चैटाला ने कहा था कि पीठ में छुरा मारने वाले, पार्टी छोड़ने वाले लोगों के लिए दोबारा पार्टी में स्थान नहीं दिया जाएगा
उत्तर- चौटाला साहब हमारे आदरणीय हैं, हमारे बुजुर्ग हैं और परिवार के 40- 50 सालों से रिश्ते हैं। कुछ दिन उन्होंने पिता का नाम लेकर  कहा था कि दोबारा पार्टी में आने के इच्छुक हैं। लेकिन हमारी तरफ से आज तक कभी इस प्रकार की बात नहीं हुई। हां, चैटाला साहब से मुलाकात जरूर हुई थी, लेकिन केवल उनका हालचाल जानने के लिए इसके किसी भी प्रकार के राजनीतिक मायने नहीं थे।

प्रश्न- आपके पिता के साथ कुछ पूर्व विधायक जैसे रामपाल माजरा भी जल्दी आ सकते हैं।
उत्तर- बिल्कुल कयास हैं और सभी हमारे संपर्क में हैं। करीब एक दर्जन पूर्व विधायक और कुछ मौजूदा विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। जो इस सरकार से छुटकारा पाना चाहते हैं केवल और केवल किसान विरोधी बिलों के कारण। इस किसान विरोधी सरकार को सभी मजा चखाना चाहते है

प्रश्न- इनेलो के वक्त आपके पिता बरोदा विधानसभा के प्रभारी भी रहे हैं।
उतर- मेरे पिता बरौदा के चार बार प्रभारी रहे और महम विधानसभा के भी प्रभारी रहे। हमारा बरोदा विधानसभा में बहुत अधिक भाईचारा है। हमारे गौत्र के भी कई गांव है। हमारा शादी विवाहों में और राजनीतिक तौर पर भी यंहा बहुत ज्यादा आना-जाना है। हम निश्चित तौर पर जाएंगे और अपनी बात रखेंगे।

प्रश्न- इनेलो का त्याग कर आप राष्ट्रीय स्तर के संगठन बी.जे.पी. से जुड़े थे। अब प्रदेश स्तरीय राजनीति की जाएगी या राष्ट्रीय स्तरीय।
उत्तर- मेरा पर्सनल मत है कि राष्ट्रीय राजनीति की ओर जाना चाहिए। क्योंकि प्रदेश स्तरीय संगठन ज्यादा प्रफुल्लित नहीं हो रहे हैं। जैसे जे.जे.पी. ने चुनावों में वायदा किया था कि बी.जे.पी. का विरोध करेंगे। हम उस समय बी.जे.पी. में थे और उनके विरोध के कारण हम अपने विधानसभा में हार गए। उन्होंने जनता की इच्छाओं के विरुद्ध बी.जे.पी. को समर्थन दिया। इससे जनता के दिलों में जे.जे.पी. का विश्वास कम हुआ है। लेकिन फिर भी हम कार्यकर्ताओं के सामने अपने विचार रखेंगे और उसके बाद ही कुछ फैसला लेंगे।

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