नगर परिषद और पांच नगर पालिकाओं के कानूनी अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह

Edited By vinod kumar, Updated: 12 Nov, 2020 10:54 PM

question mark on the legal existence of the city council and five municipalities

चौदह माह पूर्व 11 सितम्बर, 2019 को अम्बाला कैंट विधायक और प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज के गृह-क्षेत्र में अम्बाला सदर (कैंट) नगर परिषद को अधिसूचित किया गया। हालांकि 17 मार्च, 2010 से पूर्व भी यहां नगर परिषद थी, परन्तु इस तारीख के बाद...

चंडीगढ़ (धरणी): चौदह माह पूर्व 11 सितम्बर, 2019 को अम्बाला कैंट विधायक और प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज के गृह-क्षेत्र में अम्बाला सदर (कैंट) नगर परिषद को अधिसूचित किया गया। हालांकि 17 मार्च, 2010 से पूर्व भी यहां नगर परिषद थी, परन्तु इस तारीख के बाद इसे अंबाला शहर नगर परिषद के साथ मिलाकर संयुक्त रूप से तत्कालीन अम्बाला नगर निगम में शामिल कर दिया गया था।

विज के अथक प्रयासों के फलस्वरूप अम्बाला नगर निगम का पुनर्गठन हुआ एवं सदर जोन (क्षेत्र) को उससे अलग कर पिछले 0वर्ष अम्बाला सदर नगर परिषद को फिर से अलग शहरी निकाय के रूप में स्थापित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त दो वर्ष पूर्व सोनीपत में कुंडली नगर पालिका को अक्टूबर, 2018 में, यमुनानगर में साढौरा और कुरुक्षेत्र में इस्माईलाबाद को नवंबर, 2018 में, फिर दिसंबर, 2018 में हिसार में बास को और फरवरी, 2019 में हिसार में  सिसाय को फरवरी, 2019 में नगर पालिका के रूप में अधिसूचित किया गया, परन्तु आज तक पुनर्गठित अम्बाला नगर परिषद और उक्त पांच नवगठित नगर पालिकाओं, जिन्हें अधिसूचित हुए डेढ़ वर्षो से दो वर्षो तक का समय बीत चुका है के पहले आम चुनाव आज तक नहीं करवाए गए हैं।

सभी नगर निकायों के मौजूदा तौर पर कानूनी अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह उठाया है। क्योंकि हरियाणा म्युनिसिपल एक्ट, 1973, जो हरियाणा की सभी नगरपालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, की धारा 12(2) के अनुसार नव गठित नगर परिषद और नगर पालिका के पहले आम चुनाव इसे अधिसूचित/पुनर्गठित करने के एक वर्ष के भीतर हरियाणा के राज्य निर्वाचन (चुनाव) आयोग द्वारा करवाना कानूनन आवश्यक है।

हालांकि ऐसा नहीं हो सका चाहे इसके कारण कुछ भी हों यह चुनाव न करवा पाने के कारण 1973 कानून की उक्त धारा में हरियाणा विधानसभा द्वारा संशोधन करना आवश्यक था। ताकि उक्त चुनाव करवाने की एक वर्ष की समय सीमा को और आगे बढ़ाया जा सके एवं उपरोक्त सभी नगर निकायों का कानूनी अस्तित्व कायम रह सके।

उन्होंने बताया कि न तो बीती 26 अगस्त को एक दिन के विधानसभा सत्र में और न ही इस माह 5 और 6 नवंबर को दो दिन के सत्र में ऐसा कानूनी संशोधन किया गया। हालांकि दोनों सत्रों दौरान दो अलग अलग म्युनिसिपल संशोधन विधेयक अवश्य पारित किए गए।

26 अगस्त को विधानसभा द्वारा हालांकि हरियाणा हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधयेक, 2020 पारित किया गया। जिसमें प्रावधान किया गया कि हरियाणा में नई नगर निगम के पहले आम चुनाव उसके गठन की नोटिफिकेशन से साढ़े पांच वर्षो तक करवाएं जा सकेंगे। इसका सीधा प्रभाव जुलाई, 2015 में नगर परिषद को अपग्रेड कर अधिसूचित सोनीपत नगर निगम पर हुआ है एवं उसके पहले चुनाव अब जनवरी, 2021 के पहले सप्ताह तक करवाए जा सकते हैं। इससे पहले यह समय सीमा पांच वर्ष अर्थात जुलाई, 2020 तक थी। ज्ञात रहे कि ताजा  संशोधन कानून 10 अक्टूबर, 2008 की तारिख से लागू किया गया है। ताकि सोनीपत नगर निगम के अस्तित्व  किसी प्रकार का कोई खतरा न हो। 

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहा कि जब नई नगर निगम के पहले चुनाव करवाने की समय सीमा बढ़ाने हेतू हरियाणा नगर निगम कानून की धारा 4(4) में ताज़ा  संशोधन को मिलाकर आज तक कुल आठ बार संशोधन किया जा चुका है, परन्तु इसी विषय पर प्रदेश की नई गठित नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के चुनाव टालने हेतू हरियाणा नगर पालिका कानून, 1973 की प्रासंगिक धारा में आज तक एक बार भी संशोधन नहीं किया गया है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!