ठेके पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों ने बिगाड़ा शिक्षा का माहौल

Edited By Manisha rana, Updated: 18 May, 2020 10:20 AM

private schools running on contract spoiled the atmosphere of education

पूरे जिले में एक दर्जन से अधिक प्राइवेट स्कूल ठेकों पर चल रहे है, जिनमें 500 से ज्यादा अध्यापक व 200 से अधिक नॉन टीचिंग स्टाफ काम कर रहा ...

टोहाना (विजेंद्र) : पूरे जिले में एक दर्जन से अधिक प्राइवेट स्कूल ठेकों पर चल रहे है, जिनमें 500 से ज्यादा अध्यापक व 200 से अधिक नॉन टीचिंग स्टॉफ काम कर रहा था। इसके अतिरिक्त इन स्कूलों में 50 से अधिक स्कूल वाहन व 100 से अधिक बस ड्राइवर व कंडक्टर काम कर रहे है। इन एक दर्जन स्कूलों में लगभग 5000 विद्यार्थियों के शिक्षा ग्रहण करने का अनुमान है। लॉकडाउन के चलते पिछले 3 महीने से बंद इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है।

लॉकडाउन के चलते इन स्कूलों के मालिकों पर तो कोई फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने तो अपने कांटैक्ट अनुसार मोटी राशि डकार ली है। अब हालात यह है कि अगर लॉकडाउन 1 या 2 महीने ओर चलता है तो इन प्राइवेट स्कूलों को ठेके पर चला रहे लोगों को स्कूल छोड़ने पर मजबूत होना पड़ेगा। वर्तमान हालातों में 4-5 महीने स्कूल बंद रहते है तो अभिभावक फीस नहीं देंगे। ऐसी परिस्थिति में ठेके की राशि के अतिरिक्त प्रत्येक स्कूल को 50 से 70 लाख रुपए की सैलरी घर से देनी पड़ेगी जो कि अधिकतर प्राइवेट स्कूल ठेकेदार के बस की बात नहीं है।    

जानकारी अनुसार जिले में चलाए जा रहे यह स्कूल उन पूंजीपतियों के है जो अपना काला धन शिक्षण सोसायटी बनाकर इन स्कूलों के मार्फत सफेद करने काम करते है। स्कूल बनाकर ठेके पर देने वाले यह पूंजीपति अधिकतर दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में बड़ा बिजनैस करते है और अपने काले धन को सफेद इन्हीं स्कूलों के माध्यम से करते है। ठेके पर प्राइवेट स्कूल चलाने वाले एक व्यक्ति ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने 15 मार्च को ही स्कूल मालिक को 10 लाख रुपए एडवांस में दिए है। ठेके की राशि देने के बाद स्कूल कोरोना वायरस की महामारी के कारण सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के चलते बंद हो गए। शुरु में तो उन्होंने अपने स्टॉफ के सैलरी दे दी थी, लेकिन लॉकडाउन लम्बा चलने के कारण अब उन्हें खुद की गाड़ी में पैट्रोल ड़लवाने के पैसे भी नहीं है।

उन्होंने बताया कि उनके पास एक दर्जन के लगभग स्कूल वाहन भी है जिनके टैक्स व बीमा की लाखों रुपए बकाया हो गए है। ऐसे हालात में वह स्कूल को छोड़ भी नहीं सकते क्योंकि उन्होंने एडवांस में कई चेक मालिक को दे रखे है। ऐसे में इन स्कूलों में पड़ने वाले हजारों छात्रों व अध्यापकों का क्या होगा। वास्तव में यह स्कूल सरकारी आदेशों को सीधा ठेंगा दिखाते है।किसी भी नियम कानून को नहीं मानते और बच्चों की सुऱक्षा व स्वास्थ्य संबंधी सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जाती है। इनमें से अधिकतर स्कूलों में कोई अग्निशमन यंत्र या नगर पालिका व डी.टी.पी. से एन. ओ.सी.भी नहीं है। जिले में ठेके पर चलाने वाले लगभग 1 दर्जन स्कूलों में जाखल में 2, भूना में 3, रतिया में 2, टोहाना में 3 व फतेहाबाद में 3 व भट्टू में 1 स्कूल होने की बात कहीं जा रही है। लॉकडाउन खुलने से पहले शिक्षा विभाग ने अगर इन स्कूलों की कोई जांच नहीं की तो आने वाले समय में यह स्कूल प्रशासन के लिए बड़ा सिरदर्द बन जाएंगे।   

 

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