नज़रिया : प्रणब दा ने स्मार्ट गांवों की परिकल्पना को धरातल पर उतारा, बच्चों और वंचित लड़कियों से था बेहद लगाव

Edited By , Updated: 30 Aug, 2023 09:49 PM

pranab da brought the concept of smart villages on the ground

यह वर्ष अक्तूबर 2016 की बात है। उस समय देश में स्मार्ट सिटी की बात बहुत तेजी से हो रही थी। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब दा ने गांवों की चिंता की और उन्हें भी स्मार्ट विलेज की कैटेगरी में लाकर खड़ा करने की एक जबरदस्त अभियान चलाया। प्रणब दा ने अपनी इस...

यह वर्ष अक्तूबर 2016 की बात है। उस समय देश में स्मार्ट सिटी की बात बहुत तेजी से हो रही थी। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब दा ने गांवों की चिंता की और उन्हें भी स्मार्ट विलेज की कैटेगरी में लाकर खड़ा करने की एक जबरदस्त अभियान चलाया। प्रणब दा ने अपनी इस मंशा और अभियान को पूरा करने के लिए हरियाणा तथा उत्तराखंड की धरती को चुना। स्मार्ट ग्राम परियोजना की प्रणब दा की सोच का ही नतीजा है कि उन्होंने मेरे जैसे सामान्य युवा सरपंच को राष्ट्रपति भवन में आकर गांवों के विकास की दिशा में किए जाने वाले कामों की जानकारी देने का मौका दिया। तब तक जींद जिले की मेरे गांव बीबीपुर की पंचायत पूरी तरह से डिजिटल हो चुकी थी। इस पंचायत के बारे में प्रणब दा ने समाचारों में पढ़ और सुन रखा था। 

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प्रणब दा ने जब मुझे राष्ट्रपति भवन बुलाया, उस समय मेरे पास न तो कोई एनजीओ था और न ही मेरे हाथों में किसी तरह का कोई दस्तावेज या कागज। इसके बावजूद मेरी कही हुई बातों पर पूरा विश्वास करते हुए उन्होंने मुझे अपने साथ जोड़कर गांवों के विकास की दिशा में काम करने की इच्छा जाहिर की। तभी प्रणब दा के दिमाग में एक फाउंडेशन बनाने का ख्याल आ गया था, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति पद से अलग होने के बाद पूरी जिम्मेदारी, निष्ठा तथा समर्पण भाव से चलाया। उस फाउंडेशन का नाम है, प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन, जो आज भी संचालित है और उसका मुख्यालय गुरुग्राम में है।

प्रणब दा अक्सर कहते थे कि पूरे देश का विकास गांवों से होकर गुजरता है। उन्होंने स्मार्ट गांवों की कड़ी में मेरे बीबीपुर गांव के माडल को चुनकर मुझे धरातल पर काम करने का अविश्वनसीय मौका दिया। मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों से तो हमेशा प्रशंसा मिलती रही, लेकिन बीबीपुर गांव के मॉडल को धरातल पर लागू करने के लिए जिन संसाधनों की जरूरत थी, वह संसाधन प्रणब दा ने पचास लाख रुपये के रूप में मुझे उपलब्ध कराए। मेरे पूरे परिवार को उन्होंने राष्ट्रपति भवन में बुलाकर विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया था। वह पल मेरे लिए बेहद अविस्मरणीय थे। प्रोटोकाल के मुताबिक राष्ट्रपति भवन में बेहद छोटे बच्चे नहीं जा सकते थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि मेरी छोटी बेटी भी याचिका भी साथ है तो उन्होंने तुरंत दस मिनट के भीतर लिखित आदेश जारी कर हमें अंदर बुलवाया तथा बेटियों के साथ सेल्फी ली। प्रणब दा धरातल से जुड़े व्यक्तित्व थे, वह अपनी एक नजर से किसी की भी काबिलियत को पहचानने की क्षमता रखते थे।

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मुझे उनके सामने कई बार वक्तव्य देने का मौका मिला। मैंने हर बार कहा कि स्मार्ट गांवों की बात करने वाले और उसे बरसों में पूरा करने वाले काफी मिल जाएंगे लेकिन गांवों को स्मार्ट बनाने की सोच को निश्चित समय अवधि में पूरा करने की परिकल्पना और क्षमता सिर्फ प्रणब दा के पास है। उन्होंने मेरे सेल्फी विद डॉटर अभियान को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति पद पर रहते हुए और तथा उसके बाद भी बार-बार कार्यक्रमों के आयोजन का मौका दिया। हरियाणा और देश भर की लड़कियों को सम्मानित करने के लिए प्रणब दा हमेशा तत्पर रहते थे। उन्हें बच्चों खासकर लड़कियों से बेहद लगाव था। वह मेवात की ल़ड़कियों के सामाजिक व शैक्षणिक उत्थान के लिए दिल से काम करते थे। 

राष्ट्रपति रहते हुए जब मैंने उन्हें गुरुग्राम के किसी गांव का दौरा करने का न्यौता दिया तो वह सोहना ब्लाक के दौहला गांव में पहुंचे। हमारे सेल्फी विद डॉटर अभियान तथा बीबीपुर माडल की थीम को समर्थन देते हुए महिला सशक्तीकरण के माध्यम से प्रणब दा ने गांवों के विकास की परिकल्पना पेश की। तब उन्होंने बोला कि गांवों को बढ़ाने के लिए लड़कियों का आगे बढ़ना जरूरी है। इसके बाद प्रणब दा जब अपनी मीटिंग लेते थे और गांवों में होने वाले विकास की जानकारी स्वयं लेते थे। जब मैंने प्रणब दा को बताया कि मैंने आपसे प्रेरित होकर महिलाओं के अधिकारों के लिए लाडो राइट्स पुस्तक लिखी है तो उसका विमोचन स्वयं प्रणब दा ने अपने हाथों से गुरुग्राम के नया गांव में आकर किया।

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हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और सफाई तथा सड़कों की समस्या के बारे में प्रणब दा के सामने जिक्र किया तो उन्होंने गुरुग्राम के 80 और नूंह के 20 गांवों को गोद लेने का ऐलान कर दिया। उस समय इसकी शुरुआत के मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी आए थे। इन गांवों का बच्चा-बच्चा प्रणब दा के नाम से वाकिफ है। मेवात में प्रणब दा के नाम से 2017 से दस पाठशालाएं चल रही हैं। इनमें स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती थी तथा बच्चों के प्रति उनका खासा लगाव था। प्रणब दा की कमी इस देश, समाज, बच्चों और वंचित वर्ग को हमेशा खलती रहेगी।

- प्रोफेसर सुनील जागलान 
(लेखक जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच तथा एसजीटी विश्वविद्यालय,गुरुग्राम में प्रोफ़ेसर )

 

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