Edited By Isha, Updated: 24 Dec, 2019 09:59 AM
मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो, मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है। ङ्क्षहदी फिल्म का यह गीत पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों के हैल्परों को बॉडी से विसरा निकालने वालों पर सटीक बैठता है। इसका कारण.......
भिवानी (ब्यूरो) : मुझे दुनिया वालो शराबी न समझो, मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है। हिंदी फिल्म का यह गीत पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों के हैल्परों को बॉडी से विसरा निकालने वालों पर सटीक बैठता है। इसका कारण यह है कि इन हैल्परों को यह काम करने के लिए मात्र एक रुपया मिलता है। जबकि इन हैल्परों को गली सड़ी लाशों को भी काटना पड़ता है।
इसलिए जब रात के समय उनके सामने दिन वाला सीन सामने आता है तो इनकी रूह कांप उठती है और नींद गायब हो जाती है। इसलिए नींद आने के लिए इन्हें मजबूरन शराब का सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा कई बार तो ये हैल्पर दिन में ही पोस्टमार्टम कराने के लिए आने वाले पुलिसकर्मियों से शव को काटने की एवज में शराब की मांग कर देते हैं।
डाक्टरों और फार्मासिस्ट का बढ़ा मेहनताना, हैल्पर्स का ज्यों का त्यों
यहां बता दें कि पूर्व में पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर को एक शव का पोस्टमार्टम करने की एवज में 10 रुपए, फार्मासिस्ट को 5 रुपए और इन हैल्परों को एक रुपया ही मिलता था। मगर कुछ महीने पहले सरकार ने एक शव का पोस्टमार्टम करने की एवज में एक हजार, फार्मासिस्ट के 500 रुपए कर दिए लेकिन इन हैल्पर्स के मेहनताने में किसी तरह की बढ़ौतरी नहीं की। इसलिए ये बेचारे एक रुपए के चक्कर में ही शवों की चीर फाड़ करते हैं।