मॉब लिंचिंग में मारे गए अकबर को इंसाफ दिलाने के लिए हुई महापंचायत

Edited By Shivam, Updated: 29 Jul, 2018 09:38 PM

panchayat in kolgaon to get justice for akbar killed in mob lynching

राजस्थान के अलवर से गाय ले कर आ रहे ललावंडी गांव में भीड़ तंत्र द्वारा पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे गए रकबर उर्फ अकबर को इंसाफ दिलाने के लिए रविवार को कोलगांव में महापंचायत का आयोजन हुआ। महापंचायत में न केवल हजारों की भीड़ उमड़ी बल्कि पहली बार सभी...

नूंह(एके बघेल): राजस्थान के अलवर से गाय ले कर आ रहे ललावंडी गांव में भीड़ तंत्र द्वारा पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे गए रकबर उर्फ अकबर को इंसाफ दिलाने के लिए रविवार को कोलगांव में महापंचायत का आयोजन हुआ। महापंचायत में न केवल हजारों की भीड़ उमड़ी बल्कि पहली बार सभी दलों के नेता एक मंच पर एक सुर में दिखाई दिए। उन्हें समर्थन करने के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव भी पहुंचे।पंचायत में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली के लोगों ने भी शिरकत कर रकबर की मौत पर दुख प्रकट करते हुए भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना की।

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कई घंटे चली महापंचायत में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जो इस प्रकार हैं-
-मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए। रकबर की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए। 
-रकबर के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने के साथ बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्चा सरकार के वहन करे। 
-रकबर की हत्या में साजिश रचने वाले नवल किशोर, ज्ञान देव आहूजा विधायक को दोषी बनाकर मामले में गिरफ्तार किए जाए, अन्य आरोपियों को जल्द गिरफ्तारी किए जाए।
-पुलिस द्वारा केस के मुख्य गवाह असलम के बयान उसके गांव कोलगांव में आकर या फिरोजपुर झिरका में आकर राजस्थान पुलिस दर्ज करे।
-मुकदमे में जांच के नाम पर पीड़ित और गवाहों को पुलिस तंग न करे, साथ ही रकबर हत्या के लिए जो इंसाफ कमेटी बनाई है। उसके सदस्य मौजूद रहने चाहिए।

वहीं हरियाणा सरकार द्वारा तत्काल पीड़ित परिवार को जो 8 लाख रुपये की मदद हुई, उससे लोग कुछ हद तक संतुष्ट नजर दिखे। महापंचायत में राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त रहीस खान, नसीम अहमद विधायक फिरोजपुर झिरका, पूर्व मंत्री आफ़ताब अहमद, पूर्व मंत्री आजाद मोहमद, पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान, पूर्व विधायक मास्टर अजमत खान, पूर्व विधायक शहीदा खान के अलावा कई पार्टियों के नेता मौजूद रहे।

बता दें कि पहलू, उमर मोहमद, शेर सिंह, जुनैद इत्यादि घटनाओं के बाद तो पंचायतों में सैकड़ों लोग शामिल हुए और चंद दिनों में मामला शांत होता चला गया। लेकिन रकबर की मौत ने सोये हुए मेवातियों को जगाने का काम कर दिया है। वहीं महापंचायत में यह भी फैसला लिया गया कि अगर सप्ताह भर में वसुंधरा सरकार ने मेवात के लोगों की मांगों पर गंभीरता से अमल नहीं किया तो हजारों की भीड़ जयपुर और अलवर में पड़ाव डाल कर सरकार की परेशानी बढ़ा सकती है। 

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