बच्चों को किताबों की जगह खातों में राशि डालने के फैसले का विरोध, सौंपा गया ज्ञापन

Edited By Isha, Updated: 17 Jun, 2021 04:33 PM

opposition to the decision to put money in accounts instead of books to children

शिक्षा विभाग द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को इस बार फ्री किताबें दिए जाने की बजाए उनके खाते में राशि डालने का फैसला लिया गया है। शिक्षा विभाग के इस फैसले का हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ द्वारा विरोध किया जा रहा है। वीरवार

रादौर(कुलदीप सैनी): शिक्षा विभाग द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को इस बार फ्री किताबें दिए जाने की बजाए उनके खाते में राशि डालने का फैसला लिया गया है। शिक्षा विभाग के इस फैसले का हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ द्वारा विरोध किया जा रहा है। वीरवार को अध्यापक संघ द्वारा इस फैसले के विरोध में खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर फैसले को वापिस लेने संबंधी एक ज्ञापन खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपा गया।

 इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में अध्यापक संघ के जिला प्रधान राकेश धनखड़ ने कहा कि बैंक में बच्चों के खाते खुलवाना ही बड़ा कठिन कार्य है और जिन बच्चों के खाते खुल चुके हैं उनमें से भी किसी ना किसी कारण से आधे से ज्यादा बच्चे ऐसे रह जाते हैं जिनके खातों में राशि आती ही नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चे के लिये किताब ऐसी अनिवार्य वस्तु है जो दाखिला होते समय ही तुरंत मिल जानी चाहिये। ताकि बच्चा अपनी पढ़ाई बिना देरी शुरु कर सके। महामारी के समय में पहले ही बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा है ऊपर से किताबे ना देकर सरकार और अधिक नुकसान करके सार्वजनिक शिक्षा से पल्ला झाड़ रही है।

वही खंड शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि अध्यापक ने एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें बच्चों को खाते में राशि की जगह किताबें दिए जाने की मांग की है। लेकिन अभी उनके पास ऐसा कोई आधिकारिक पत्र नहीं आया है, जिसमे ये कहा गया हो की किताबों की जगह राशि बच्चों के खाते में डाली जाएगी। उन्होंने कहा की अध्यापक संघ के ज्ञापन को विभाग के माध्यम से शिक्षा मंत्री तक पहुंचा दिया जाएगा। 

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