अब गांधीगिरी के साथ नए स्वरूप में नजर आएगा किसानों का आंदोलन

Edited By Isha, Updated: 02 Apr, 2021 09:59 AM

now farmers  movement will be seen in a new form with gandhigiri

कृषि बिलों को लेकर बेशक किसान और केंद्र सरकार फिलहाल आमने-सामने की स्थिति में हैं और यह आंदोलन अलग अलग मोड़ों से गुजरता हुआ अनेक उतार चढ़ाव के साथ पिछले लगभग 4 माह से निरंतर जारी है लेकिन अब बढ़ते समय के साथ साथ यह आंदोलन भी अलग अलग रंगों में नजर...

चंडीगढ़( संजय अरोड़ा): कृषि बिलों को लेकर बेशक किसान और केंद्र सरकार फिलहाल आमने-सामने की स्थिति में हैं और यह आंदोलन अलग अलग मोड़ों से गुजरता हुआ अनेक उतार चढ़ाव के साथ पिछले लगभग 4 माह से निरंतर जारी है लेकिन अब बढ़ते समय के साथ साथ यह आंदोलन भी अलग अलग रंगों में नजर आएगा। चूंकि कृषि बिलों को रद्द करने की मांग पर अड़े बैठे इन किसानों ने अब अपने इस आंदोलन का स्वरूप बदलने के लिए खास रणनीति अख्तियार की है और इसके तहत यह आंदोलन सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भावना के साथ आगे बढ़ेगा। ऐसे में आने वाले दिनों में किसानों का यह आंदोलन अलग ही रंग में देखने को मिलेगा। किसान जत्थेबंदियों की ओर से इसको लेकर बनाई गई इस विशेष रणनीति के तहत 5 अप्रैल को 24 घंटों के लिए कुंडली-मानसेर एक्सप्रैस हाइवे पर किसान शांतिपूर्वक जाम लगाएंगे।

किसान गांधीगिरी की राह अपनाते हुए मई के पहले पखवाड़े में संसद की ओर कूच करेंगे। किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि उन पर बेशक कोई हाथ उठाए या लाठी मारे, परंतु वे गांधीगिरी पर चलते हुए उसका ङ्क्षहसात्मक तरीके से जवाब देने की बजाए शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ते जाएंगे। आंदोलन का यह भावी रंग ही होगा कि आने वाले विशेष दिनों में किसान भी उस दिन की प्रासंगिकता को पुख्ता करने के मकसद से उसी दिन के आधार पर ही आंदोलन करेंगे। किसानों द्वारा तैयार किए आंदोलन के इस नए प्रारुप को देखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि आने वाले विशेष दिनों में किसान महापुरुषों के विशेष दिनों के साथ साथ ङ्क्षहदुस्तान के पर्वांे को भी मनाने के साथ साथ आंदोलन जारी रखेंगे।


ऐसा करके किसान आंदोलन की इस विशेष रणनीति के तहत सभी वर्गांे का दिल जीतने का भी प्रयास करेंगे तो वहीं ये किसान यह संदेश देने का भी प्रयास करेंगे किसान हर जाति-धर्म, मजहब से तो हंै ही वहींआंदोलन कर रहे किसान हिंदुस्तानी भी हैं और उन पर सियासी दलों द्वारा बरगलाने व भड़काने जैसे आरोप निराधार हैं। उल्लेखनीय है कि आंदोलन के शुरूआती दौर में जब सियासत गर्माई तो किसानों पर कई तरह से आरोप जड़े गए और इनमें किसी ने आतंकवादी करार दिया तो किसी ने देश से बाहरी ताकतों से मिले होने की बात कही। जबकि कइयों ने किसान आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताया। ऐसे में अब ये किसान विशेष दिनों पर किए जाने वाले अपने इस आंदोलन में ऐसे आरोपों का जवाब देने का भी प्रयास करेंगे।

ऐसे विशेष दिनों में यूं बढ़ेगा आंदोलन
गौरतलब है कि पिछले करीब 4 माह से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं और इस धरने में हरियाणा, पंजाब व यू.पी. के किसान ही मुख्य रूप से शामिल हैं जो सभी केंद्र सरकार से कृषि बिलों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। विभिन्न दिशाओं से गुजर रहे इस आंदोलन का अब किसानों ने एक नया प्रारुप तैयार किया है। किसान नेताओं द्वारा तैयार किए गए इस प्रारुप के तहत किसानों द्वारा 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग शहादत दिवस मनाया जाएगा और जलियांवाला बाग के शहीदों को नमन किया जाएगा।

इसी प्रकार 14 अप्रैल को संविधान निर्माता भीम राव अम्बेदकर की जयंती पर कार्यक्रम होगा। मंच पर अनुसूचित समुदाय से जुड़े बुद्धिजीवी व किसान होंगे। यही नहीं सामाजिक सौहार्द और सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूती देने के लिए किसान संगठनों ने आह्वान किया है कि दलित समुदाय के लोग अपने घरों में दीनबंधु सर छोटूराम की फोटो लगाएं तो स्वर्ण अपने घरों मे बाबा साहेब की फोटो जरूर लगाएं। 1 मई को किसान संगठन मजदूर दिवस मनाएंगे। मंच मजदूर ही सांझा करेंगे। किसान संगठनों का मानना है कि आंदोलन अभी लम्बा चलेगा। ऐसे में एक सधी हुई रणनीति के साथ आगे बढऩा होगा। आंदोलन में अब किसानों के साथ व्यापक संख्या में मजदूर, दलित एवं दूसरे तबकों को भी जोडऩा होगा। यही वजह है कि किसान संगठन अब आंदोलन को सामाजिक सौहार्द की ओर ले जा रहे हंै। साथ ही आंदोलन में रस पैदा करने और इसे धार देने के लिए किसान संगठन मई में संसद कूच की तैयारी में हैं।


अब तक ऐसे चला आंदोलन
पिछले चार माह से चल रहे किसानों के आंदोलन ने कई रूप देखे हैं। ट्रैक्टर मार्च के अलावा दिल्ली कूच और प्रदेश भर में किसान सभाओं के जरिए भी किसान एकता को प्रदॢशत किया गया है। इसके साथ साथ प्रदेश भर में मंत्रियों, विधायकों व सांसदों का घेराव करने व महापंचायतों का सिलसिला लगातार जारी है। जब किसानों द्वारा मंत्रियों, सांसदों व विधायकों का घेराव कर काले झंडे दिखाए गए तो किसानों को पुलिस की लाठियां भी सहनी पड़ी। आंसू गैस के गोले भी किसानों के मंसूबों को रोक नहीं पाए और यही वो वजह है कि किसान सर्द मौसम को खुले आसमान तले बैठकर चार माह तक का समय गुजार गए और विरोध अब भी जारी है तथा किसानों का पड़ाव आज भी सीमाओं पर है। लेकिन अब किसानों ने आगे बढ़ रहे इस आंदोलन का स्वरूप भी नया कर दिया है। देखना ये होगा कि किसानों का यह नया बदला रूप सरकार पर कितना असर डालता है।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!