अब ‘साजन’ चले हुड्डा की ससुराल की ओर

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 16 Jun, 2018 08:22 AM

now  saajan  goes towards hooda s inlaws

जाट आरक्षण आंदोलन के बाद से ही भाजपा सरकार को जाटों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। गैर-जाट भी सरकार की कार्यशैली को लेकर जाटों से नाराज चल रहे हैं। पार्टी हाईकमान को इस बात का पूरा अंदेशा...

अम्बाला(वत्स, मीनू): जाट आरक्षण आंदोलन के बाद से ही भाजपा सरकार को जाटों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। गैर-जाट भी सरकार की कार्यशैली को लेकर जाटों से नाराज चल रहे हैं। पार्टी हाईकमान को इस बात का पूरा अंदेशा है कि अगर प्रदेश में दूसरी बार सत्ता में आना है तो जाटों और गैर-जाटों दोनों को साधना होगा। यही कारण है कि अब सी.एम. मनोहर लाल खट्टर ने पूर्व सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ससुराल सोनीपत जिले पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया है। 
 

भाजपा की सरकार बनने के बाद इस जिले में पी.एम. मोदी के 3 कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में हुड्डा का बड़ा जनाधार माना जाता है। इस लोकसभा क्षेत्र में सोनीपत, राई, गन्नौर, बड़ौदा, गोहाना व खरखौदा विधानसभा क्षेत्र हैं। सोनीपत से कविता जैन प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। कविता जैन को छोड़कर अन्य 5 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस का कब्जा है। 

यह सभी विधायक हुड्डा समर्थक माने जाते हैं। चूंकि सोनीपत हुड्डा का ससुराल है, इसलिए शुरू से ही इस जिले में हुड्डा का दबदबा रहा है। प्रदेश में हिसार और फरीदाबाद के बाद सोनीपत ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जिसमें 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। यही कारण माना जा रहा है कि अब खट्टर ने इस क्षेत्र में ज्यादा फोकस करना शुरू कर दिया है। मोदी लहर के चलते इस लोकसभा क्षेत्र में गत विधानसभा चुनावों में 5 कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत ने इस बात को साबित कर दिया था कि जाटों के इस गढ़ में भाजपा के लिए सेंध लगाना आसान नहीं है। इसके बाद से ही भाजपा हाईकमान की नजर भी इस लोकसभा क्षेत्र पर टिकी हुई है।
 
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने में गैर-जाटों का बड़ा रोल रहा था। भाजपा गैर-जाटों को जाट आरक्षण आंदोलन के बाद नाराज कर चुकी है। उन्हें मनाकर फिर से अपने साथ जोडऩा भाजपा के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। भाजपा को ब्राह्मणों और बणियों की पार्टी माना जाता है। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा नुक्सान व्यापारियों का ही हुआ था। 

सैकड़ों की संख्या में उपद्रवियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे। प्रदेश सरकार की ओर से व्यापारियों को नुक्सान की भरपाई के लिए मुआवजा भी दिया गया, लेकिन व्यापारी इस मुआवजे से अभी तक संतुष्ट नहीं हैं। बाद में प्रदेश सरकार ने जाटों के आगे झुकते हुए आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लेने की घोषणा करके पीड़ित व्यापारियों के जख्म हरे करने का काम कर दिया। पीड़ित व्यापारी सरकार के इस फैसले से ज्यादा नाराज हो गए। 

जाट आरक्षण को लेकर प्रदेश के भाजपा के ही जाट नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। जाट इन नेताओं से भी नाराज चल रहे हैं। अगर उनकी नाराजगी दूर नहीं होती है तो आने वाले विधानसभा चुनावों में कैप्टन अभिमन्यु व ओमप्रकाश धनखड़ जैसे दिग्गज भाजपा नेताओं के लिए जाटों के सामने जाना भी आसान नहीं होगा। ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले जाटों को मनाने के लिए प्रदेश सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करेगी। 
 

जाटों में इस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सबसे सशक्त जाट नेता माना जा रहा है। अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपती है, तो इससे पार्टी को फायदा हो सकता है। कांग्रेस के बाद जाट वोट बैंक का ज्यादा रुख इनैलो की ओर रहता है। अभी रणदीप भी जाट वोट बैंक को अपने पक्ष करने में लगे हुए हैं। 


 

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