नए सॉफ्टवेयर से नहीं बच पाएंगे लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारी, एक जैसी शिकायतों पर होगी बड़ी कार्यवाही

Edited By Shivam, Updated: 24 Jul, 2021 04:33 PM

negligent and corrupt officials will not be able to escape from the new software

कोरोना काल में लंबे समय से सीएम विंडो का रिव्यू न होने के चलते लापरवाह हो चुके अधिकारियों पर जल्द ही बड़ा एक्शन देखने को मिलेगा। सीएम विंडो पर भेजी गई शिकायतों पर अधिकारियों द्वारा ज्यादा तवज्जो ना दिए जाने की सूचनाएं उच्च स्तर पर पहुंच रही थी।...

चंडीगढ़ (धरणी): कोरोना काल में लंबे समय से सीएम विंडो का रिव्यू न होने के चलते लापरवाह हो चुके अधिकारियों पर जल्द ही बड़ा एक्शन देखने को मिलेगा। सीएम विंडो पर भेजी गई शिकायतों पर अधिकारियों द्वारा ज्यादा तवज्जो ना दिए जाने की सूचनाएं उच्च स्तर पर पहुंच रही थी। कहीं-कहीं तो ऐसी सूचनाएं भी थी कि अधिकारी शिकायतकर्ता को बुलाते तक नहीं और झूठे साइन करके रिपोर्ट बना दी जाती हैं।

ऐसे मामलों में अब सीएम विंडो के सॉफ्टवेयर में कई ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं कि जिससे आमजन को काफी हद तक न्याय मिलेगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री के ओएसडी ग्रीवेंसिस भूपेश्वर दयाल ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण लंबे समय से सीएम विंडो की रिव्यु में काफी ढील बरती जा रही थी। कोरोना पीक समय पर था, जिस कारण से डिपार्टमेंटल एक्शन थोड़ा ठंडा रखा गया था। अब जल्द ही इसमें एक नई स्पीड देखने को मिलेगी। 

सॉफ्टवेयर में इस प्रकार के बदलाव किए गए हैं कि जिससे जो अधिकारी काम नहीं करते या काम को बेईमानी से करते हैं, जब वह कहीं दूसरे स्थान पर बदल दिए जाते हैं और वैसी ही शिकायतें उनकी नई जगह पर भी आनी शुरू हो जाती हैं तो इन दोनों के एनालिसिस का सिस्टम सॉफ्टवेयर में इजाद किया गया है, जिससे इस प्रकार के लोग बिल्कुल साफ सामने आ जाएंगे। साथ ही कुछ ऐसे काम है जो होने लायक नहीं हैं लेकिन हम उनके लिए दबाव बना रहे हैं, वह भी इस सॉफ्टवेयर के जरिए चिह्नित हो जाएंगे।

दयाल ने बताया कि हमने अपने सॉफ्टवेयर इस प्रकार से डिवाइस किया है कि जब कोई व्यक्ति एक जेनुअन कंप्लेंट डालता है, जैसे महिला अपनी प्रताडऩा, दहेज, छेडख़ानी इत्यादि की शिकायत डालती है तो हमारा सॉफ्टवेयर इतना अपडेट है जिससे तुरंत उसकी शिकायत जनरेट होकर हमारे पास एक एसएमएस जनरेट हो जाता है और संबंधित अधिकारी के पास उसकी कंप्लेंट पहुंच जाती है। यह एक ऑटोमेटिक सिस्टम है। हमें सिर्फ यह देखना है कि अधिकारी ने उस पर कितने समय में कितना संज्ञान लिया। जिस कारण से सोशल मीडिया की शिकायतों का निराकरण ऑलमोस्ट ऑल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल से हो रहा है।

भूपेश्वर दयाल ने बताया कि सीएम विंडो आ रही लगातार शिकायतों के समाधान में दिक्कतों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एमिनेंट सिटीजन का भी फार्मूला 2016 में इजाद किया गया था, जिसमें बहुत सी जगह शिकायतें आती थी कि अधिकारी शिकायतकर्ता को बुलाए बिना ही फर्जी हस्ताक्षर करके रिपोर्ट बना देता है, जिसे शिकायत बंद हो जाती है। ऐसी खबरें काफी आ रही थी। जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा काफी विचार विमर्श करने के बाद यह नया कंसेप्ट एमिनेंट सिटीजन बनाया गया, यानि आम जनता की सत्ता में सहभागिता, जिसमें जिला प्रशासन के माध्यम से हर विधानसभा से तीन प्रबुद्ध (सीनियर) लोगों के नाम लिए। 

उन्हें एमिनेंट सिटीजन मनोनीत किया गया और उनके कंधों पर यह बोझ डाला गया कि दोनों पक्षों की सुने और समन्वय का काम करें और यह लिखकर दें कि प्रशासन की लापरवाही किस प्रकार दिखी। जिससे समाधान यह निकला कि एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला, जिसने यह कहा हो कि अधिकारी ने मेरी बात नहीं सुनी। जिससे आमजन अपने आसपास-अपने शहर-अपननी विधानसभा के व्यक्ति के पास जाकर अपनी समस्या को अपनी बात को अच्छी तरह से रख सकता है और वह संतुष्ट होता है। इस एमिनेंट सिटीजन मनोनीत किए जाने के बाद हमारी सेटिस्फेक्शन अनुपात 40 से 42 फ़ीसदी हो गया जो कि पहले 14 से 16 फीसदी था।

दयाल ने बताया कि पिछले एमिनेंट सिटीजन का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। बहुत जल्द ही जिला प्रशासन को हमने नाम देने के लिए बोला हुआ है। ग्रीवेंसिस कमेटी के मेंबर- रिटायर्ड मेंबर्स इत्यादि जो सोशल सर्विस देना चाहते हैं। उन्होंने अपने अपने उपायुक्तों के पास आवेदन किया हुआ है। हफ्ते के अंदर ही हम पूरे हरियाणा में 280 नए एमिनेंट सिटीजन मनोनीत देंगे।

भूपेश्वर दयाल ने इस मौके पर कोरोना के आपातकाल के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि पहली व दूसरी लहर पर हम एक बहुत चौंकाने वाले आंकड़े मिले। पहली लहर का वेरिएंट काफी धीमा था। सीएम विंडो पर केवल 8500 शिकायतें मिली थी, जो कि अस्पताल में दवाई न मिलना, अस्पताल न मिलना इत्यादि शामिल था। लेकिन दूसरी लहर का वेरिएंट इतना डरावना था कि लोगों को बहुत लंबा मौका ही नहीं मिला। जिस कारण से हमारी शिकायतों का आंकड़ा काफी कम रहा। साथ में हमारे द्वारा पहली लहर के दौरान लिया गया सबक भी इसमें काम आया। हमने बहुत कुछ सीखा और काम किया। बीच में एक हफ्ते तक ऑक्सीजन व टीके इत्यादि न  मिलने को लेकर सोशल मीडिया ग्रीवेंसिस से हमारे ऊपर दबाव था। लेकिन एक हफ्ते में ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस मामले का भी समाधान कर लिया गया था।

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