मेधा पाटकर ने डिप्टी सीएम पर बोला हमला, बोलीं- उनके पास किसानों के सवालों का जवाब ही नहीं

Edited By vinod kumar, Updated: 10 Oct, 2020 07:10 PM

नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित दलितों, आदिवासियों, किसानों, मजदूरों व महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर जनआंदोलन चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने आज हरियाणा व पंजाब में किसानों के बीच पहुंची। इस दौरान सिरसा में शहीद भगत सिंह स्टेडियम के गेट के...

सिरसा (नवदीप सेतिया): नर्मदा बचाओ आंदोलन सहित दलितों, आदिवासियों, किसानों, मजदूरों व महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर जनआंदोलन चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने आज हरियाणा व पंजाब में किसानों के बीच पहुंची। इस दौरान सिरसा में शहीद भगत सिंह स्टेडियम के गेट के समक्ष धरने पर बैठे किसानों को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि हरियाणा के किसानों ने दुष्यंत चौटाला को घेरकर उनसे सवाल पूछा है, लेकिन एक जनप्रतिनिधि होने के नाते वे किसानों के बीच नहीं आते हैं। शायद उनके पास किसानों के सवालों का जवाब ही नहीं है। 

मेधा पाटकर के पैंतालिस मिनट के लम्बे भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उनके निशाने पर रहे। 'कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मजदूर किसान’ नारा देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब-हरियाणा के किसानों ने आंदोलन को न केवल शुरू किया, बल्कि उसे संघर्ष के शिखर पर पहुंचाया, उसके लिए वे किसानों को सलाम करती हैं। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर इनको कॉर्पोरेट घरानों से इतना प्यार है तो अपनी कुर्सी ही उन्हें दे दें। 

मेधा ने यहां तक कह डाला कि कांग्रेस के शासनकाल में कृषि संबंधी कानूनों को लेकर योजना आयोग की किसान संगठनों के साथ-साथ लेफ्ट के राजनेताओं संग वार्ता हुई, चर्चा हुई, संवाद हुआ। इस सरकार में तो संवाद एवं संवेदना दोनों ही समाप्त हो गए हैं। केंद्र सरकार उद्योगपतियों की तिजौरियां भर रही है। अब तक उद्योगपतियों के 68 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जा चुका है। मेधा पाटकर ने केंद्र सरकार के तीन कानूनों को 'गोरे कानूनों’ की संज्ञा देते हुए कहा कि इस कदम से बाजार खुलेगा तो मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा।

उन्होंने दुष्यंत चौटाला पर हमला बोलते हुए कहा कि 'हम आज भी चौ. देवीलाल को याद करते हैं। आपने खेतिहर के नाम पर वोट लिए और अब किसानों के बीच नहीं आ रहे हैं। ऐसे में यह हम भी देख रहे हैं और लोग भी देखेंगे कि दुष्यंत चौटाला की कुर्सी कितने दिन बचती है?’ उन्होंने इन कानूनों पर तर्क देते हुए कहा कि कंपनियां हमेशा लालच देकर प्रवेश करती हैं और उसके बाद इन कानूनों के जरिए किसानों को भूमिहीन कर देंगी। इन कानूनों से मंडी को खत्म नहीं किया जाएगा, जबकि इसके उल्ट मंडियां तो अपने आप समाप्त हो जाएंगी, क्योंकि किसान की फसल को कांट्रैक्टर खरीद करेंगे। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर मेधा पाटकर ने कहा कि केंद्र सरकार एम.एस.पी. को लेकर भी किसानों में भ्रम डाल रही है। जबकि इन कानूनों के लागू हो जाने के बाद एम.एस.पी. बिल्कुल खत्म हो जाएगा। जिसका सीधा फायदा अंबानी और अडानी जैसे बड़े घरानों को होगा। कांट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के विरोध में बोलते हुए कहा कि सरकार किसानों की भूमि छीनने का प्रयास कर रही है। यह कानून लागू होते ही किसान भूमिहीन हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को सुधारने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है, बल्कि पूंजीपतियों को लाभान्वित करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही है। 

ये अकेले किसान वर्ग की लड़ाई नहीं है। किसानों की इस लड़ाई में समाज के सभी वर्गों को मिलकर साथ देना होगा, ताकि सरकार को इन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ और सिर्फ अपने मन की बात करते हैं। दूसरों के मन की बात सुनने का उनके पास समय ही नहीं है। जहां आपसी संवाद खत्म हो जाता है, वहां संवेदनाएं भी खत्म हो जाती है।

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