मनोहर सरकार : जाटों को सर्वाधिक प्रतिनिधित्व और जाटलैंड की अनदेखी

Edited By Isha, Updated: 15 Nov, 2019 10:50 AM

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हरियाणा में दूसरी बार सत्ता संभाल रही मनोहर लाल सरकार ने लंबे इंतजार के बाद मंत्रिमंडल का गठन तो किया लेकिन जातिगत और क्षेत्रवाद के सभी समीकरणों को बिगाड़ दिया। मनोहर सरकार ने सबका साथ

करनाल (शर्मा): हरियाणा में दूसरी बार सत्ता संभाल रही मनोहर लाल सरकार ने लंबे इंतजार के बाद मंत्रिमंडल का गठन तो किया लेकिन जातिगत और क्षेत्रवाद के सभी समीकरणों को बिगाड़ दिया। मनोहर सरकार ने सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास का नारा तो दिया लेकिन मंत्री बनाते समय इसे पीछे छोड़ दिया।

मनोहर सरकार में 2 पंजाबी, 4 जाट, 2 दलित तथा 1-1 ब्राह्मण, जट्ट सिख, गुर्जर, अहीर व बनिया समुदाय को प्रतिनिधित्व मिला है। प्रदेश के रोहतक, झज्जर व सोनीपत जिलों की सरकार में पूरी तरह से अनदेखी हुई है। इन तीनों जिलों की कुल 14 विधानसभा सीटों में से इस बार भाजपा के खाते में महज 2 सीटें आई हैं। राई से मोहनलाल बड़ोली और गन्नौर से निर्मला चौधरी ने नए चेहरों के तौर पर खाता खोला। वहीं 2014 में भाजपा को देशवाली बैल्ट से 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 4 विधायकों के बावजूद उनमें से 2 को कैबिनेट और एक को राज्य मंत्री बनाया गया था।

भाजपा ने इस बार इस इलाके को पूरी तरह से नकार दिया। हालांकि इससे पहले लोकसभा चुनाव में लोगों ने रोहतक व सोनीपत पर भाजपा को जीत दिलाई थी। 22 जिलों वाले हरियाणा में इस बार सरकार में केवल 13 जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है। सरकार गठन में रोहतक, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, दादरी, फतेहाबाद, गुरुग्राम, पलवल व मेवात का सरकार में कोई खाता नहीं है। इनमें से रोहतक, दादरी व मेवात ऐसे जिले हैं जहां भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई।

खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल की तुलना अगर मौजूदा कैबिनेट से करें तो कई जातियां ऐसी हैं जो इस बार सत्ता में भागीदार होने से पिछड़ गईं। पिछड़ा वर्ग से कंवरपाल गुर्जर और ओम प्रकाश यादव को कैबिनेट में जगह मिली है लेकिन अति पिछड़ा वर्ग कैबिनेट में शामिल होने से वंचित ही रहा। पार्टी के पास रणबीर सिंह गंगवा और रामकुमार कश्यप जैसे 2 बड़े चेहरे थे जो पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व कर सकते थे। वहीं भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले राजपूतों को भी सरकार में हिस्सा नहीं मिला है।

रोड़ जाति की उम्मीदें भी सिरे नहीं चढ़ पाईं। ऐसा पहली बार हुआ है जब विधानसभा में पहुंचे कुल 8 वैश्य विधायकों में से 7 भाजपा के हैं। पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है लेकिन बाकी कोई भी वैश्य विधायक कैबिनेट में एजडस्ट नहीं हो पाया। पलवल विधायक दीपक मंगला, गुरुग्राम के सुधीर सिंगला, भिवानी के घनश्याम सर्राफ और हिसार के डा. कमल गुप्ता का नाम सुॢखयों में था। लगातार तीसरी बार विधायक बने सर्राफ का भी इस बार मंत्री बनने में नंबर नहीं लग पाया है।

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