शराब कारखानों ने मिलीभगत करके ठेकेदारों को लगाया अरबों का चूना

Edited By vinod kumar, Updated: 09 Dec, 2019 11:05 AM

liquor given to contractors in excess of the prescribed rate

आबकारी नीति के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए शराब कारखानों ने देसी शराब थोक में ठेकेदारों को निर्धारित रेट से अधिक मूल्य में शराब देकर उन्हें अरबों रुपयों का चूना लगा दिया।  सरकार की ही 2019-20 नीति के नियम मुताबिक 600 रुपए प्रति पेटी रेट फिक्स किया...

अम्बाला शहर(रीटा/कोचर): आबकारी नीति के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए शराब कारखानों ने देसी शराब थोक में ठेकेदारों को निर्धारित रेट से अधिक मूल्य में शराब देकर उन्हें अरबों रुपयों का चूना लगा दिया।  सरकार की ही 2019-20 नीति के नियम मुताबिक 600 रुपए प्रति पेटी रेट फिक्स किया गया था लेकिन ठेकेदारों को यह पेटी 608.80 रुपए के हिसाब से देकर उन्हें ठगा।

इस लूटपाट के खिलाफ  अम्बाला शहर से मित्तल एंड कम्पनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की तो नोटिस होने के बाद आबकारी एवं एक्साइज आयुक्त ने वहां गलती मानते हुए रुपए वापस दिलवाने का आश्वासन दिलवाया लेकिन अब 5 दिसम्बर को फिर से मामले की सुनवाई हुई तो आयुक्त अपने खुद के बयानों से पलटी मार गए और हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दिया कि आबकारी नीति में गलती से शराब की कीमत छूट गई है। 

इसमें सुधार करने के लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिख दिया है। ऐसे में अब ठेकेदारों की रिकवरी सरकार द्वारा लिए जाने वाले फैसले पर निर्भर करेगी, वहीं अगर जल्दी ही ठेकेदारों की रिकवरी नहीं हुई तो उन्होंने सरकार के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट में जाने की भी तैयारी कर ली है। जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से हर साल आबकारी नीति बनाई जाती है। वर्ष 2019-20 के लिए बनाई गई नीति के तहत इस बार सरकार द्वारा कारखानों से एल.13 के तहत देसी शराब प्रति पेटी 600 रुपए रेट फिक्स किया गया था।

मतलब कारखानों से थोक में 600 रुपए के हिसाब से शराब प्रति पेटी मिलनी थी और रिटेल में इसकी बिङ्क्षलग 610 रुपए रेट तय हुआ था लेकिन कारखानों ने आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर ली और कारखानों से ठेकेदारों को 600 के बजाय 608.80 पैसे के हिसाब से बिङ्क्षलग कर उन्हें शराब दी गई। ठेकेदारों को निर्धारित रेट से अधिक मूल्य पर शराब खरीदने के कारण अरबों रुपयों का चूना लग गया।

आयुक्त खुद हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने पहुंचे
इस घाटे के खिलाफ  मित्तल एंड कम्पनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और अक्तूबर महीने में इस मामले की सुनवाई हुई। याचिका दायर होने के बाद एक्साइज विभाग को नोटिस मिला तो विभाग के आयुक्त खुद हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने पहुंचे। सुनवाई में आयुक्त ने कहा कि कारखानों द्वारा ठेकेदारों से अधिक रुपए लिए गए है और विश्वास दिलवाया कि विभाग द्वारा ठेकेदारों को 8.80 रुपए के हिसाब से उनके रुपए वापस दिलवाए जाएंगे लेकिन रुपए वापस नहीं मिले तो 5 दिसम्बर को हाईकोर्ट में जस्टिस अजय तिवारी की कोर्ट में सुनवाई हुई।

वहां सुनवाई में पहुंचे आबकारी विभाग के आयुक्त अपने बयानों से ही पलट गए और कोर्ट में अपना शपथ-पत्र दिया कि आबकारी नीति में गलती से शराब की कीमत रह गई है और इस गलती को सुधारने के लिए विभाग द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है जबकि नीति के नियमानुसार एक बार नियम बनने के बाद शराब की कीमतों में कोई उलटफेर नहीं कर सकते है। ऐसे में अब ठेकेदारों को सरकार द्वारा नीति के नियमों में किए जाने वाले संशोधन का इंतजार करना होगा। 

आबकारी विभाग के कारण उन्हें मुनाफे के बजाए करोड़ों रुपयों का नुक्सान हो गया है। हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जहां पहले आबकारी आयुक्त ने विभाग द्वारा रिकवरी करवाने की बात कहीं थी लेकिन अब अधिकारी अपनी ही बात से मुकर गया है। अब उन्हें सरकार के फैसले का इंतजार करना होगा और अगर इसके बाद भी उनकी रिकवरी नहीं हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट जाने को भी तैयार है। 
    - प्रदीप मित्तल,याचिकाकर्ता, मित्तल एंड कम्पनी।  

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