नवनिर्वाचित सांसद  कुमारी सैलजा ने सिरसा क्षेत्र में घग्घर नदी में बढ़ते प्रदूषण पर जताई चिंता

Edited By Isha, Updated: 26 Jun, 2024 03:17 PM

kumari sailja expressed concern over the increasing pollution in ghagghar

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस (इंडिया गठबंधन) की नवनिर्वाचित

चंडीगढ़ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस (इंडिया गठबंधन) की नवनिर्वाचित सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि घग्घर नदी जो सिरसा के सैकड़ों गांवों की जीवन रेखा है लेकिन पिछले डेढ़ दशक से और हाल ही में घग्गर का उपयोग सभी प्रकार के प्रदूषकों को प्रवाहित करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें फैक्ट्री अपशिष्ट और खतरनाक रसायन शामिल हैं, जो कैंसरकारी, उपचारित और अनुपचारित सीवेज आदि हो सकते हैं।

घग्गर के आसपास रहने वालों का जीवन बहुत दयनीय
सिरसा में पड़ने वाले घग्गर के क्षेत्र में इन प्रदूषकों के प्रवाह में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है, जो बहुत ही अप्रिय और तीखी दुर्गंध भी उत्सर्जित कर रहे हैं, जिससे मनुष्यों और दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा होने के अलावा घग्गर के आसपास रहने वालों का जीवन बहुत दयनीय हो गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि इस दिशा में उचित कदम उठाते हुए नदी के जल को प्रदूषित होने से बचाया जाए ओर जल को प्रदूषित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

कुमारी सैलजा ने  ओटू हैड़ पर रूककर  किसानों से की मुलाकात
गौरतलब हो कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा जब रानियां क्षेत्र के दौर पर थी तो ओटू हैड़ पर रूककर उन्होंने किसानों से मुलाकात की तब किसानों ने घग्घर नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अपनी चिंताएं उनके समक्ष रखी थी। नवनिर्वाचित सांसद ने उन्हें आश्वासन दिया था कि सबसे पहला काम घग्घर नदी को लेकर ही करेंगी। उन्होंने न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) अध्यक्ष, सी.आर पाटिल केंद्रीय मंत्री - जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार और भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को पत्र लिखकर घग्घर नदी को लेकर किसानों की चिंताओं से अवगत कराते हुए कहा है कि घग्गर नदी जो शिवालिक पहाडिय़ों से निकलती है और हिमाचल, यूटी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की एक विशाल लंबाई से होकर गुजरती है। यह सिरसा के सैकड़ों गांवों की जीवन रेखा है।
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इसे अकसर पवित्र नदी सरस्वती से भी जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि घग्घर नदी का प्रदूषित जल पक्षी जीवन और ओटू वियर के आसपास जलीय जीवन (विशेष रूप से मत्स्य पालन) को भी बहुत प्रभावित कर रहा है, जो प्रवासी पक्षियों का घर है और साथ ही मछली और मत्स्य पालन विभाग का भी घर है।  घग्गर में बहने वाली नदियां निश्चित रूप से भूजल को प्रदूषित कर रही हैं, जिससे निश्चित रूप से मानव आबादी और दुधारू पशुओं आदि के स्वास्थ्य को बहुत बड़ा खतरा है। घग्गर नदी के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले मवेशियों से मिलने वाला दूध घटिया गुणवत्ता का होता है। साथ ही क्षेत्र में जल जनित बीमारियां पीलिया, दस्त, टाइफाइड, हेपेटाइटिस, मलेरिया आदि होती है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कैंसर, यकृत और गैस्ट्रिक रोगों के मामलों में वृद्धि इस नदी के प्रदूषण के कारण है। ऐसा माना जाता है कि उपरोक्त में अचानक वृद्धि का कारण घग्गर बेल्ट में आने वाले दर्जनों गांवों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की दोषपूर्ण स्थापना हो सकती है, जहां पिछले कुछ वर्षों में सीवरेज सिस्टम की समस्या आई है और शहर सिरसा, शहर ऐलनाबाद और कुछ ऐसे ही अपस्ट्रीम शहरों के एसटीपी की भी यही स्थिति है। इन एसटीपी के उचित कामकाज का निरीक्षण किया जाना चाहिए और यदि कोई दोष या बाईपास है तो उसे ठीक किया जाना चाहिए। इस गंभीर पर्यावरण खतरे की अनदेखी करने से घग्गर बेसिन में अपरिवर्तनीय प्रदूषण हो सकता है।

उन्होंने कहा है कि  न्यायमूर्ति प्रीतम पाल की अध्यक्षता वाले आयोग की रिपोर्ट आंखें खोलने वाली थी, लेकिन उनकी सिफारिशें संबंधित अधिकारियों के कानों पर नहीं पड़ीं।  सिरसा लोकसभा क्षेत्र की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं  लोक पंचायत, सिरसा, घग्गर बचाओ समिति ने समय-समय पर उपरोक्त खतरों के बारे में आवाज उठाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ (जैसे आदि)।  ओटू झील की खुदाई भी तत्काल आवश्यक है, जल भंडारण को बढ़ाने और गाद हटाने के लिए झील की खुदाई के पिछले प्रयासों में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ था। अभी भी झील जलकुंभी से भरी हुई है, जो मानसून के दौरान पानी के प्रवाह को बाधित करती है। घग्गर की पूरी लंबाई में स्वीकृत जल रिचार्जिंग सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है, लेकिन केवल स्वच्छ प्रदूषण मुक्त जल प्रवाह सुनिश्चित करने के बाद।  घग्गर नदी के बाएं और दाएं दोनों किनारों को मजबूत करने की आवश्यकता है और बाढ़ के दौरान और उससे पहले नदी के बेहतर प्रबंधन के लिए इन किनारों पर एक ‘पक्का’ सड़क का निर्माण किया जाना चाहिए। कृपया इस गंभीर मामले पर गौर करें और संबंधित विभागों को अनुकूल मजबूत समयबद्ध निर्देश दें।

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बरसात में घग्घर नदी की बाढ़ बरपाती है कहर

उन्होंने कहा कि घग्गर बरसाती नदी है, पहाड़ों में जब अधिक बारिश होती है तो इसमें पानी आता है और यह हरियाणा-पंजाब से होते हुए राजस्थान तक पहुंचती है। बारिश के मौसम में कई बार ज्यादा पानी आने के कारण बाढ़ के भी हालात बन जाते हैं। पिछले वर्ष आई भीषण बाढ़ से एक ओर जहां जन जीवन प्रभावित हुआ था वहां हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई थी। बरसात के बाद यह नदी सूख जाती है तब ही इसका सफाई कराने और तटबंध मजबूत करवाए जा सकते हैं पर सरकार ऐसा कुछ नहीं करती, सरकार प्यास लगने पर कुआं खोदने का प्रयास करती है।

 

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